श्वेता पुरोहित। रामभद्राचार्य को निग्रहाचार्य जी ने भयंकर श्राप दिया है। श्राप में निग्रहाचार्य जी ने क्या कहा? वो कह रहे थे कि रामभद्राचार्य एक पाखंडी व्यक्ति है जो धर्म शास्त्रों की बातों के विक्षिप्त अर्थ बताता है, उसको बहुत अहंकार है. उसका चेला धीरेन्द्र शास्त्री कहता है कि ये रामभद्राचार्य स्वयं ईश्वर है पर मैं ऐसा नहीं मानता. रामभद्राचार्य ने चारों शंकराचार्यों को संस्कृत में शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी है. अरे शंकराचार्य क्या, शंकराचार्यों के शिष्यों के शिष्य भी इसको औए इसके चेलों को संस्कृत शास्त्रार्थ में असानी से पराजित कर सकते हैं.
हिंदू समाज को जोड़ना तुम्हारा काम था पर तुमने सब के बीच में भेद डाल दिया है. आज इस पाखंडी के अज्ञानी चेले ने मुझे एक वैश्या की संतान कह कर अपनी सीमा का उल्लंघन किया है इसलिए आज में इस रामभद्राचार्य को इसके सारे पापों के लिए ब्रह्म दंड दे रहा हूँ.
ये मरणोपरांत रौरवनर्क में ब्रह्मराक्षस बन कर भटकेगा. इसको किसी स्वर्ग लोग या उच्च लोक में स्थान नहीं मिलेगा.
(संस्कृत में दिए श्राप का हिंदी भावानुवाद श्वेता पुरोहित जी द्वारा)