
रोहिंग्या मुसलमानों का नया ठिकाना बना हरियाणा का मेवात!
Archana Kumari. दिल्ली से सटे हरियाणा का मेवात रोहिंग्या मुसलमानों के लिए नया ठिकाना बन रहा है। अचरज की बात यह है कि हरियाणा सरकार को इस बात की जानकारी है लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों को रोके जाने के लिए प्रदेश सरकार कुछ भी ठोस काम नहीं कर रही है।
मेवात हरियाणा का मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां के मुसलमान दिल्ली में घुसकर चोरी डकैती से लेकर कई बड़ी आपराधिक वारदात को अंजाम देते रहते हैं। बताया जाता है कि हरियाणा के मेवात जिले के नूँह में कथित तौर पर बड़ी संख्या में रोहिंग्या बसाए जा रहे हैं और स्थानीय प्रशासन चोरी छुपे इसमें मदद प्रदान कर रहा है।
यह स्थिति तब है जब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इसके मुखिया मनोहर लाल खट्टर हैं। मेवात में अधिकतर मुसलमान रहते हैं और उन लोगों ने रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं ।
स्थानीय लोग रोहिंग्या घुसपैठियों को आश्रय दे रहे हैं। यह एक मुस्लिम बहुल इलाका है। यह इलाका पूरे देश में पशुओं की तस्करी सहित विभिन्न तरह की आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात है।
बताया जाता है कि दिल्ली से बाहर किए गए ज्यादातर रोहिंग्या ने हरियाणा में पनाह ली है। इस बात की जानकारी जब विश्व हिंदू परिषद को मिली तब विश्व हिंदू परिषद ने हरियाणा में रोहिंग्याओं की मौजूदगी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया ।
आपको बता दें कि अभी जब जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या को तुरंत रिहा करने और उन्हें प्रत्यर्पित करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
यह याचिका वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से याचिका दायर की गई है। वैसे हरियाणा सरकार का कहना है कि सरकार राज्य में बसे अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने के प्रयास कर रही है।
सरकार इनके दस्तावेजों की पड़ताल की योजना बना रही है। लेकिन इसमें वक्त लग रहा है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल का दावा है कि यह संख्या लाखों में हैं।
हरियाणा में रहने वाले ज्यादातर रोहिंग्या कथित तौर पर मेवात , फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल और यमुना नगर जिलों में बसे हैं। राज्य के अन्य जिलों में भी रोहिंग्या हैं, लेकिन उनकी पहचान करना मुश्किल है क्योंकि इनमें से ज्यादातर ने फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड बनवा रखे हैं।
विहिप का कहना है कि 2008 से ही देश से रोहिंग्या मुस्लिमों को निकाले जाने को लेकर प्रयास कर रहा है। उस समय दिल्ली से निकाले जाने के बाद ये रोहिंग्या हरियाणा और उत्तर प्रदेश चले गए और वहाँ अपनी बस्तियाँ बसा ली।
अब इन्हें मेवात में मुस्लिमों द्वारा पनाह दी जा रही है। रोहिंग्या चाहते है कि भारत में स्थायी तौर पर रहने के लिए उन्हें रिफ्यूजी का दर्जा दिया जाए। इसको लेकर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार विभाग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया था।
उस समय विश्व हिंदू परिषद ने केंद्र सरकार को 40 पन्नों का पत्र लिखकर इन्हें रिफ्यूजी का दर्जा नहीं देने का आग्रह किया था। साथ ही इससे होने वाले खतरों को लेकर भी आगाह किया था।
विहिप के राष्ट्रीय सचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा था कि इनके विभिन्न देशों के आतंकी संगठनों से संपर्क होने की भी आशंका है। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने देश में रहने वाले रोहिंग्या की संख्या 40 हजार के करीब बताई है, लेकिन असल संख्या लाखों में हो सकती है। कथित तौर पर ज्यादातार रोहिंग्या हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं।
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