विपुल रेगे। तमिल फिल्म निर्देशक एटली कुमार की ‘जवान’ बॉक्स ऑफिस पर दौड़ पड़ी है। लगभग 250 करोड़ की लागत से बनाई गई ये फिल्म जबरदस्त एंटरटेनर सिद्ध हो रही है। पहले दिन दर्शकों का प्रतिसाद देखकर एटली कुमार और शाहरुख़ खान इसकी बड़ी सफलता के प्रति आश्वस्त होंगे। संभावना है कि ‘जवान’ शाहरुख़ की ‘पठान’ से अधिक हंगामा मचा सकती है और सनी देओल की सुपर ब्लॉकबस्टर ‘ग़दर 2’ के सामने बड़ी चुनौती पेश कर सकती है। ये मल्टीस्टारर फिल्म दर्शकों द्वारा ‘क्लीन चिट’ देकर पास कर दी गई है।
एटली कुमार को बड़े सितारों का स्पेशलिस्ट कहा जाता है। वे विजय और नयनतारा जैसे बड़े सितारों से काम निकलवाने के लिए जाने जाते हैं। ‘जवान’ के बाद अरुण उर्फ़ एटली को शाहरुख़ स्पेशलिस्ट के नाम से भी जाना जाएगा। ‘जवान’ के प्रोमो और ट्रेलर से ही इसकी बड़ी सफलता की महक आने लगी थी। दर्शक ने मानसिकता बना ली थी कि उसे पूरा मनोरंजन मिलेगा। एटली कुमार ने दर्शकों के पूर्वानुमान को सही सिद्ध करते हुए एक जानदार और शानदार फिल्म डिलीवर की है।
ये एक आर्मी ऑफिसर विक्रम राठौड़ की कहानी है। विक्रम राठौड़ एक मिशन पर जाता है और वहां उन्हें दी गई राइफल्स फेल हो जाती है। विक्रम इस आर्म डीलर काली गायकवाड़ पर जाँच बैठा देता है। यहाँ से दोनों के बीच दुश्मनी हो जाती है। ये दुश्मनी इनकी अगली पीढ़ी तक चलती है। इससे अधिक कहानी के बारे में बताना ‘spoiler’ हो जाएगा। एटली ने एक मुकम्मल फिल्म बनाई है। वे आम जनता के लिए फ़िल्में बनाते हैं और विशुद्ध मनोरंजन उनकी पहली शर्त है। इस शर्त पर ‘जवान’ खरी उतरती है। इसमें आपको हंगामेदार एक्शन, देशभक्ति का तड़का, भावनाओं का तूफ़ान मिलेगा।
ये एक ऐसी दक्षिण भारतीय थाली है, जिसमे तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन रखे गए हैं। शाहरुख़ खान को इस तमिल थाली का ‘सांभर’ कहा जा सकता है। इस सांभर के बिना ये पूरी थाली बेस्वाद और बेमज़ा है। शाहरुख़ ने दोहरी भूमिका निभाई है और सबसे अधिक तालियां उनके ‘बूढ़े अवतार’ के हिस्से में आई हैं। अब तक हिन्दी पट्टी के दर्शकों ने शाहरुख़ का ये अवतार नहीं देखा था। एटली ने उन्हें बहुत अलग ढंग से पेश किया है। जननायकनुमा रॉबिनहुड की भूमिका उन्होंने अपने कॅरियर में कभी नहीं की थी। इस बार वे इसी अवतार में हैं और दर्शकों ने उनका स्वागत किया है।
दीपिका पादुकोण को एक छोटे से किरदार में देख आश्चर्य हुआ। इस किरदार को दीपिका ने गजब की ऊर्जा के साथ निभाया है। एक्शन अवतार में दीपिका बहुत स्वाभाविक लगती हैं। नयनतारा एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में दिखाई दी हैं। उनके साथ शाहरुख़ का रसायन काम करता है। मुख्य विलेन के तौर पर विजय सेतुपति ने कमाल किया है। ये एक क्रूर और शक्तिशाली विलेन है। ऐसे विलेन रखे जाते हैं तो फिल्म में भरपूर ‘कंट्रास्ट’ बना रहता है। शाहरुख़ की महिला ब्रिगेड में सान्या मल्होत्रा, प्रियामणि और रिद्धि डोगरा के किरदार बेहतरीन हैं। एक्शन सीक्वेंस धमाकेदार हैं। शाहरुख़ के बूढ़े अवतार के लिए शानदार एक्शन रखे गए हैं।
संगीत पक्ष कमज़ोर है लेकिन बैकग्राउंड स्कोर उम्दा है। ये फिल्म आपको रोमांच में डूबा देती है, आंसुओं में भीगा देती है और देश के राजनीतिक सिस्टम पर भी प्रहार करती महसूस होती है। शाहरुख़ की ये फिल्म जैसे ही फ्लोर पर आई, उनका विरोध करने वाले गिरोह भी सक्रिय हो गए। हालांकि उनका विरोध सिमट कर रह गया। इन दिनों देश में किसी फिल्म के बहिष्कार के आव्हान को गंभीरता से नहीं लिया जाता। अब लोग समझ चुके हैं कि ये सारा खेल राजनीति प्रेरित होता है। निश्चित ही युवा दर्शकों पर इन बातों का असर नहीं होता। फिल्म देखने के लिए ऐसा माहौल बना कि सुबह 7 बजे के शो हॉउसफुल हो गए।
शाहरुख़ की नई पारी में वे ‘पठान’ दे चुके हैं और अब उन्होंने ‘जवान’ डिलीवर की है। बाहें फैलाकर गीत गाने वाले ‘राहुल’ की मौत हो चुकी है। अब उसकी जगह एक एंग्री यंग मैन की छवि ने ले ली है। कॅरियर के बचे हुए सालों में ‘राहुल’ की वापसी नहीं होगी। शाहरुख़ अपने कॅरियर के ‘स्लॉग ओवर’ में रोमांस के टेस्ट मैच खेलने के बजाय एक्शन के छक्के मारना अधिक पसंद करेंगे। इस फिल्म में आपको कोई धार्मिक विवाद नहीं मिलेगा लेकिन मौजूदा सरकार के लिए एक सटीक संदेश अवश्य देखने को मिलेगा। इसमें कोई अश्लीलता नहीं है इसलिए परिवार के साथ देखी जा सकती है।