अर्चना कुमारी। उत्तरप्रदेश में एटीएस ने आईएस के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है, जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र शामिल है। केमिकल इंजीनियरिंग के दोनों छात्रों अब्दुल्ला अर्सलान और माज बिन तारिक को पकड़ा गया। आशंका है, इस बड़े आतंकी गिरोह में कई अन्य छात्र भी शामिल हैं।
खुलासा हुआ है, वे राज्य भर में बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमलों की योजना बना रहे थे और भारी मात्रा में बम बनाने के लिए शस्त्रागार जमा कर लिया था।इनके उद्देश्य शरिया कानून स्थापित करना था।अलीगढ़ से गिरफ्तार किए गए आईएस के पुणे मॉड्यूल के संदिग्ध अब्दुल्ला अर्सलान और माज बिन तारिक को यूपी एटीएस ने छह दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
पूछताछ में ‘स्टूडेंट अलीगढ़ मुस्लिम मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ यानी SAMU के नाम से बने ग्रुप के बारे में जानकारी जुटाना बेहद अहम माना गया है क्योंकि ये ग्रुप केमिकल अटैक की कोशिश में जुटा था। आई एस का पुणे मॉड्यूल बेहद खतरनाक मंसूबों के साथ काम कर रहा था और इस पुणे मॉड्यूल में पेट्रो केमिकल इंजीनियर से लेकर पीएचडी कर चुके नौजवान तक इस्लामी कट्टरपंथ के लिए मरने मारने पर आमादा है।
ज्ञात हो बीते महीने दिल्ली स्पेशल सेल द्वारा दवोचे गए शाहनवाज और रिजवान भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन SAMU से जुड़े थे। इनके साथ छत्तीसगढ़ के दुर्ग से गिरफ्तार पर वजीऊद्दीन भी SAMU ग्रुप का सदस्य था। फिलहाल यूपी एटीएस अब इनसे बरामद मोबाइल का डाटा रिट्रीव करने की कोशिश कर रही है। सूत्रों के अनुसार इस ग्रुप में करीब 23 लड़के जुड़े थे, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुके थे और अब आईएसआईएस से प्रभावित होकर किसी बड़ी वरदात को अंजाम देने का मंसूबा पाल रहे थे।
जांच में सामने आया है कि आईएस का पुणे माड्यूल यूपी के छह जिलों में अपनी गहरी जड़ें जमा रहा था। आईएस के इस माड्यूल के सदस्य अलीगढ़ के अलावा संभल, प्रयागराज, लखनऊ, रामपुर, कौशांबी आदि जिलों में सक्रिय हैं। यह ग्रुप किसी बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए असलहे और गोला-बारूद एकत्र कर रहे थे। सनद रहे इस मामले में एटीएस की अलीगढ़ इकाई के प्रभारी मोहम्मद अकरम ने तीन नवंबर को एटीएस थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
जिसमें झारखंड निवासी शाहनवाज, दिल्ली निवासी रिजवान, अलीगढ़ निवासी वजीहुद्दीन, अब्दुल्ला अर्सलान, माज बिन तारिक, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अब्दुल समद मलिक, फैजान बख्तियार, दिल्ली के बाटला हाउस निवासी अरशद वारसी, संभल के चंदौसी निवासी मोहम्मद नावेद सिद्दीकी, प्रयागराज निवासी रिजवान अशरफ और अन्य को नामजद किया गया था।इनमें से अब्दुल्ला अर्सलान और माज बिन तारिक को एटीएस ने रविवार को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया गया था।
एटीएस की जांच में सामने आया कि आईएस के पुणे माड्यूल के आतंकी और पूर्व में पकड़े गए शहनवाज और रिजवान अली का इन सभी से गहरा संपर्क है। प्रयागराज के रिजवान अशरफ इस्लामिक शिक्षा हासिल कर चुका है और आईएस की विचारधारा से प्रभावित होकर स्टूडेंट्स ऑफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी संगठन के माध्यम से इन सभी से जुड़ा हुआ है। वहीं दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार शहनवाज और रिजवान एएमयू के इन छात्रों व अन्य के साथ मिलकर आईएस के लिए काम कर रहे हैं।
इसके लिए शहनवाज कई महीनों तक अलीगढ़ में किराए का मकान लेकर रहा था और उसने अपने साथियों की मदद से खदीजा नामक महिला से शादी से की थी। उसने महिला का धर्मांतरण कराने के बाद निकाह किया था। वहीं रिजवान ने बाकी लोगों को आईएस की बैयत (शपथ) दिलाई थी। इनके द्वारा आईएस की विचारधारा का प्रचार प्रसार किया जाता था।
ये सभी एएमयू के बाकी छात्रों को भी आईएस से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे। आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी में बैठे हैंडलर से निर्देश लेते थे। सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए गोपनीय तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते थे। एटीएस की टीमें इस संगठन के सदस्यों की तलाश में जगह-जगह छापे मार रही हैं।