विपुल रेगे। कंगना रनौत की ‘तेजस’ इतने जोर-शोर से सिनेमाघरों में चल रही है कि रिलीज के नौवें दिन तक इसका कलेक्शन 11-12 लाख प्रतिदिन तक सिमट गया। कंगना दीदी की फिल्म ने एक ऐसा रिकार्ड बनाया है, जो शायद भविष्य में बहुत वर्ष तक तोड़ा नहीं जा सकेगा। ‘तेजस’ की छोटी सी बॉक्स ऑफिस लाइफ में एक दिन ऐसा भी आया, जब सुबह के शो में देशभर में एक टिकट नहीं बिका। कंगना रनौत ने अपना कॅरियर ‘मणिकर्णिका’ के बाद ही गँवा दिया था और अब तक वे राष्ट्रवादी समूह और भाजपा द्वारा दी गई ऑक्सीजन पर जीवित रही हैं।
पिछले दिनों कंगना रनौत बहुत व्यस्त रहीं। उनकी फिल्म ‘तेजस’ सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई और तनिक भी सराही नहीं गई। फिल्म को सफल कराने के लिए कंगना ने बहुत से पापड़ बेले। रक्षा मंत्री और योगी आदित्यनाथ को फिल्म दिखाई। जब बात यहाँ भी न बनी तो अलग से वीडियो बनाकर दर्शकों से फिल्म देखने की अपील कर डाली। हालाँकि इतना करने के बाद भी पिछले नौ दिनों में एक भी दिन कलेक्शन का आंकड़ा 2 करोड़ भी न हो सका। टिकट खिड़की पर किसी भी फिल्म का निर्णय उसके रिलीज होने के एक सप्ताह के भीतर हो जाता है। यदि एक सप्ताह में दर्शक न मिले तो कभी नहीं मिलते।
‘तेजस’ तकनीकी रुप से बहुत सस्ती फिल्म थी और इसके कथानक ने भी दर्शक पर कोई असर नहीं छोड़ा। जहाँ शाहरुख़ और सनी देओल ने बॉक्स ऑफिस हिला डाला, वहां कंगना की फिल्म टिकट खिड़की पर हल्का सा कंपन भी पैदा नहीं कर सकी। विगत एक वर्ष से देश का राजनीतिक घटनाक्रम बदल गया है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ पहले जैसा नहीं रहा। ये गिरावट हम संचार माध्यमों से बहुत अच्छी तरह देख पा रहे हैं। अब उनकी रैलियों में भीड़ नहीं जुटती। हालांकि कंगना रनौत समेत मोदी के लाखों भक्त ये ‘ईमानदार तथ्य’ मानने को तैयार नहीं दिखते।
योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह को अपनी फिल्म दिखाने के बाद कंगना ने कहा कि योगी जी ने उनको आश्वस्त किया है कि उनकी फिल्म ‘तेजस’ के बारे में दुष्प्रचार कर रहे ‘देशद्रोहियों’ को देखेंगे। हालांकि योगी ने ऐसा कहा होगा, इसमें संदेह है। एक राज्य का चुना हुआ मुख्यमंत्री कंगना की फिल्म न देखने पर किसी कार्रवाई की बात करें, ये सोचना भी हास्यापद बात है। आजकल ऐसा देखने में आ रहा है कि जिस फिल्म से राष्ट्रवादी और भाजपा जुड़ जाती है, उस फिल्म का नाश हो जाता है।
विवेक रंजन अग्निहोत्री की ‘द वैक्सीन वॉर’ का भाजपाइयों ने बहुत प्रमोशन किया था। स्वयं प्रधानमंत्री ने एक मंच से इस फिल्म का ज़िक्र किया था लेकिन अंततः हुआ क्या ? इस फिल्म की कमाई नहीं बढ़ी। राष्ट्रवादी समूहों और भाजपा को ये अक्ल कौन देगा कि प्रधानमंत्री के भाषण से कोई फिल्म नहीं चलती और न योगी आदित्यनाथ के रुदन से फिल्म के कलेक्शन बढ़ते हैं। सिनेमाघरों में जनता मनोरंजन के लिए फिल्म देखने जाती है। अब उस जनता को राजनीतिक प्रमोशन बिलकुल रास नहीं आते।
उल्टा अब तो ये हो गया है कि भाजपा किसी फिल्म को प्रमोट करती है तो दर्शक उसे देखना पसंद नहीं करते। नेता+बॉलीवुड+राष्ट्रवाद के गठजोड़ की उम्र बीत चली है। ये गठजोड़ दस वर्ष से अधिक चलना भी नहीं था। इस गठजोड़ ने कंगना रनौत और अक्षय कुमार जैसे कलाकारों को बहुत लाभ पहुंचाया । आज लगातार फ्लॉप होने के बाद भी अक्षय कुमार को विज्ञापनों की कोई कमी नहीं है। कुख्यात युट्यूबर एल्विश यादव अपनी दूकानदारी राष्ट्रवाद के सहारे चला रहा है।
‘स्नेक ड्रग केस’ में नाम आने के बाद भी एल्विश की गिरफ्तारी की कोई सूचना नहीं है। भाजपा ने देश में सत्ता प्राप्ति के लिए राष्ट्रवाद का सहारा लिया था और आज मनोरंजन जगत के कुछ लोग राष्ट्रवाद का सहारा लेकर देश और हिंदुत्व की बदनामी कर रहे हैं। राष्ट्रवाद नामक अफीम की चटाई अब बंद होनी चाहिए।