श्वेता पुरोहित-
शिवरात्रि व्रत पर अग्नि देव महर्षि वसिष्ठ जी से कहते हैं – वसिष्ठ ! अब मैं भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले ‘शिवरात्रि-व्रत’ का जन करता हूँ; एकाग्रचित्त से उसका श्रवण करो। फाल्गुन के कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी को मनुष्य कामना सहित उपवास करे। व्रत करने वाला रात्रि को जागरण करे और यह कहे- ‘मैं चतुर्दशी को भोजन का परित्याग करके शिवरात्रि का व्रत करता हूँ। मैं व्रतयुक्त होकर रात्रि जागरण के द्वारा शिव का पूजन करता हूँ। मैं भोग और मोक्ष प्रदान करने वाले शंकर का आवाहन करता हूँ। आप नरक-समुद्र से पार करानेवाली नौका के समान हैं; आपको नमस्कार करा जेवाली नौका के राज्यादि प्रदान करनेवाले, मङ्गलमय एवं शान्तस्वरूप हैं; आपको नमस्कार है। आप सौभाग्य, आरोग्य, विद्या, धन और स्वर्ग-मार्ग की प्राप्ति करानेवाले हैं। मुझे धर्म दीजिये, धन दीजिये और कामभोगादि प्रदान कीजिये। मुझे गुण, कीर्ति और सुख से सम्पन्न कीजिये तथा स्वर्ग और मोक्ष प्रदान कीजिये।’ इस शिवरात्रि व्रत के प्रभाव से पापात्मा सुन्दरसेन व्याध ने भी पुण्य प्राप्त किया।
शिवरात्रि के विषय में नारदजी ने बताया है कि –
फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी को ‘शिवरात्रिव्रत’ बताया गया है। उसमें दिन-रात निर्जल उपवास करके एकाग्रचित्त हो गन्ध आदि उपचारों से तथा जल, बिल्वपत्र, धूप, दीप, नैवेद्य, स्तोत्रपाठ और जप आदिसे किसी स्वयम्भू आदि लिङ्ग की अथवा पार्थिक लिङ्गकी पूजा करनी चाहिये। फिर दूसरे दिन उन्हीं उपचारों से पुनः पूजन करके ब्राह्मणों को मिष्टान्न भोजन करावे और दक्षिणा देकर विदा करे। इस प्रकार व्रत करके मनुष्य महादेवजी की कृपा से देवताओं द्वारा सम्मानित हो दिव्य भोग प्राप्त करता है।
आप सबको महाशिवरात्रि की बहुत सारी शुभकामनाएं
🙏 महादेव आप सबका कल्याण करें 🙏🔱🌼🌿