हरिद्वार में जितने भी घाट हैं वहां मुख्य रूप से हिंदू माता बहनें स्नान करती हैं, घाटों पर मंदिर भी हैं, पूजा अर्चना भी की जाती है, कई घाट आश्रमों से भी जुड़े हुए हैं।
हालांकि घाटों की संख्या अधिक है पर कुछ ही घाटों पर जालीदार टोपी वाले लोग 10-12 का झुंड बना कर मौका देखते हुए आते हैं और बैठ जाते हैं, कई बार कॉमेंट भी पास करते हुए निकल जाते हैं।
ना ही मंदिर से, ना ही पूजा से, ना ही आश्रमों से इनका कोई लेना देना है पर हिंदू महिलाओं को स्नान करते देखना, घाट पर वहीं जम कर बैठ जाना ये आज से 3 साल पहले भी काफी नॉर्मल था..
केवल एक दिन नहीं बल्कि हर रोज ऐसे घटनाएं हरिद्वार व ऋषिकेश के घाटों पर होती थी, वर्तमान में बिना किसी भय के इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। आज एक व्यक्ति बोला है, सबको बोलना होगा, हमारे धार्मिक स्थल पिकनिक स्पॉट नहीं है।