
SC ने आलोक वर्मा को किया ‘शक्तिहीन’!
सीबीआई में बढ़ी अंतर्कलह की वजह से बलात छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने काम पर लौटने का आदेश दिया हो, लेकिन इतना तो तय है कि उन्हें शक्तिहीन बना कर अपने पद पर भेजने का आदेश दिया है। लेकिन जो लोग ये मान रहे हैं कि इससे मोदी सरकार को झटका लगा है उन्हें कोर्ट के आदेश और सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति से लेकर हटाने तक की प्रक्रिया को एक बार फिर से पढ़ना चाहिए। आलोक वर्मा के मामले में भले ही कोर्ट ने उन्हें काम पर लौटने का आदेश दिया हो, लेकिन असली निर्णय तो सेलेक्ट कमेटी ही करेगी। इसलिए आलोक वर्मा के भविष्य का फैसला होने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा। तब तक वे कोई रणनीतिक निर्णय नहीं ले सकेंगे। उनके मामले में भी कमेटी ही फैसला लेगी। वैसे भी आलोक वर्मा का कार्यकाल महज 23 दिन का बचा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी राहुल गांधी चिल्ला रहे हैं। सीवीसी के निर्देश पर आलोक वर्मा को बलात छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को राहुल गांधी ने एक बार फिर राफेल से जोड़ने का प्रयास किया है। इस मामले को लेकर इंडिया स्पीक्स डेली के संस्थापक संपादक संदीप देव ने त्वरित टिप्पणी की है। आप स्वयं उनकी सारगर्भित टिप्पणी सुनिये और राहुल गांधी की अज्ञानता समझिए।
#SupremeCourt verdict in #CBIvsCBI: #AlokVerma can't take "any major policy decisions till the decision of the Committee". Also, he can only look at "ongoing routine
functions without any fresh
initiative, having no major policy or institutional implications." @News18Courtroom pic.twitter.com/TCKbmhJ2j3— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) January 8, 2019
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि बगैर कुछ जाने-समझे राहुल गांधी हर मंच से मोदी सरकार पर सीबीआई के निदेशक को हटाने का आरोप लगा रहे थे। जबकि राहुल गांधी को छोड़कर सबको पता था कि आलोक वर्मा को बलात छुट्टी पर भेजा गया था न की हटाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने जिस प्रकार आलोक वर्मा को कार्य करने का आदेश दिया है, उससे उनके रहने और न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, न तो नीतिगत न ही संस्थागत।
अब जब आलोक वर्मा का कार्यकाल महज 23 का बचा है तो ऐसे में एक सप्ताह का वक्त उनका भविष्य तय होने में लग जाएगा। क्योंकि असली अधिकार उन्हें तब तक नहीं मिलेगा जब तक कि सेलेक्ट कमेटी फैसला नहीं सुना देती। मालूम हो कि सीबीआई निदेशक चुनने वाली चयन समिति में तीन सदस्य होते हैं। प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली चयन समिति उनके अधिकार पर निर्णय करेगी। मालूम हो कि प्रधानमंत्री आलोक वर्मा को दोबारा नियुक्त करने के पक्ष में नहीं होंगे वहीं नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे किसी भी तरह राहुल गांधी के खिलाफ नहीं जाएंगे ऐसे में वे आलोक वर्मा की वापसी ही चाहेंगे। ऐसे में एक बार फिर गेंद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के हाथ ही में होगा। अब देखना है कि न्यायमूर्ति गोगोई का क्या फैसला होता है।
गौरतलब हो कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा तथा संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना के बीच आपसी कलह ने इतना तुल पकड़ लिया कि पूरी सीबीआई की साख ही दांव पर लग गई। ऐसे में सीवीसी की अनशंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आलोक वर्मा तथा राकेश अस्थाना दोनों को बलात छुट्टी पर भेज दिया। बाद में आलोक वर्मा ने अपने खिलाफ हुई कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को राहत देते हुए काम पर वापस आने का फैसला दिया है। लेकिन इस बार आलोक वर्मा को शक्तिहीन होकर काम करना होगा। काम क्या करना होगा दफ्तर आकर रूटीन का काम निपटाना होगा।
URL : Rahul Gandhi shouted as SC did Alok Verma ‘powerless’ !
Keyword : CBI Vs CBI, SC verdict, Alok verma, Rahul Gandhi, PM Modi, सीवीसी, सेलेक्ट कमेटी
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