अर्चना कुमारी। बात 1998 की है। तब मै एन एस जी (ब्लैक कैट्स) में हुआ करता था। एक दिन हमें सडक मार्ग से पूर्व सी एम स्वर्गीय मुलायम सिंह जी को लेकर लखनऊ से बाहर जाना पड़ा।
जगह जगह गाड़ी रुकवाकर पूर्व सी एम अपने समर्थकों और पत्रकारों से मिलते जुलते रहे। आख़िरकर देर शाम हम इलाहाबाद जा पहुंचे। यहाँ उनका जबरदस्त स्वागत बाहुबली अतीक अहमद और उनके सिपह सालारों ने किया।
पर इलाहाबाद पहुँचने से ठीक पहले पूर्व सी एम ने काफिले रुकवाकर मुझे पास बुलाया और स्पष्ट शब्दों में कहा, “थोड़ी देर हम इलाहाबाद पहुंचेंगे और वहाँ हमें “अतीकवा” मिलेगा। कुछ भी हो जाये, जब तक आपको यकीन न हो, मुझे अतीक के कहने पर कहीं नहीं ले जाओगे और न ही मुझे उसके पास रुकने दोगे। मुझे अतीक पर कोई भरोसा नहीं है।”
स्वर्गीय मुलायम सिंह जी की बातें सुनकर मै सन्न रह गया था, क्योंकि मै “अतीक” को पूर्व मुख्यमंत्री का बेहद करीबी समझता था। ऐसा ही कुछ उन्होंने मधेपुरा में मुझे पप्पू यादव के लिए भी कहा था।
विडंबना देखिये, वक़्त गुजर जाता है, आदमी भी नहीं रहता, पर दशकों बाद भी उसकी कही बातें हमें बरबस याद आ जाती है।
आज न तो मुलायम सिंह इस दुनिया में हैँ और न ही अतीक अहमद, पर उन जैसे नेताओं और सर्मर्थकों के रिश्तों का और कितना आयाम हो सकता है यह बात मेरी समझ से आज भी बाहर की चीज़ है!
जीपी सिंह पूर्व अधिकारी सीआरपीएफ