विपुल रेगे। कोरोना काल के चलते जेम्स बॉन्ड सीरीज की नई फिल्म लगभग डेढ़ वर्ष तक रिलीज के लिए प्रतीक्षा करती रही। बॉण्ड निर्माताओं के लिए ओटीटी मंच स्वीकार्य नहीं होता और न दर्शकों के लिए, जो तीन-चार वर्ष में एक बार आने वाली बॉण्ड फिल्म की प्रतीक्षा अधीरता से करते हैं। लिहाज़ा बॉण्ड सीरीज की नई फिल्म ‘नो टाइम टू डाई’ का प्रदर्शन रुका रहा क्योंकि उसकी भव्यता का आकार ओटीटी के नन्हे मंच पर साकार नहीं होता।
Ernst Stavro Blofeld नामक खतरनाक अपराधी को पकड़ने के पांच वर्ष बाद जेम्स बॉन्ड अब सीक्रेट सर्विस में एक्टिव नहीं रहा है। वह एक सामान्य जीवन बिता रहा है। इस बीच एक सीआईए अधिकारी बॉन्ड से संपर्क साधता है और बताता है कि एक रुसी वैज्ञानिक गायब हो गया है और संभवत उसे अपहरण कर कोई भयानक योजना रची जा रही है।
ये नई वाली बॉन्ड फिल्म का प्लॉट है। डेनियल क्रेग इस बार भी बॉन्ड की भूमिका निभाने जा रहे हैं। बॉन्ड निर्माताओं के साथ उनकी ये पांचवी फिल्म है। पिछली चार फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर विजयी प्रदर्शन किया था। चूँकि फिल्म इसी माह 30 सितंबर को प्रदर्शित होने जा रही है तो इससे संबंधित समाचार बाहर आने लगे हैं।
पता चला है कि फिल्म के एक्शन दृश्यों को सजीव बनाने के लिए निर्देशक और निर्माता ने बहुत जतन किये हैं। इसके एक दृश्य के लिए इटली के माटेरा शहर की सड़कों पर 31000 लीटर कोकाकोला बहा दिया गया। ये कोकाकोला निर्माता को लगभग पचास लाख रुपये का पड़ा। फिल्म के प्रोमो को देखते हुए इस बात की आश्वस्ति होती है कि बॉण्ड फिल्म के निर्माताओं ने अपनी उत्कृष्टता को जस का तस रखा है।

प्रोमो देखते ही फिल्म देखने की इच्छा जागृत होने लगती है। फिल्म के निर्माताओं को भारत के बाज़ार में अपना अच्छा भविष्य दिखाई दे रहा है। इस बार उन्होंने हिन्दी व अन्य भाषाओं के साथ गुजराती को भी जोड़ दिया है। 30 सितंबर को जब ये फिल्म प्रदर्शित होगी तो जेम्स बॉन्ड गुजराती में बोलता दिखाई देगा ‘नाम छे बॉन्ड, जेम्स बॉन्ड।
ये पहली बार है जब किसी हॉलीवुड की फिल्म को गुजराती में डब किया गया है। जाहिर है कि हॉलीवुड अब गुजरात की जनता को टारगेट करना चाह रहा है। पिछले दिनों बहुत चर्चा चली कि लोग थियेटर नहीं आ रहे हैं। सुपर सितारे अक्षय कुमार की ‘बेल बॉटम’ ने बॉक्स ऑफिस पर पानी भी नहीं माँगा।
क्या वे ऐसी फिल्म बना सकते हैं, जो दर्शक को थियेटर तक खिंच लाए। जेम्स बॉण्ड की इस किश्त में वह दमखम है कि थियेटर को आबाद कर सके। अब तो वही फिल्म चलेगी, जिसमे दमखम होगा। स्टारडम के दिन भारतवर्ष में अब लद गए हैं।