तनिष्क कुमार वर्मा। पूरी की दशा देवघर व अन्य मंदिरों जिनको सरकार ने अपने नियंत्रण में ले चुके है जैसी हो गयी है। पहले भी कोई अच्छी दशा नही थी पर अब और बदतर हो गयी है। श्रद्धालुओ के लिए जो मिनी बस चलती है उसमें ही 50 लोगों को भर दिया जाता हैं।
अगर बस पलट गई तो ज़िम्मेदारी कौन लेगा? हाल में वैष्णो देवी में भी अत्यंत भीड़ के कारण ही एक दुर्घटना हुई थी। सरकार को केवल पैसे कमाने है। मंदिर अब किसी राजा का किला लग रहा है। और देवघर जैसे railing लगा के line system चालू कर दिया गया है। बाहर श्रद्धालुओं को घंटो खड़ा कर दिया जा रहा है। कुछ की तबियत बिगड़ जाती है और वो वापस लौट जाते है।
क्या सरकार चाहती है कि धीरे धीरे श्रद्धालू मंदिर जाना बंद करदे? मंदिर के अंदर अब भी उतनी ही भीड़ है जितनी पहले थी। तो मंदिर के बाहर लोगो को गर्मी में खड़ा करने का उद्देश्य क्या है? पुजारी,पंडा,पुरोहित,ब्राम्हण को छोड़ कर सभी तय कर रहे है कि पूजा कैसे होगी। मेरे प्रभु को मैं कैसे देखू ये कोई पुलिस वाला कैसे तय कर सकता है? एक द्वार से एक महिला दर्शन के लिए जा रही थी तो एक ब्राम्हण ने उनको दूसरे द्वार से आने के लिए कहा और क्षमा भी मांगी।
उन्होंने कहा collector साब का आदेश है। तो अब collector मंदिर चलाएंगे? मास्क पहने बिना मंदिर में प्रवेश नही करने को कहा गया। पर बाहर line में सबको चिपका के खड़ा कर दिया गया। ये कौन सा विज्ञान है? नेता और अफसर न भक्ति जानते है न विज्ञान। बस नियम बना दो बिना किसी तथ्य के। मंदिर में belt, purse सब पहनके जाना हमेशा से मना है और अंदर अच्छे से इसकी जांच होती थी। पर इस बार कुछ नही देखा गया।
पुलिस वाला सिर्फ आगे के पॉकेट को देखकर अंदर जाने दे दिया। अगर कोई leather पेहेनके अब अंदर चला जाये तो उसको रोकने के लिए भी कोई नही है। यानी मंदिर की पवित्रता को भी नष्ट किया जा रहा हैं। जगन्नाथ प्रभु इन मलेच्छ नेता और अधिकारियों को सबक सिखाये तथा हिन्दुओ को एकित्रत होके इनसे लड़ने की सद्बुद्धि एवं शक्ति दे।