अर्चना कुमारी लोकसभा चुनाव को लेकर कुकी समुदाय के कुछ संगठनों ने घोषणा की है कि वे संघर्ष प्रभावित राज्य में हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद ‘न्याय नहीं तो वोट नहीं’ का आह्वान करते हुए आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।
शनिवार को इम्फाल पूर्वी जिले में दो सशस्त्र समूहों के बीच हुई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई, वहीं शुक्रवार को तेंगनौपाल जिले में सशस्त्र ग्रामीण स्वयंसेवकों और अज्ञात लोगों के बीच हुई गोलीबारी में तीन लोग घायल हो गए।
कुकी समुदाय के लोगों ने घोषणा की है कि वे बहिष्कार के रूप में संसदीय चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतार रहे। वैिक कुकी-जोमी-हमार महिला समुदाय ने पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार को पत्र लिखकर चुनाव बहिष्कार के फैसले की जानकारी दी थी।
यह महिलाओं का एक समूह है जिसमें पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, बाहरी मणिपुर के पूर्व सांसद किम गांगटे और दिल्ली में कुकी-जोमी-हमार महिला मंचों के नेता शामिल हैं। इसके बाद कुकी नेशनल असेंबली और कुकी इन्पी नामक संगठन ने भी संसदीय चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की।
कुकी नेशनल असेंबली के मांगबोई हाओकिप ने कहा, ‘‘हम अपने नेताओं के प्रति अपना असंतोष व्यक्त करते हैं। यह निराशाजनक है कि भारतीय सेनाएं, जो चीन और पाकिस्तान के खतरों को रोकने और उनका मुकाबला करने में सक्षम हैं, नागरिकों को आतंकवादियों से बचाने में विफल रही हैं।
इससे भारतीय संविधान और देश के इस दावे पर से विश्वास उठ गया है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीय नेतृत्व के प्रति अपना क्षोभ प्रकट करने के लिए लोकसभा चुनाव में मतदान से दूरी बनाने को बाध्य हैं।
अगर भारत में परेशानियों को ही हमारा अधिकार समझा जाता है तो हम चुनाव में भाग लेना नहीं चाहते। यह बहिष्कार भारत और दुनिया में हमारे दुख और पीड़ा को जताने का तरीका है।’’ कुकी इन्पी ने भी रविवार को प्रस्ताव पारित कर चुनाव में मतदान से दूरी बनाने की घोषणा की। ‘
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘शांति बनाए रखने और तटस्थ बने रहने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, लेकिन आज उनके कायरें ने लोकसभा चुनाव से पहले कई सवाल खड़े कर दिए हैं।’’
यह संगठन पिछले साल मई में राज्य में जातीयंिहसा भड़कने के बाद चुराचांदपुर में आदिवासी निकायों के समूह के रूप में उभरा था।