आतंकी संगठन आईएसआईएस भारत में हमले के लिए ‘लोन वुल्फ’ अटैक का सहारा ले रही है। इस तरह के वारदात को एक ही आतंकी अंजाम देता है।
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया( ISIS) कई भारतीय मुस्लिम युवकों की भर्तियां कर चुका है। उसकी कोशिश है कि लगातार भर्तियां जारी रहे ताकि जान-माल की भारी तबाही मचाई जा सके। इसकी पुष्टि दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए मोहम्मद मुस्तकीम खान उर्फ अबू युसूफ के पकड़े जाने के बाद भी हुई है।
पहले आतंकी हमलों में आतंकी ग्रुप बनाकर काम करते थे, लेकिन अब आंतकवादी लोनवुल्फ हमले की साजिश रच रहे हैं। आमतौर पर ग्रुप में जब कोई आतंकी वारदात को अंजाम दिया जाता है, तो उसमें गलती होने की संभावना ज्यादा रहती है, जबकि लोन वुल्फ हमले में पकड़े जाने का खतरा कम होता है। इसमें एक ही आतंकी द्वारा बम बनाने से लेकर रेकी करना तथा हमले को अंजाम देना होता है। ऐसे आतंकियों का ब्रेनवाश आईएस के कमांडर करते हैं।
पिछले दिनों मुस्तकीम खान नामक जिस आतंकी को पकड़ा गया उसे लोन वुल्फ हमले के लिए आईएस कमांडर यूसुफ अल हिंदी तथा अबू हुजैफा पाकिस्तानी ने उकसाया था।आईएस कमांडरों ने ही उसे विस्फोटक बनाने से लेकर हमले के तौर-तरीके सिखाए थे। आतंकी मुस्तकीम खान पिछले करीब तीन साल से बम धमाका करने का ताना-बाना बुन रहा था। उसने लॉक डाउन के अवधि में अपने गांव के कब्रिस्तान में विस्फोट का ट्रायल भी किया था। उसकी योजना धमाके के बाद अफगानिस्तान खुरासान में जाकर हिजरत करना था। इसके लिए उसने पत्नी और चार बच्चों का पासपोर्ट भी तैयार करवा लिए थे।
लोन वुल्फ हमले के लिए तैयार होने वाले युवकों को सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए भर्तियां की जाती है और इस तरह के हमले के लिए लगातार उकसाया जाता है। आतंकी मुस्तकीम खान ने पूछताछ में स्पेशल सेल को बताया है कि उसका परिचय सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए आईएस कमांडरों यूसुफ अल हिंदी और अबू हुजैफा पाकिस्तानी से हुआ था। इनमें अबू हुजैफा ने उसे नेट के जरिए तबाही मचाने में जरूरी बम,आईईडी तथा सुसाइड जैकेट बनाने के गुर सिखाए थे। वह दिल्ली में भीड़ वाले स्थान पर बम धमाका करने की नियत से आईईडी युक्त प्रेशर कुकर लेकर आया था। इसके बाद उसकी योजना आत्मघाती हमला कर किसी हिंदूवादी नेता को मारना था।
पूछताछ के दौरान आतंकी मुस्तकीम उर्फ अबू यूसुफ ने बताया कि पिछले कई सालों से वह आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल से जुड़ा है। पहले उसने आईएसआईएस के कमांडर यूसुफ-अल- हिंदी के संपर्क में रहते हुए उनके निर्देश का पालन किया लेकिन उनके मारे जाने के बाद अबू हुजेफा पाकिस्तानी के संपर्क में आया था। पिछले साल ड्रोन हमले में अबू हुजेफा के मारे जाने के बाद वह नए आकाओं के नियमित संपर्क में था।
मुस्तकीम खान ने पुलिस को बताया कि हुजैफा से उसका परिचय अबू हुजैफा अल बकिस्तानी के नाम से एक ऑनलाइन साइट पर हुई थी। पुलिस का कहना है कि इस साइट के जरिए भारतीय मुस्लिम युवकों को देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का लालच देकर भर्तियां की जाती है तथा उन्हें सीरिया में लड़ने को कहा जाता है।
