चंद्रगुप्त हैं “अंकुर-शर्मा” , “संदीप-देव” चाणक्य हमारे ;
सारे हिंदू ! धर्म के योद्धा , सर्वश्रेष्ठ ये कर्म हमारे ।
धर्मयुद्ध चल रहा देश में , अब्बासी-हिंदू म्लेच्छों का साथी ;
पर महामूर्ख हिंदू ! ये समझें , कि ये है अपना-साथी ।
घर में जब गद्दार घुसा हो , हिंदू ! कैसे जीतेंगे ?
सबसे पहले गद्दार हटाओ , तब हिंदू ! निश्चित जीतेंगे ।
“संदीप-देव” से सुनो तरीका , गद्दारों को पहचानो ;
निश्चित विजय तुम्हारी होगी , परम-सत्य इसको मानो ।
महारथी “अंकुर-शर्मा” हैं , ”संदीप-देव” शास्त्रों का बल ;
पांडव सेना की जिसे भूमिका, “एकम् सनातन भारत” दल ।
चल रहा महाभारत है दूसरा , हर-हिंदू इसका योद्धा है ;
विजय सदा ही सत्य की होती , सत्य-मार्ग पर हिंदू-योद्धा है ।
अब्बासी – हिंदू दुर्योधन है और खुद ही धृतराष्ट्र है ;
एकमात्र – उद्देश्य है इसका , चौपट करना राष्ट्र है ।
पूरा – पूरा करेगा चौपट , हिंदू – धर्म मिटा देगा ;
शैतान है ये “वन वर्ल्ड ऑर्डर” का , मानवता को मिटा देगा ।
“वन वर्ल्ड ऑर्डर” का मतलब जानो, पूरी-दुनिया कब्जाना है ;
नब्बे-प्रतिशत लोगों को मारकर, आबादी की बाढ़ घटाना है ।
बहुत बड़े हत्यारे हैं ये , अब्बासी-हिंदू जैसे इसमें हैं ;
जहरीले – टीके लगवाते , कोरोना – टीके जैसे हैं ।
बांझपना लायेंगे टीके , भारत में लगने वाले हैं ;
हिंदू-कन्या ही शिकार बनेंगी , इनको ही लगने वाले हैं ।
इसमें म्लेच्छ ही हमसे अच्छे , टीके न लगवाते हैं ;
जो भी टीका देने आता , उसको मार भगाते हैं ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , अपना – दुश्मन पहचानो ;
अब्बासी – हिंदू जो नेता है , सबसे – बड़ा दुश्मन मानो ।
जितने हिंदू ! महामूर्ख हैं , चरित्रहीन , अज्ञानी हैं ;
अब्बासी-हिंदू का साथ ये देंगे , उनकी जान तो जानी है ।
समझदार जितने भी हिंदू ! धर्म – मार्ग पर चलने वाले ;
पांडव – सेना में आ जाओ , बनो धर्म के रखवाले ।
इस सेना के अर्जुन “अंकुर” , कृष्ण बने “संदीप-देव” ;
बजरंगबली की गदा उठाओ , बोलो हर-हर महादेव ।
धर्मयुद्ध हम ही जीतेंगे , पर लड़ना तो होगा ही ;
सारे हिंदू! कमर को कस लो, “राम-राज्य” पाना हमको ही ।