विपुल रेगे। तेलुगु और तमिल सिनेमा के ख्यात अभिनेता किच्चा सुदीप ने एक समारोह के दौरान कह दिया कि हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है। सुदीप के इस बयान पर बॉलीवुड ने तलवारें खींच ली। विवादों से दूर रहने वाले अभिनेता अजय देवगन स्वयं ही इस विवाद में कूद पड़े हैं। इन दिनों बॉलीवुड में एक परंपरा चल पड़ी है कि कोई भी सनसनीखेज बयान उस समय देना चाहिए, जब आपकी कोई फिल्म प्रदर्शित होने जा रही हो।
किच्चा सुदीप के बयान पर अजय देवगन ने अपने ट्वीटर पर लिखा ‘किच्चा सुदीप, मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फिल्मों को हिंदी में डब करके क्यों रिलीज करते हैं? हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी। बॉलीवुड के बड़े अभिनेता को ये तक नहीं मालूम है कि हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा कभी नहीं रही।
हिन्दी को हम देश की औपचारिक भाषा कह सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय भाषा कैसे कह दे। वास्तविकता ये है कि हिन्दी नौ से भी कम राज्यों में बोली जाती है। सरकारों ने हिन्दी को कभी राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रयास ही नहीं किये हैं। विमल गुटखे का थूक उड़ाते अभिनेता अब हिन्दी को लेकर हमलावर हैं। सब जानते हैं कि 29 अप्रैल को अजय देवगन द्वारा निर्देशित रनवे 34 प्रदर्शित होने जा रही है।
देवगन ने हिन्दी का पक्ष लेकर अपने बिगड़े ग्रह सुधारने की कोशिश की है। देवगन ने अब तक दो फ़िल्में निर्देशित की है। उनकी निर्देशित की गई यू मी और हम व शिवाय सुपर फ्लॉप रही थी। अब वे अपने निर्देशन में तीसरी फिल्म लेकर आ रहे हैं। देखा जाता है कि जब किसी अभिनेता की कोई फिल्म प्रदर्शित होने वाली होती है तो उनकी पीआर टीम नए-नए करतब करने लग जाती है।
जैसे सलमान खान की कोई फिल्म फ्लोर पर आते ही उनका परोपकार दिखाया जाता है। गरीब बच्चों की सहायता, अस्पतालों को आर्थिक सहायता आदि से अभिनेता की छवि को चमकाया जाता है। यदि देवगन सोच रहे हैं कि उनके हिन्दी वाले बयान पर लहालोट होकर दर्शक सिनेमाघरो को हाउसफुल कर देंगे, तो उनकी सोच बड़ी भोली है। फ़िलहाल तो विमल गुटखे का विज्ञापन उन पर भारी पड़ गया है।
गुटखे के विज्ञापन वाली गलती वे दूसरी बार कर चुके हैं। पहले शाहरुख़ के साथ और फिर अक्षय के साथ गुटखे का विज्ञापन किया। आलोचना होने पर उन्होंने क्षमा न मांगते हुए बेशर्मी के साथ कहा कि अगर कुछ चीजें इतनी ही गलत है तो उन्हें बेचा नहीं जाना चाहिए। हिन्दी पर बोलने से पहले देवगन को अपनी फिल्मों की सूची भी जाँच लेनी चाहिए।
जब वे अपनी अभिनीत फिल्मों की सूची देखेंगे तो पता चलेगा कि उनके कॅरियर के उछाल दक्षिण की रीमेक फिल्मों से आए थे। क्या देवगन इस बात से भी इंकार करेंगे कि उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म सिंघम दक्षिण फिल्म की रीमेक थी। वास्तविकता यही है कि नब्बे के दशक के बाद बॉलीवुड ने कहानियां लिखना बंद कर दिया और दक्षिण की हिट फिल्मों से कहानियां चुराने लगा या उनके अधिकार खरीदने लगा।
बॉलीवुड हिन्दी की बात न करे तो ही अच्छा। जब ये अभिनेता सेट पर पहुँचते हैं और स्क्रिप्ट मांगते हैं तो उनको हिन्दी रोमन में लिखकर देनी पड़ती है क्योंकि उनको हिन्दी पढ़ना ही नहीं आता। अमिताभ बच्चन एकमात्र अभिनेता हैं, जो अपने संवाद हिन्दी में ही मांगते हैं। एक कवि परिवार से होने के नाते उनको मालूम है कि रोमन हिन्दी को पढ़कर सही उच्चारण नहीं किया जा सकता। ये है वह बॉलीवुड, जो हिन्दी के पक्ष में खड़ा बयानबाज़ी कर रहा है।