अबू हुजैफा से पहले युसूफ अल हिंदी भी भारतीय युवाओं को भड़का कर ऑनलाइन चैटिंग के जरिए आईएएस में भर्ती करता था। युसूफ अल हिंदी जिसे मोहम्मद शफी अरमार के नाम से भी जाना जाता है, वह मूल तौर पर कर्नाटक के भटकल शहर का रहने वाला था। उसी की योजना थी कि नई भर्तियां करके चरमपंथी संगठन आईएसआईएस के परंपरागत तरीके लोन वुल्फ हमला करके भारत में तबाही मचाई जा सके।
सूत्र बताते हैं कि संगठन में भर्ती हुए युवकों को ब्रेन बास के लिए मजहबी तकरीरें सुनाया जाता है। इसकी पुष्टि करते हुए आतंकी मोहम्मद मुस्तकीम खान उर्फ अबू युसूफ ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि वह सोशल मीडिया पर अक्सर मज़हबी तकरीरे सुनता था। जाकिर नायक से लेकर कई मुस्लिम धर्मगुरुओं से वह बेहद प्रभावित था।
यह समझने वाली बात है कि एक समान व्यक्ति जिसका दूर-दूर तक आईएस से कोई लेना-देना नहीं था, वह कैसे आईएएस की जाल में फंस कर उन्मादी हो गया गया?
सूत्र बताते हैं जिहादी बनने से पहले मुस्तकीम खान प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम करता था। वह काम के सिलसिले में सऊदी अरब और कतर गया था। बाद में भारत वापस आने पर वह कई स्थलों जैसे उत्तराखंड, हैदराबाद और मुंबई में रहकर प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम किया था। इस दौरान उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी और वह काम धंधा छोड़ कर घर रहने लगा था। इस दौरान मुस्तकीम खान का दिमाग पूरी तरह से ब्रेनवाश हो चुका था।
मुस्तकीम खान ने अपनी आजीविका के लिए घर से कुछ दूरी पर एक कॉस्मेटिक सामग्री बेचने की दुकान खोली, लेकिन वह इस दुकान की आड़ में सुसाइड जैकेट, बम बनाने की विधियों से लेकर व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, टेलीग्राम तथा अन्य सोशल मीडिया के जरिए तमाम मुल्ले-मौलवियों के मुस्लिम मजहब से जुड़ी बातों को सुनता रहता। वह पहले सुन्नी मुस्लिम था फिर देवबंदी से हदीस हो गया। वह अल्लाह में काफी भरोसा रखता और पांचों वक्त नमाज अदा करता था।
जिहाद के प्रति पूरी तरह से ब्रेन बास हो चुके मुस्तकीम खान अक्सर पाकिस्तान व अफगानिस्तान के कुछ नंबराें पर बात करता था। इन विदेशी नंबरों के बारे में अभी सुरक्षा एजेंसियों को पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है। उसने विस्फोटक जुटाने के लिए गांव के ही समीप पटाखे की दुकान चलाने वाले मो. मुबीन से पटाखे खरीद कर उनमें से विस्फोटक निकाल लेता था। उसने मानव बम में इस्तेमाल होने वाली जैकेट पिछली सर्दियों में खरीदी थी।
हालांकि उसके कई खुलासे पर पुलिस को विश्वास नहीं है और सारे तथ्य को वेरीफाई किया जा रहा है। जांच में जुटी स्पेशल सेल दुकानदार मो. मोबिन के अलावा उसके संपर्क में रहने वाले लोगों से लगातार पूछताछ कर रही है इनमें परिजन से लेकर कुछ अन्य लोग शामिल हैं।
पुलिस मजहर और नसरुद्दीन से भी पूछताछ कर रही है जो मुस्तकीम के नियमित संपर्क में थे। इनमें मजहर लखनऊ में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी जबकि दोनों मुस्तकीम के साथ सऊदी अरब में साथ काम कर चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इसके दो और साथी हो सकते हैं, जो मुस्तकीम के पकड़े जाने के बाद से अब तक फरार हैं।