सुरेश चिपलूनकर। इस भीषण भ्रष्टाचार को देश में नीचे से लेकर ठेठ ऊपर तक हर कोई जानता है… लेकिन “मुफ्तखोरी” वाला अनाज बांटना न बंद हो रहा, न कम हो रहा… बल्कि बढ़ ही रहा है… (पिछले साल 80 करोड़ “सो कॉल्ड” गरीब थे, जो अब “भारी विकास” के चलते, बढ़कर 81 करोड़ हो गए… )…
आपके खून-पसीने की कमाई और जेब से वसूला गया पैसा किस तरह से दोबारा वापस आकर पुनः आपकी जेब काटता है, यह “प्रधानमंत्री अन्न सुरक्षा योजना” से स्पष्ट होता है… एक-दो-तीन रूपए में मिलने वाले गेहूं और चावल सरेआम मार्केट में पापड़ फैक्ट्रियों, बेकरीयों, बिस्कुट कम्पनियों, शराब माफियाओं को 22-25 रूपए किलो में बेचा जाता है… फिर यही व्यापारी इस सस्ते अनाज से आपको टोस्ट, डोसे-इडली, बिस्कुट, पिज्जा बनाकर आपकी जेब पर दोगुनी तेजी से हमला बोल देते हैं… किसी पार्टी, किसी संगठन, किसी नेता की औकात नहीं है कि वह इस भ्रष्टाचार को रोक सके…
कांग्रेसियों ने भी “मनरेगा” को इसीलिए जमकर चलाया था, और हर वर्ष उसका हजारों करोड़ का फण्ड बढ़ाते गए, जो गरीबों को कभी भी ठीक से और पूरा नहीं मिला, कांग्रेसियों (और कई राज्यों में भाजपाईयों की भी) की जेबों में गया… इसीलिए प्रधानमंत्री ने मनरेगा योजना की लाख आलोचना के बावजूद उसे बंद नहीं किया… सरकारी योजनाओं में पैसा कैसे खाया जाए, इसकी ट्रेनिंग भाजपा ने कांग्रेस से बहुत बढ़िया तरीके से ली है… (लगातार भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेसी इसीलिए भाजपा में आदर से लिए जाते हैं).
इधर आप यह सोचकर प्रसन्न होते हैं और प्रतिदिन व्हाट्स एप्प पर प्रधानमंत्री की दयालुता की कहानियां फैलाते हैं, कि वे देश के गरीबों का इतना ख्याल रखते हैं… जबकि वास्तव में आपकी जेबें दोनों तरफ से काटी जा रही हैं, और आपको पता भी नहीं चल रहा… क्योंकि आप एक “अजीब से अनजान नशे की गिरफ्त” में हैं… आपको न देश के ज्वलंत मुद्दे दिखाई देते हैं, न आप उन पर बात करना चाहते हैं…
खैर… अब्दुल टाईट हो रहा है… राम मंदिर बन रहा है… तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है… मोदीजी के राज में आपकी इनकम भी तो आठ साल में दोगुनी-तिगुनी बढ़ गयी है… कटवाओ अपनी जेब… मुझे क्या.