भ्रष्टाचार ही परमशत्रु है , हिंदू ! इसका संहार करो ;
हिंदू – विरोधी राजनीति का , पूरा उपसंहार करो ।
तथाकथित हिंदूवादी दल , भ्रष्टाचार का रखवाला है ;
कमोवेश बाकी भी ऐसे , पूरा कुआं भंग वाला है ।
भ्रष्टाचार की भांग घुली है , सारे पीकर झूम रहे हैं ;
बंटी-हुयी है हिंदू-जनता , इसी से उसको लूट रहे हैं ।
जहर-महोत्सव चल रहा देश में , अमृत-महोत्सव धोखा है ;
अब्बासी-हिंदू ओट में इसकी , भारत कर रहा खोखला है ।
सर्वनाश ये चाहे धर्म का , ये इसका अंतिम-उद्देश्य ;
गजवायेहिंद का जाल बुन रहा,हिंदू ! समझो इसका उद्देश्य ।
केवल एक ही दल ऐसा है , जो इसे नष्ट कर सकता है ;
“एकम सनातन भारत” दल ऐसा,जिसको हिंदू ला सकता है ।
हिंदू – राजनीति का सूरज , धर्म – सनातन से आप्लावित ;
इस पर पूरी “विष्णु-कृपा” है , पापों से ये नहीं प्रभावित ।
नया-नवेला अभी ये दल है , साधन भी पर्याप्त नहीं हैं ;
अभिमन्यु सा घिरा हुआ है , चक्रव्यूह का अंत नहीं है ।
भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह है , इसको पूरा तोड़ना होगा ;
यदि सारे हिंदू ! सहयोग करेंगे , हर सपना पूरा होगा ।
निर्णायक ये चुनाव चल रहा , हिंदू ! ढीले मत पड़ना ;
इसमें इसका निर्णय होगा , तुझको जीना या मरना ।
हिंदू ! ये संभव करना होगा, धार्मिक-सरकार बनाना होगा ;
अब ये “अमृत” पीना होगा , तुझको जहर त्यागना होगा ।
हिंदू ! ये तेरी जिम्मेदारी , भारत-भर में प्रत्याशी लाओ ;
अपने स्तर से चयनित करके , दल से उनकी सहमति पाओ ।
नामांकन हो रहे जहाॅं पर , करो सुनिश्चित नामांकन ;
भामाशाहों की कमी नहीं है , वे करें धर्म का अभिनंदन ।
इसी तरह से इस चुनाव को , इस नैया से पार करो ;
सारे – हिंदू ! इस पर बैठो , ये भवसागर पार करो ।
आपस का सहयोग निरंतर , पूर्ण-सफलता देता है ;
इसी सूत्र को पकड़े रहना , लक्ष्य प्राप्त हो जाता है ।
लक्ष्य हमारा “राम-राज्य” है , इसको हमें प्राप्त करना है ;
“एकम् सनातन भारत” दल की , हमको सरकार बनाना है ।