मानवता के पक्षधर होने का डंका पीटने वाले वामी पत्रकार इतने निष्ठुर होते हैं कि श्रद्धांजलि देने में भी उसके विचार आड़े आ जाते हैं। यह जीता जागता सबूत इंडिया गेट पर उस समय देखने को मिला जब दांतेवाड़ा नक्सली हमले में मारे गए डीडी न्यूज के वीडियो जर्नलिस्ट अच्युतानंद साहू की याद में कैंडल मार्च का आयोजन किया गया। इस आयोजन में दिल्ली भर के पत्रकार शामिल हुए लेकिन एक भी वामी पत्रकार कैंडल मार्च में शामिल नहीं हुआ। इस घटना से यह भी साबित हो जाता है कि उसका मानवतावाद का राग आलापना कितना विकृत है।
Where are so called big journalists in this march ?
What is the difference between Gauri Lankesh & Achyutanand Sahu ?
किसी पर छापा भी पड़े तो लोकतंत्र की हत्या, किसी की हत्या भी हो जाये तो पत्ता नहीं हिलता https://t.co/wjvfrCwLPw
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) November 1, 2018
वामी पत्रकारों की इस मानसिक विकृत का खुलासा दिल्ली के निष्कासित विधायक कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर किया है। अपने ट्वीट में उन्होंन लिखा है कि इस मार्च में कहां हैं स्वघोषित बड़े पत्रकार? इसके साथ ही उन्होंने पूछा है कि आखिर गौरी लंकेश तथा अच्युतानंद साहू में क्या अंतर है? उन्होंने आगे लिखा है कि किसी पर छापा पड़ जाए तो लोकतंत्र की हत्या, और किसी की हत्या हो जाए तो पत्ता तक नहीं हिलता।
मुख्य बिंदु
दांतेवाड़ा नक्सल हमले में मारे गए वीडियो जर्नलिस्ट अच्युतानंद साहू को श्रंद्धांजलि देने पत्रकारों ने इंडिया गेट पर निकाला कैंडल मार्च
जिस प्रकार लुटियंस जोन के अलावा पूरी दिल्ली के वामी-पत्रकारों ने शोक की घड़ी को भी विचारों में बांट दिया है इससे साफ है कि उसका मानववाद भी उसके अन्य विचारों की तरह फेक है। तभी तो इस शोक की घड़ी में उसने अपने विचार को वरीयता दी है मानवता को नहीं। नक्सली हमले में मारे गए अच्युतानंद साहू की याद में निकाले गए कैंडल मार्च में शामिल न होकर वामी पत्रकारों ने जता दिया है कि वह नक्सलियों के साथ है न कि पत्रकारों के साथ।
Delhi: Candlelight march held by journalists at India Gate in memory of DD Cameraman Achyutanand Sahu who lost his life in Dantewada Naxal attack pic.twitter.com/4KpwaNffSx
— ANI (@ANI) November 1, 2018
गौरतलब है कि नक्सलियों ने दांतेवाड़ा नक्सली हमला कर डीडी न्यूज के एक वीडियो जर्नलिस्ट अच्युतानंद साहू की हत्या कर दी थी। उन्ही की याद में दिल्ली के पत्रकारों ने इंडिया गेट पर कैंडल मार्च आयोजित किया था। इस कैंडल मार्च में अधिकांश पत्रकार शामिल हुए लेकिन एक भी वामी पत्रकार इस कैंडल मार्च में शामिल नहीं हुए!
— smita mishra (@missartola) November 1, 2018
URL: leftist-Journalists not involved in candle march for DD cameraman killed in naxal attack
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