यूपी सरकार पचास पार अक्षम और अकर्मण्य कर्मचारियों को ‘अनिवार्य सेवानिवृत्त’ के तहत बाहर का रास्ता दिखाने पर विचार कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के अंतर्गत काम करने वाले कुल 16 लाख कर्मचारियों में करीब चार लाख कर्मचारियों की पहचान अक्षम और अकर्मण्य के रूप में की गई है। एक तरफ जहां केंद्र में लचर और अकर्मण्य अधिकारियों की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परेशान हैं वहीं यूपी में अक्षम कर्मचारियों की वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ परेशान हैं। लेकिन ये अधिकारी हैं कि उनकी कान पर जू तक रेंगने का नाम नहीं ले रही है। इसलिए केंद्र में जहां मोदी ने सचिव स्तर पर विशेषज्ञों की बहाली का रास्ता साफ कर दिया है वहीं यूपी में अब योगी अपने अक्षम कर्मचारियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है।
मुख्य बिंदु
* पचास पार अक्षम बाबुओं को डंप करने पर गंभीरता से विचार कर रही है योगी सरकार
* कुल 16 लाख कर्मचारियों में से 4 लाख अक्षम और अकर्मण्य कर्मचारियों की हुइी पहचान
कांग्रेस के इतने सालों के राज में अकर्मण्य नौकरशाहों ने पूरी व्यवस्था को ही लचर बनाकर रख दिया है। वहीं यूपी में अक्षम कर्मचारियों की भर्ती कर पूर्ववर्ती सरकारों ने पूरी व्यवस्था को ही ध्वस्त कर दिया है। केंद्र में मोदी और यूपी में योगी दोनों काम करने वाले हैं लेकिन उनकी गति के हिसाब से अधिकारी साथ ही नहीं दे पाते। तभी तो सरकार ने सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों से अपने-अपने कर्मचारियों के कार्य और उनके संपादित कार्यों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट 31 जुलाई तक देने को कहा है। इसी रिपोर्ट के आधार पर उन अक्षम और अकर्मण्य कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत के तहत बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
यूपी सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने सभी विभाग प्रमुखों को पत्र जारी कर पचास पार उन सभी कर्मचारियों की विस्तृत रिपोर्ट बना कर 31 जुलाई तक भेजने को कहा है जिन्हें अनिवार्य सेवानिृत देने पर विचार किया जा रहा है। पत्र में 31 मार्च 2018 को कट ऑफ डेट रखने को कहा गया है। इसका मतलब स्पष्ट है कि इसी तारीख को 50 साल होने वाले सभी अधिकारियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। पत्र में यह भी कहा गया है कि नियम के अनुसार कोई भी कर्मचारी चाहे वह नियमित हो या अनियमित सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुन सकता है।
वहीं इस मामले में यूपी सचिवालय कर्मचारी एसोसिएश के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्रा ने सरकार के इस कदम को कर्मचारियों को डराने वाला बताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में अभी तक सरकार का पत्र नहीं मिला। जब पत्र मिलेगा तभी इस मामले में अगला कदम उठाने पर विचार किया जाएगा।
URL: non active employees will shown the exit route under compulsory retirement by yogi govt
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