कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अकसर जब भारत से गायब हो जाते हैं तो उनकी पार्टी की ओर से यही कहा जाता है कि वह सोनियाजी की बीमारी का इलाज कराने जा रहे हैं? कभी कहा जाता है कि वह सोनियाजी का रूटीन चेकअप कराने जा रहे हैं! इस बार भी कर्नाटक चुनाव के बाद जब दोनों मां-बेटे गायब हुए तो उनकी पार्टी की ओर से यही कहा गया। हालांकि इस बार राहुल गांधी ने भी ट्वीटर पर यह सूचना दी कि वह सोनियाजी का रूटीन चेकअप कराने विदेश जा रहे हैं! आखिर सोनियाजी को क्या बीमारी है, जो पिछले 7 साल से ठीक ही नहीं हो रही है? जबकि मोदी सरकार के दो अति महत्वपूर्ण मंत्रियों-सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जी की किडनी फेल होने की सूचना भी आई और एम्स में ही उनकी किडनी का प्रत्यारोपण भी हो गया! लेकिन सोनियाजी की रहस्यमयी बीमारी, कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेतीं और न ही भारत में उसका इलाज ही दिखता है?
यह बात सन् 2011 की है, जब पहली बार सोनिया गांधी की रहस्यमयी बीमारी मीडिया हाउस के अंदर चर्चा के केंद्र में होती थी! हालांकि इससे जनता को कभी अवगत नहीं कराया गया कि उन्हें क्या बीमारी है? मैं उन दिनों ‘नईदुनिया’ अखबार के दिल्ली ब्यूरो में प्रमुख संवाददाता था। हमारे राजनीतिक संपादक ही कांग्रेस और यूपीए सरकार का अहम विभाग कवर करते थे। विचारधारा के स्तर पर कांग्रेस उनके खून में बहता था। जब पहली बार उनके उदास लटके हुए चेहरे से टपकती दर्द भरी आवाज में सुना कि सोनियाजी बीमार हैं, तो मुझे हंसी आ गयी!
किसी की बीमारी पर नहीं हंसते, यह जानते हुए भी हंसी आ गयी! दरअसल हंसी मुझे सोनियाजी की बीमारी पर नहीं, अपने राजनीतिक संपादक द्वारा गम दिखाने की नाटकीय मुद्रा पर आयी थी। वह एक नकली गम था और यह दिखाने की कोशिश थी कि वह सोनियाजी के कितने करीब हैं और उनके लिए कितने दुखी हैं!
मैंने तपाक से पूछ लिया, ‘तो सर उनकी बीमारी के बारे में स्टोरी करेंगे न?’
‘तुम्हारा दिमाग खबरा है!’ उन्होंने कहा।
‘क्यों सर?’
‘क्या किसी की नीजी जिंदगी में दखल देना उचित है?’
‘इसमें निजी जिंदगी की क्या बात है। आखिर वह देश की सबसे बड़ी और सत्तासीन पार्टी की नेता हैं। उनके इतने समर्थक और मतदाता हैं, क्या उन्हें जानने का हक नहीं है कि उनकी नेता सही हैं या नहीं?’
‘तुम अपना काम करो?’ उन्होंने कहा।
मेरे अखबार की तरह पूरी मीडिया की हालत थी। एक लाइन का प्रेस वक्तव्य छपता था- ‘यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी बीमार। इलाज के लिए विदेश रवाना।’
मुझे बड़ी ताज्जुब होती थी कि आखिर ऐसी क्या रहस्यमयी बीमारी है, जिसे देश की जनता से छुपाया जा रहा है और जिसे छुपाने में मीडिया कांग्रेस के साथ भागीदारी कर रही है।
उस दौर में रोज एक घोटाला खुलता था। 2जी से लेकर कोलगेट तक करीब 12 लाख करोड़ का घोटाला यूपीए सरकार के समय हुआ था। उसी समय बाबा रामदेव और अन्ना का आंदोलन भी भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहा था। मैंने नोट किया था कि जब भी रामदेव या अन्ना अनशन की शुरुआत करने जा रहे होते थे, सोनिया गांधी परिवार के साथ विदेश चली जाती थी, उसी रहस्यमयी बीमारी का इलाज कराने!
यूपीए प्रथम के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रेस सलाहकार रहे संजय बारू तो कांग्रेस कवर करने वाले पत्रकारों के पालतू व्यवहार से इतने दुखी हुए कि उन्होंने एक संपादकीय ही लिख दिया। उन्होंने लिखा था कि कांग्रेस कवर करने वाले पत्रकार कांग्रेस कार्यालय जाते हैं, सोनियाजी की बीमारी के बारे में जो प्रेस वक्तव्य उन्हें दिया जाता है, उसे लेते हैं और चले आते हैं। एक सवाल तक कांग्रेस के प्रवक्ताओं से नहीं पूछते कि आखिर सोनिया जी को क्या बीमारी है? कांग्रेस कवर करने वाले पत्रकार वैसे भी गांधी परिवार की चकाचौंध में गुलाम मानसिकता के हो जाते हैं, जिनके अंदर सवाल पूछने की ताकत ही नहीं बचती है! देश 70 साल से इसी कोढ़ की खाज से तो परेशान है!
