रमाशंकर कटारे। जबलपुर के हाईकोर्ट परिसर में एक हनुमान मंदिर है। उसके ठीक सामने भीतरी सड़क है। जब हाईकोर्ट का निर्माण हो रहा था तो नक्शे के अनुसार हनुमानजी का मंदिर सड़क के बीच आ रहा था इसलिए मन्दिर हटाने का निर्णय हुआ। (सेक्युलर लोग यहां हमेशा से रहे हैं) मन्दिर हटा, सड़क बनाना आरम्भ हुआ पर बाधाएं शुरू हो गईं।
यहाँ तक कि रोड रोलर वहाँ जाम हो जाते थे। बहुत प्रयास हुए पर अंत में हनुमानजी की शरण में आना पड़ा, ठीक उसी जगह मूर्ति स्थापना हुई, तब जाकर सड़क पूरी हुई। आज भी हनुमानजी का मंदिर मुख्य भवन के बहुत पास और बाउंड्री से दूर भीतर की ओर स्थित है। मेरा बचपन उसी क्षेत्र में कलेक्ट्रेट और हाईकोर्ट कर्मियों के बीच बीता है, वहीं यह कथा सुनी है।
दूसरी कथा- मेरा सेवाकाल 25 वर्ष GCF जबलपुर में बीता। फेक्ट्री के बाहर पहाड़ी पर हनुमानजी का सिद्ध मन्दिर है जो पाट बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। GCF लगभग 120 वर्ष पुरानी निर्माणी है। इसका निर्माण अंग्रेजों ने किया था। GCF निर्माण कार्यों में भी भारी बाधा आ रही थी। बहुत प्रयासों के बाद भी जब काम आगे नहीं बढ़ा तो अंग्रेजों को हिन्दू पंडित- पुजारी- साधुओं की शरण में आना पड़ा।
अध्ययन पश्चात उन्हें एक स्थान बताया गया जहां जमीन में हनुमानजी की एक मूर्ति दबी हुई थी। अंग्रेजो को बताया गया कि यहां हनुमानजी हैं, इन्हें सामने वाली पहाड़ी पर विधिवत स्थापित कर देने से निर्माण कार्य में बाधा नहीं आएगी। वही किया गया और इस तरह तोप गाड़ी निर्माणी का कार्य पूरा हुआ।
इस सिद्ध मन्दिर के पाटबाबा (हनुमानजी) आज भी लोगों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। हमारे यहां ऐसी सैकड़ों कथाएं हैं। यहाँ इन कथाओं का उद्देश्य वर्तमान घटनाक्रम में जो हुआ उसे बताना है।
उत्तराखंड में जिस सुरंग में कर्मी फंसे थे, उस सुरंग के रास्ते पर एक छोटा सा मन्दिर था, ऐसे मन्दिर हर ग्राम में होते हैं जिन्हें ग्राम देवता कहा जाता है और मान्यता होती है ये देव गाँव की रक्षा करते हैं, तो सुरंग बनाने के दौरान उस मन्दिर को हटा दिया गया था। दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हुई, बचाव कार्य में बहुत बाधाएं आईं। विदेश से मशीनें मंगाई गईं, इंजीनियर, ऑपरेटर भी साथ आये। पिछले कुछ दिनों से एक पोस्ट चल रही है जिसमें विदेशी इंजीनियर वहां एक अस्थायी मन्दिर के सामने हाथ जोड़े बैठा है।
अब धामी भी उसी अस्थाई मन्दिर के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं। सभी भाजपा नेता आज बाबा बौखनाथ की जय जय कर रहे हैं।बाबा बौखनाथ ने यह चमत्कार ही दिखाया है कि 16 दिन तक 41 व्यक्ति सब ओर से बन्द एक कटघरे में सुरक्षित रहे, पहले कुछ दिन तो भोजन पानी भी उपलब्ध नहीं था।
बाबा ने उस अंधे विकास को भी संकेत दिया है जो विकास के नाम पर हमारे मन्दिरों को ध्वस्त करते जा रहा है। इस विकास को कम से कम अब आँखे खोलकर मन्दिरों का विनाश बन्द करना चाहिए।