हम चारों तरफ आकाश से घिरे हैं,
जो है और जो नहीं है!
है उसके लिए जो जानता है,
नहीं है उसके लिए जो तर्क करता है!
आकाश यानी शून्य!
जीवन की गति ही शून्य होना है!
जो शून्य हो गया,
फिर उसके लिए जानने को कुछ न रहा!
URL: India Speaks Daily hindi poem-1
keywords: हिंदी कविता, कविता कोश, hindi poem, hindi kavita, Kavita kosh,