आज सात साल बाद भी राहुल गांधी अपनी गुपचुप विदेश यात्रा के लिए सोनिया गांधी की रहस्यमयी बीमारी की जांच का ही एक्सक्यूज ले रहे हैं, तो आश्चर्य होता है कि ऐसी क्या बीमारी है जो सात साल से ठीक ही नहीं हो रही है? ऐसी क्या बीमारी है, जिसका इलाज भारत में संभव ही नहीं है? क्या कारण है कि दिल्ली या देश के एक भी अस्पताल पर सोनिया गांधी को भरोसा नहीं है कि वह उनकी रहस्यमयी बीमारी का इलाज कर पाएंगे?
मोदी सरकार के दो ताकतवर मंत्री सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने खुद ट्वीट कर जनता को बताया कि उनकी किडनी खराब है, जिसका ट्रांसप्लांट एम्स अस्पताल में हुआ है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना रुटीन चेकअप एम्स में करा चुके हैं। तो फिर सोनिया क्या खुद को महारानी समझते हुए अपने आप को संवैधानिक पदों से उपर मानती हैं? जब सरकार के मंत्री जनता को यह बता सकते हैं कि वह बीमार हैं, जो फिर सोनिया गांधी इस देश की जनता को अपनी बीमारी के बारे में क्यों नहीं बताना चाहती? क्या वह इस खुले लोकतंत्र में खुद को क्लियोपेट्रा की तरह रहस्यमयी बनाए रखना चाहती हैं?
जब मोदी सरकार और उनके मंत्रियों को इस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा है तो फिर सोनिया गांधी को इस देश की स्वास्थ्य सेवा पर भरोसा क्यों नहीं है? 70 साल में से करीब 42 साल उनके परिवार का शासन रहा, क्या वह मानती हैं कि उनका परिवार एक भी ऐसा अस्पताल देश को नहीं दे पाया, जो उनका सही इलाज कर सकता हो?
आज कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार केवल इसलिए मंत्रीमंडल का गठन नहीं कर रही है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस देश में नहीं हैं! दोनों रहस्यमयी बीमारी के रहस्य में विदेश यात्रा पर गये हुए हैं! लोकतंत्र का इससे बड़ा अपमान क्या होगा कि कर्नाटक का मुख्यमंत्री कहता है कि वह जनता के प्रति नहीं, गांधी परिवार के प्रति वफादार है!
Will be out of India for a few days, accompanying Sonia ji to her annual medical check up.
To my friends in the BJP social media troll army: don’t get too worked up…I'll be back soon!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 27, 2018
आज भी मेरे उस समय के संपादक एक अखबार में हैं, लेकिन आज भी वह और उनकी जमात उसी तरह सोनिया गांधी की बीमारी के रहस्य को बनाए हुए हैं, जैसे आज से सात साल पहले तक बनाए हुए थे! यह पत्रकार जमात तब जर्नादन द्विवेदी या आनंद शर्मा के दिए प्रेस रिलीज को छापने वाला ‘पालतू’ था, आज राहुल गांधी के ट्वीट को छापने वाला ‘गुलाम’ है! सरकार बदल गयी, लेकिन इनकी गुलाम मानसिकता कहां बदली है?
सोनिया गांधी ने आजतक केवल चार पत्रकारों को साक्षात्कार दिया है-राजीव शुक्ला, शेखर गुप्ता, राजदीप सरदेसाई और अरुणपुरी। राजदीप सरदेसाई और अरुणपुरी ने तो हाल में उनका साक्षात्कार किया है, लेकिन सोनिया की पसंद और नापसंद पूछने वाले दोनों चापलूस पत्रकार यह तक नहीं पूछ पाए कि ‘मालकिन आपको क्या बीमारी है?’
दरअसल जिस तरह सोनिया गांधी की बीमारी रहस्यमयी है, उसी तरह कांग्रेस की पूरी कार्यप्रणाली भी रहस्यमयी रही है। तभी तो मनमोहन सिंह की सरकार के समय देश का 12 लाख करोड़ रुपया लूट लिया गया, 52 लाख करोड़ रुपये बैंक का लेकर कारपोरेट और धन्ना सेठों को दे दिया गया, लेकिन गांधी परिवार निर्दोष बना रहा! आज जब नरेंद्र मोदी की सरकार इसे वसूलने में लगी है है तो मां-बेटे के सभी ‘पालतू’ एक साथ भौं..भौं.. करने में जुटे हुए हैं।
सोनिया गांधी की रहस्यमी बीमारी और अरुण जेटली-सुषमा स्वराज का खुलकर अपनी बीमारी के बारे में बताना, यह दो पार्टियों की कार्यप्रणाली को बताने के लिए काफी है। लोकतंत्र कहां और किस पार्टी में है? कौन-सी पार्टी जनता के प्रति जवाबदेह और संवेदनशील है? किस पार्टी के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री को बार-बार कटघरे में खड़ा किया जाता है और किस पार्टी की सर्वेसर्वा को छुईमुई बनाकर पेश किया जाता है? यह जनता के सामने स्पष्ट है। फैसला आप माई-बाप जनता ही करें!
URL: privacy surrounding Congress president Sonia Gandhi’s medical condition
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