विपुल रेगे। अपने समय के प्रतिभाशाली गायक सोनू निगम को जब पद्म श्री सम्मान मिलने का समाचार प्राप्त हुआ, तो वे दुबई में थे। विगत कुछ वर्षों से गायकी से संन्यास लेने के बाद वे दुबई में ही रह रहे हैं। सोनू ने पद्म सम्मान मिलने के बाद एक बयान जारी किया। उन्होंने ये सम्मान अपनी दिवंगत माँ शोभा निगम को समर्पित करते हुए भारत सरकार का अपने चयन के लिए आभार प्रकट किया है।
कुछ वर्ष पूर्व सोनू निगम ने गायकी छोड़ने की घोषणा कर दी थी। माना जाता है कि उनके गायकी छोड़ने के पीछे संगीत कंपनी टी सीरीज के साथ विवाद और हिन्दी संगीत उद्योग में भाड़े से बुलाए जा रहे पाकिस्तानी गायक थे। पाकिस्तानी गायकों को इम्पोर्ट करने के चक्कर में संगीत उद्योग ने अपने रत्नों को खो दिया। उदित नारायण, अभिजीत भी सोनू की तरह इंडस्ट्री से प्रताड़ित रहे हैं।
सोनू ने सन 2015 के बाद से ही समझ लिया था कि भट्ट खेमे और सलमान गैंग का बढ़ता प्रभाव उनके कॅरियर को आगे नहीं चलने देगा। आतिफ असलम, राहत फ़तेह अली खान, अली ज़फ़र की एंट्री इन्हीं दो कैंपों के कारण हुई थी। सोनू का मन भारत में नहीं लगा तो पत्नी मधुरिमा और बेटे नीवान के साथ दुबई चले गए। उनका बेटा एक लोकप्रिय वीडियो गेम ‘फोर्टनाइट’ में तीसरे नंबर का चैम्पियन रहा है।
वह एक प्रोफेशनल गेमर है। जब भरे मन से सोनू ने भारत छोड़ा था तो उनकी पीड़ा मुखर हो उठी थी। उन्होंने सार्वजानिक रुप से कहा कि हिन्दी संगीत उद्योग अब माफियाओं के नियंत्रण में आ चुका है। सोनू ने कहा था कि वे अपने बेटे को कभी गायक नहीं बनाना चाहेंगे, कम से कम इस देश में तो नहीं। भला हो इस सरकार का कि उसने एक परित्यक्त प्रतिभाशाली गायक को उसकी प्रतिभा के अनुरुप सम्मान दिलवाया है। सोनू जैसी वॉइस क़्वालिटी बहुत वर्षों में एक बार देखने को मिलती है।
उनकी आवाज़ पतली और नाज़ुक और रेशमी है। उनके कुछ गीतों को सुनकर हमें वे रफ़ी की याद दिलाते हैं। उनका सुर पक्का है। उनके गायन में वर्षों की साधना झलकती है। पेटी के साथ पक्का रियाज़ करने वाले ही ऐसा पक्का गाना गा सकते हैं। अपितु भारत के संगीत रसिकों को आधा सोनू निगम ही मिल सका। वे आगे और भी गा सकते थे किन्तु फिल्म उद्योग के भेदभाव ने उनकी गायकी को ठेस पहुंचाई।
इन दिनों एक गीत बहुत चर्चा में है। पुष्पा का लोकप्रिय गीत ‘श्रीवल्ली’ होनहार गायक जावेद अली ने गाया है और बहुत सुंदरता के साथ गाया है। अपितु मेरा मानना है कि ये गीत सोनू गाते तो इसका इम्प्रेशन और भी सुंदर और अलग होता। आज भी कई गीत ऐसे मिलते हैं, जिन्हे सुनकर सहसा ही सोनू निगम का स्मरण हो आता है। वर्तमान हिन्दी फिल्म संगीत उद्योग सोनू को मिले इस सम्मान से बिलकुल भी प्रसन्न नहीं होगा।
आज इस उद्योग को माफिया संचालित करते हैं। संगीत का स्तर और भी अधिक गिर चुका है। अरसे से हिन्दी पट्टी में ऐसे गीत नहीं बन रहे, जो ‘श्रीवल्ली’ की टक्कर के या उससे भी उम्दा हो। सोनू निगम को पद्म सम्मान बहुत देर से दिया गया। उनके शिखर पर रहते हुए मिलता तो कदाचित हमें ‘पूरा’ सोनू निगम मिलता।