विपुल रेगे। माँ काली को सिगरेट पीते और समलैंगिकता के प्रतीक का झंडा थामे दिखाने वाली फिल्मकार लीना मणिमेकलाई ने तीव्र आलोचनाओं पर पलटवार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि उन्हें अपने नीच कर्म पर कोई ग्लानि नहीं है।
टोरंटो निवासी लीना जानती हैं कि भारत में अभिव्यक्ति के नाम पर भगवान को गाली देना, उन पर अश्लील मज़ाक बनाना और उनकी ऐसी घिनौनी छवि प्रस्तुत करने पर कोई रोक नहीं है। बहरहाल लीना विरुद्ध हिन्दू नागरिकों के इस युद्ध में अब तक न उच्चतम न्यायालय ने कोई संज्ञान लिया है। हिन्दू समाज अधिक से अधिक सोशल मीडिया पर विरोध कर लेगा। सत्तर के दशक तक आंधी और गरम हवा जैसी फिल्मों को विवादित फ़िल्में कहा जाता था।
उसके बाद मीरा नायर की एंट्री हुई और आंधी जैसी फ़िल्में मासूम खरगोश सी नज़र आने लगी। नब्बे के दशक में मीरा नायर ने फायर, मंगलसूत्र, वॉटर और अर्थ बनाकर लीना मणिमेकलाई जैसी फिल्मकार का रास्ता साफ़ कर दिया था। मैंने कई बार लिखा है कि भारत नब्बे के दशक से सांस्कृतिक आतंकवाद की चपेट में है। दो दशकों से भारतीय संस्कृति इस नए किस्म के आतंकवाद से पीड़ादायक स्थिति में पहुँच चुकी है। भारत के सामाजिक ढांचे को नष्ट करने की ये कवायद अब भयंकर रुप ले चुकी है।
देश के मुख्य शहरों में समलैंगिकता भयानक द्रुत गति से उभरी है। फिल्मों और सोशल मीडिया से लगातार ऐसा कंटेंट युवाओं में धकेला जा रहा है। इस समय चहुंओर से जो कंटेंट आ रहा है, उसके दुष्प्रभाव एक दशक बाद पटल पर दिखने लगेंगे। सोचिये भारत का चरित्र ही खोखला किया जा रहा है, और वह भी इतनी ख़ामोशी से। मनोरंजन उद्योग को नियंत्रित करने के बारे में कभी सोचा ही नहीं गया है। कनाडा के टोरंटो में बैठकर निर्देशिका साहिबा कह रही हैं कि वे जान देने के लिए भी तैयार हैं।
इधर गौ महासभा’ नामक संगठन ने दिल्ली पुलिस में इसकी शिकायत की है। इस शिकायत पर द्रुत गति से कार्रवाई होनी चाहिए। हमारी सरकार को अपनी आक्रामक विदेश नीति दिखाते हुए कनाडा की सरकार को माफ़ी मांगने को कहना चाहिए। साथ ही निर्देशिका साहिबा की तुरंत गिरफ्तारी भी मांगनी चाहिए। उनके अपराध की तीव्रता देखते हुए ये तो करना ही चाहिए। टोरंटो के इस्लामिक सेंटर आगा खां म्यूजियम में होने जा रहे Rhythms of Canada में काली डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी।
आगे कुछ कहना शेष ही नहीं बचता है। समाज को इस सांस्कृतिक आतंकवाद का स्वयं प्रतिकार करना होगा। सरकारें इसके उन्मूलन के लिए कुछ नहीं करने वाली हैं, अपितु इसे और बढ़ावा देती रहेंगी। समाज में विकृतियां उभरने लगी हैं। अब भी देर नहीं हुई है। अपने स्तर पर इसका प्रतिकार कीजिये।