जन मानस में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा सिर्फ इस बात से किया जा सकता है कि उन पर कविताओं का एक दौर सा चल पड़ा है, नोट बंदी जैसे साहसिक फैसले के बाद जहाँ भारत में मिश्रित प्रतिक्रिया आ रही है वही समाज में क्रांति का बिगुल फूंकने वाले कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से मोदी जी को जिस तरह से प्रस्तुत किया है वह काफी है भारतीय पैड मीडिया को आइना दिखाने के लिए.
लखनऊ सचिवालय से अवकाश प्राप्त गीतकार और लेखक घनांनद पांडेय ‘मेघ’ की इस रचना ने यथार्थ को प्रस्तुत करते हुए जो लिखा है वह किसी भी मायने में भारतीय समाज की आवाज से कम नहीं है पढ़िए यह कविता जो प्रधानमंत्री को समर्पित है…
नाम तुम्हारे गीत लिखूँगा
तुम को मन का मीत लिखूँगा।
आज विलक्षण प्रतिभाओं का ,
जन्मा है फिर नूतन नायक,
बहुत दिनों बाद मिला फिर
जन-गण-मन का असली गायक।
नाम तुम्हारे जीत लिखूंगा,
तुम को मन का मीत लिखूंगा।
बड़े -बड़े भष्मासुर सारे,
आज तुम्ही से हुए पराजित,
बाहर निकला लुका छिपाया
जो था अब तक ढेरो संचित।
तुमको अनुपम रीत लखूँगा
तुमको मन का मीत लिखूँगा।।
जन हित का हर कार्य तुम्हारा,
रवि किरणों जैसा चमकेगा ।
मुख मंडल का तेज तुम्हारा
ज्योतित हो नित-नित दमकेगा।।
तुमको मैं रणजीत लिखूंगा,
तुमको मन का मीत लिखूँगा।।
सोना तेरे पास नहीं है
किन्तु चमक है सोने जैसी,
कर्मठता की पूँजी तेरी
जन मन द्वार सजोने जैसी।
तुम्हें सदा अविजीत लिखूंगा,
तुमको मन का मीत लिखूँगा।।
राष्ट्र सुरक्षा के चिंतन में,
तुमने तूफानों को सादा।
अडिग अटल विश्वास तुम्हारा
दूर किया करता हर बाधा।।
नाम तुम्हारे प्रीत लिखूंगा।
तुमको मन का मीत लिखूँगा ।।
मूल समस्याओं को हल कर ,
चाह रहे हो आगे बढ़ना।
राष्ट्र विरोधी तत्वों से भी
शुरू किया है तुमने लड़ना।।
तुम्हें सुगम संगीत लिखूँगा।
तुमको मन का मीत लिखूँगा
नाम तुम्हारे गीत लिखूँगा
साभार: घनानंद पांडेय ‘मेघ’
नोट: शीघ्र ही हम इस कविता को गेय शैली में प्रस्तुत करेंगे