Archana Kumari. जब से महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार आई है, तब से मुंबई पुलिस अपने विरोधियों को फंसाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। राष्ट्रवादी पत्रकार अर्णव गोस्वामी को झूठे मामले में लपेटने के लिए जिस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को उद्धव ठाकरे सरकार ने जिम्मेवारी देकर महिमामंडित किया था, वह अब खुद अंबानी के घर के समीप विस्फोटक पहुंचाने वाले गैंगस का हिस्सा बनकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी के द्वारा गिरफ्तार हो चुका है।
इस मुद्दे पर Sandeep Deo का Video
इतना ही नहीं उसके खुलासे के बाद मुंबई पुलिस के कई और पुलिस अधिकारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के रडार पर है और उनकी कभी भी गिरफ्तारी की जा सकती है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार और मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह मिलकर नए-नए गुल खिला रहे हैं। माना जा रहा है कि विरोधियों को फंसाने तथा उनसे उगाही किए जाने के लिए इस तरह के हथकंडेे अपनाए जा रहे हैं।
यही वजह है कि पहले सुशांत सिंह राजपूत केस में आरोपियों की बचाने की कोशिश फिर अर्णब गोस्वामी पर हाथ डालने की कार्रवाई के बाद कारोबारी मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर ‘एंटीलिया’ के बाहर विस्फोटक लदी कार पहुंचाई गई थी।
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विवादों में घिरे पुलिस अधिकारी तथाकथित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाझे की गिरफ्तारी भी यही दर्शाता है। राष्ट्रवादी पत्रकार अर्णव गोस्वामी को गिरफ्तार कर चर्चा में आए पुलिस अधिकारी सचिन वाझे ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी से पूछताछ में स्वीकार किया कि उनकी देखरेख में 25 फरवरी को कारमाइकल रोड (एंटीलिया के पास) पर विस्फोटक से लदे स्कॉर्पियो पहुंचाए गए थे और उसने इस वारदात को अंजाम देने वाले गैंग्स का हिस्सा होने की बात कबूल कर ली है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी( NIA) का कहना है कि सचिन वाझे को इस खुलासे के बाद आईपीसी की धारा 286, 465, 473, 506(2), 120 B और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 4(a)(b)(I) के तहत गिरफ्तार किया गया ।
सनद रहेे कि जिस कार में विस्फोटक रखा गया, उस कार मालिक मनसुख की हत्या हो गई थी और उसकी पत्नी ने वाझे पर उनके पति की मौत में संलिप्त होने का आरोप लगाया था।
इस आरोप के बाद सचिन वाझे मुंबई में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश हुए और अपना बयान दर्ज कराया। करीब 13 घंटे तक पूछताछ करने के बाद कई परस्पर विरोधी बयान देने के चलते एनआईए ने इस पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया।
जबकि काफी लंबी पूछताछ के बाद NIA ने सचिन वझे के सहयोगी इंस्पेक्टर रियाझ काजी और अन्य स्टाफ को छोड़ दिया, लेकिन जरूरत पडने पर NIA इन्हे वापस दोबारा पूछताछ के लिए बुला सकती है।
इन लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार लगातार लटक रही है। इस बीच यह भी खुलासा हुआ है जो कार अंबानी के घर के बाहर मिली थी वह मनसुख हिरेन की नहीं बल्कि सैम पीटर न्यूटन की थी।
मनसुख हिरेन ने भी अपनी मौत से पहले क्राइम ब्रांच को दिए बयान में कहा था कि 2016 से उनकी न्यूटन से जान-पहचान है। न्यूटन ने मनसुख हिरेन से उनकी गाड़ी में कुछ ऐक्ससरीज लगवाई थीं, जिसका बिल 2 लाख 80 हजार का बना था।
न्यूटन ने पैसे नहीं चुकाए और बदले में अपनी 13 साल पुरानी कार मनसुख को दे दी थी। बाद में यह कार मनसुख ने सचिन को दे दिया था और सचिन ही इस कार का इस्तेमाल कर रहे थे, जबकि उन्होंन इस कार के चोरी हो जाने की बात कही थी।
इस मामले में उस समय पेंच आया जब पांच मार्च को ठाणे में एक नदी किनारे मनसुख मृत पाए गए । उनकी पत्नी ने दावा किया कि उनके पति ने एसयूवी पिछले साल नवंबर में वाजे को दी थी और उन्होंने फरवरी के पहले हफ्ते में यह कार लौटाई थी।
इतना ही नहीं इस विवादित पुलिस अधिकारी ने मनसुख पर दबाव बनाकर एक वकील के जरिए इस प्रकरण को लेकर शिकायत दर्ज कराया था । NIA का कहना है कि इस केस में आतंकियों से संबंधित कोई एंगल सामने नहीं आया है।
इतना ही नहीं सुरक्षा एजेंसी ने खुलासा किया है कि टेलिग्राम पर मुकेश अंबानी को जैश-उल-हिंद संगठन के नाम से जो मैसेज भेजा गया था वो फर्जी था। ये मैसेज केवल गुमराह करने के लिए भेजा गया था। कहा जा रहा है कि एंटीलिया के बाहर दो कारें पहुंची थी।
एक विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियों और दूसरी इनोवा। आरोपी स्कॉर्पियो को छोड़कर इनोवा में बैठकर फरार हो गए थे। बताया जा रहा है कि इनोवा में मुंबई के मुलुंड टोल नाके पर दो लोगों को जाते हुए देखा गया था।
ये इनोवा मुंबई क्राइम ब्रांच की थी।NIA ने इनोवा कार बरामद की है। इस मामले को लेकर ही क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) के 4 सदस्यों को एनआईए ने पूछताछ के लिए भी बुलाया ।
इसमें दो ड्राइवर और दो अधिकारी हैं, जिसमें रियाज काजी शामिल है। इस बीच दावा किया गया कि वह वही गाड़ी है जो सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दी थी। कहा यह भी जा रहा है कि जो विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो कार रखी गई थी, उसी कार का इस्तेमाल अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए भी किया गया था । इसके बाद ही सचिन का क्राइम ब्रांच से ट्रांसफर कर दिया गया था ।
इस मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने सचिन बजे का नारको टेस्ट किए जाने की मांग की है जबकि शिवसेना सांसद संजय राउत इस विवादित अधिकारी के बचाव में खुलकर सामने आ गए हैं उनका कहना है कि मेरा मानना है कि सचिन वेज़ एक बहुत ही ईमानदार और सक्षम अधिकारी हैं।
उसे जिलेटिन की छड़ें पाए जाने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। एक संदिग्ध मौत भी हुई। मामले की जांच करना मुंबई पुलिस की जिम्मेदारी है लेकिन केंद्र सरकार बेवजह इस मामले को तूल देना चाह रही है इसलिए जांच एनआईए को सौंपा गया।
इस मामले को लेकर सामना में लंबी चौड़ी संपादकीय भी प्रकाशित की गई है इस बीच अदालत ने मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे को 25 मार्च तक NIA की कस्टडी में भेज दिया है जहां अब सुरक्षा एजेंसियों को यह गुत्थी सुलझाना है कि आखिरकार विस्फोटक लदी कार खड़ी करने का उद्देश्य क्या था