भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जांच करने के बाद आखिरकार पुणे पुलिस ने अपना आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। पांच हजार पृष्ठों वाले अपने इस आरोप पत्र में पुलिस ने अर्बन नक्सलियों और यलगार परिषद पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या कर देश में गृहयुद्ध कराने की साजिश करने का आरोप लगाया गया है। पुलिस का कहना है कि देश के खिलाफ युद्ध के लिए नक्सली हथियार इकट्टा करने के प्रयास कर रहे थे।
मुख्य बिंदु
- भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के बाद पुणे पुलिस ने पांच हजार पन्ने का आरोप पत्र दाखिल किया
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पुलिस ने अर्बन नक्सलियों और यलगार परिषद पर युद्ध के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए हथियार जमा करने का लगाया है आरोप
भीमा कोरेगाव हिंसा के अलावा यलगार परिषद मामले की जांच करने वाली पुणे पुलिस ने ही देश के अलग-अलग स्थानों से दो बार में 10 अर्बन नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का कहना है कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की आर्थिक मदद से ही भीमा कोरेगांव में यलगार परिषद ने सभा का आयोजन किया था। इसी आयोजन की वजह से बाद में हिंसा भड़क उठी थी जिसमें कई लोग घायल हो गए थे और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। पुलिस का कहना है कि रोना विल्सन और भगोड़े किशन दा समेत कई माओवादी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश रच रहे थे। मोदी की हत्या की साजिश का दावा करते हुए पुलिस ने माओवादी नेताओं के ठिकानों से कुछ दस्तावेज भी जब्त किए हैं। वह देश में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा करने के लिए हथियारों का जखीरा हासिल करने की भी फिराक में थे। भाकपा (माओवादी) देश में लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने की दिशा में लगातार काम कर रहे थे।
पुणे पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र में उन पांच अर्बन नक्सलियों के भी नाम है जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आरोप पत्र में जिनके नाम हैं उनमें रोना विल्सन, नागपुर के वकील सुरेंद्र गडलिंग, नागपुर विवि की प्रोफेसर शोमा सेन, रिपब्लिकन पैंथर्स के कार्यकर्ता सुधीर धवले एवं महेश राउत शामिल हैं। पुलिस ने इस मामले में अपना आरोप पत्र यलगार परिषद मामले के जांच अधिकारी एसीपी शिवाजी पवार ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के.डी.वाडणो की अदालत में दाखिल की है। आरोपपत्र में शामिल मिलिंद तेलतुंबणो, प्रकाश उर्फ रितुपम गोस्वामी, प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, मंगलू एवं दीपू अभी भी पुलिस की गरिफ्त से बाहर हैं।
आरोप पत्र में पुलिस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भीमा कोरेगांव की हिंसा पूर्वनियोजित थी। मालूम हो कि इन सभी ने यलगार परिषद के माध्यम से एक सभा आयोजित कर ऐसे संदेश प्रसारित करवाए जिसकी उत्तेजना से एक जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी। देखते ही देखते तीन दिनों तक पूरे राज्य में हिंसा का वातावरण बना रहा। पुलिस ने इस मामले की जांच करते हुए छह जून को सुरेंद्र गडलिंग, शोमा सेन, सुधीर धवले, महेश राउत एवं रोना विल्सन को गिरफ्तार कर सब पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इसी मामले में 28 अगस्त को पुणे पुलिस ने एक बार फिर पांच माओवादी कार्यकर्ताओं वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा एवं वर्नन गोंसाल्विस के घरों पर छापे मारे थे।। लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन लोगों को अपने ही घरों में नजरबंद कर दिया गया।
URL : pune police filed chargesheet against urban naxal on conspiracy!
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