अर्चना कुमारी । दिल्ली पुलिस ने कंझावला मामले में घोर लापरवाही बरती है और एक-एक कर लापरवाही के खुलासे हो रहे हैं । पहले पांच आरोपियों के इस घटना में शामिल होने का दावा किया गया था लेकिन अब पुलिस के अनुसार आरोपियों की संख्या 7 हो गई है।
पुलिस ने दावा किया कि दो और लोगों ने वास्तविक तथ्यों को छुपाने में आरोपी की मदद की है। पुलिस दोनों को गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है। माना जा रहा है कि इस मामले में पुलिस ने जांच में प्रारभिंक तौर पर लापरवाही बरती और अब पुलिस टीम सिरे से जांच में जुटी हुई है। लेकिन उसकी लापरवाही के धीरे-धीरे लोगों के सामने आ रहा है, जिससे पुलिस की छवि निरंतर धूमिल होती जा रही है।
विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा, 18 टीमें सभी पहलुओं पर मामले की जांच कर रही हैं। टीमों ने घटनास्थल का मुआयना भी किया है और शव का पोस्टमार्टम किया गया है। पांच आरोपी पुलिस हिरासत में हैं और पूछताछ जारी है और जो भी नए सुराग सामने आए हैं, उनकी पुष्टि की जा रही है। पास इस बात के वैज्ञानिक सबूत हैं कि दीपक ने कार चलाने का दावा किया है, लेकिन वास्तव में अमित कार चला रहा था, जिसके पास ड्राइवग लाइसेंस नहीं था। ऐसा दीपक ने अमित को बचाने के लिए किया।
उन्होंने कहा कि अब तक की जांच और कॉल डिटेल के अनुसार मृतका और चश्मदीद का आरोपियों से कोई संबंध नहीं है। पुलिस ने कहा कि इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी निधि का 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज किया गया है। लेकिन पुलिस अब तक यह पता नहीं लगा पाई है कि वह लगातार क्यों झूठ बोल रही है। सागरप्रीत हुड्डा ने कहा कि हत्या का मामला अभी तक नहीं बना है क्योंकि हत्या के लिए एक मकसद की जरूरत है लेकिन अब तक की जांच में कोई मकसद सामने नहीं आया है।
गौरतलब हो कि पीड़िता का पोस्टमॉर्टम राजधानी के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) में तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड द्वारा किया गया है। मृत्यु का अंतिम कारण सिर, रीढ़, बाएं फीमर, दोनों निचले अंगों में चोट के कारण सदमा और रक्तस्रव होना था। पुलिस ने कहा कि पीड़िता को चोटें संभावित वाहन दुर्घटना और घसीटने से आयी हैं रिपोर्ट में यौन उत्पीडन की कोई बात सामने नहीं आयी है।
इस बीच में मृतका के परिजनों तथा आम जनों ने इंसाफ पाने के लिए प्रदर्शन किया । उनका कहना था कि हत्यारे को फांसी होनी चाहिए जबकि घटना में जान गंवाने वाली युवती के परिजनों और पड़ोसियों ने बृहस्पतिवार को सुल्तानपुरी थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस विरोधी नारे लगाते हुए दोषियों को फांसी देने की मांग की। विरोध प्रदर्शन के चलते इलाके में जाम लग गया। प्रदर्शनकारियों ने सभी पांचों आरोपियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्हें फांसी देने की मांग की। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, यह कोई हादसा नहीं है। जानबूझकर ऐसा किया गया।
इसे हत्या के तौर पर देखना चाहिए। उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया कि इसे हत्या का मामला मानकर प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 भी जोड़ी जाए। इस अवसर पर मौके पर जमकर हंगामा हुआ और लापरवाही का आरोपी झेल रही पुलिस मूकदर्शक बनी रही। हैरानी की बात यह है कि अब तक इस मामले को लेकर किसी भी पुलिस की जिम्मेदारी तय नहीं की गई और उन्हें अब तक निलंबित नहीं किया जा सका है।