आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसी टेक्नांलजी है जो सामाजिक क्षेत्रों में विकास लाने हेतु भारत के लिये बहुत सहायक सिद्ध होगी, फिर चाह वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य सेवायें का क्षेत्र हो या फिर कृषि विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर का क्षेत्र हो. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत एक विश्व स्तर वर्चुयल सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. रेज 2020 (रिस्पांस्बिल एआइ फॉर सोशल इंपावरमेंट ) सम्मेलन का आज प्रधानमंत्री मोदी उद्घाटन करेंगे.
अक्टूबर 5 से अक्टूबर 9 तक चलने वाला यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सम्मेलन इस प्रकार का पहला वर्चुयल सम्मेलन होगा जिसमे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उसके प्रयोग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे विश्व भर के विशेषज्ञ और डेलिगेट्स सम्मिलित होंगे.
इस सम्मेलन की चर्चा का एक अहम केंद्र्बिंदु यह भी रहेगा कि कोरोना वायारस जैसी महामारी से निबटने के लिये या आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स जैसी टेक्नांलजी को किस प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त्त डिजिटाइज़ेशन में इनोवेशन का महत्व और किस प्रकार से सफल्ल इनोवेंशंस के लिये टाई अप के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नांलजी का प्रयोग किया जा सकता है, इन मुद्दों पर भी चर्चा होगी.
भारत सरकार मुख्य रुप से स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, स्मार्ट मोबिलिटी आदि क्षेत्रों मेंमें आर्टीफिशियल इंट्लिजेंस के योगदान को बढावा देना चाहती है. इसके लिये सरकार ने पिछले वर्ष ए आई के लिये एक राष्ट्रीय प्रोग्राम की भी घोषणा की थी. भारत सरकार का विज़न है कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस देश के विकास से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का एक अहम हिस्सा होगा.
इस साल जून में इलेक्ट्रॉनिक्स, आइटी मंत्रालय के National e-Governance Division के समर्थन से नैसकॉम का National Artificial Intelligence (AI) Portal लाइव हो गया है। यदि आंकड़ों की बात करें अतो Orion Market Research के हिसाब से 2018 में भारत का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ख़र्च 109.6% बढ़ कर 665 मिलियन डॉलर हो गया है।