ये रशिका हैं। मशहूर एक्टर मोहम्मद जिशान की पत्नी। रशिका का हिंदू परिवार संघ से जुड़ा है। रशिका भी संघी थी, संघ की समिति में जाती थी। लेकिन उसे नाटक के दौरान प्रेम मोहम्मद जिशान से हुआ। यह अभी तक विशुद्ध प्रेम का ही मामला है और दोनों की ज़िंदगी पर मुझे टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
मेरी टिप्पणी संघ और उससे जुड़े परिवारों पर है। बिना शास्त्र, बिना धर्म जाने केवल नारे पीटते संघ परिवार से इसी तरह का हिंदुत्व निकलता है। आप संघ या भाजपा के पदाधिकारियों के घरों को भी देखें! वहां भी बड़ी संख्या में मुस्लिम-ईसाई परिवार में आपको उनकी या उनके बच्चों की ‘शादी’ मिल जाएगी! एक संघ प्रमुख तो नमाज पढ़ने ही पहुंच गये थे!
हमारा शास्त्र अनुलोम और प्रतिलोम विवाह की बात करता है। वह क्यों करता है? हमारे शास्त्रों में आठ प्रकार का विवाह है। विवाह कोई भी अमान्य नहीं है, लेकिन उसकी क्वालिटी बताई गई है।
संघ की शाखाओं या संघियों के घरों में निश्चित रूप से इस पर बात नहीं होती है। असल में वो किसी हिंदू शास्त्र और अनुष्ठान को धर्म रूप से नहीं मानते, इसलिए उनके परिवार के बच्चों के खाली दिमाग में कोई कभी भी कुछ भी भर सकता है! जैसे बाद में नाटक के दौरान रशिका के दिमाग में बाबरी विध्वंस और मंदिर निर्माण एक अपराध भाव की तरह भरा गया है!
दुनिया का हर देश औपनिवेशिक और आक्रांताओं द्वारा थोपे गये गुलामी के चिह्नों को मिटाता है, लेकिन भारत में इसे मिटाए जाने को एक बड़ा वर्ग अपराध मानता है, जिसमें मुस्लिमों के अलावा बड़ी संख्या में रशिका जैसे हिंदू भी शामिल हैं!
राम मंदिर की सुनवाई में विश्व हिंदू परिषद की ओर से पेश साक्ष्य एक संदिग्ध पुस्तक थी, जो प्रमाणिक नहीं थी। जब संघ के पास मंदिर को जस्टिफाई करने का साक्ष्य और तर्क ही नहीं था तो फिर उससे जुड़े परिवारों से रशिका जैसे बच्चे ही निकलेंगे और उनके पास भी कोई तर्क, तथ्य या शास्त्रीय आधार नहीं होगा! फिर ऐसे बच्चों में बड़े होने पर विरोधी थॉट द्वारा अपराध भाव भरना आसान होता है।
ऐसे बच्चों में यह भरना आसान होता है कि देश का दूसरा बड़ा बहुसंख्यक, जिसने अपने जोर से देश का विभाजन भी कराया और जिसने अपने जोर से देश के करीब 40% संसाधनों पर कब्जा भी किया; वह डरा हुआ और पीड़ित है! रशिका भी जिशान से शादी के बाद ऐसा ही मानती है!
संघियों की यही स्थिति है। वह सिर्फ वोट और नारे के लिए हिंदुत्व का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वास्तव में हिंदू धर्म शास्त्रों एवं अनुष्ठान या उसके आध्यात्मिक पक्ष से इनका कोई लेना-देना नहीं है!
संघ के प्रभाव में शनै:शनै: भारत एक दिन वर्ण संकरता और धर्मांतरण वाला हिंदू देश कहलाएगा। क्योंकि इनकी फिलोसॉफी साफ है:- ‘जो भी हिंदुस्तान में रहता है, वह सब हिंदू है’, ‘हिंदू कोई धर्म नहीं है, वह एक जीवनशैली है!’ जब पूरी दुनिया में इस्लाम और ईसाइयत की स्पष्ट अवधारणा है तो ऐसे में संघ से जुड़े परिवारों के बच्चों में हिंदू धर्म को लेकर कंफ्यूजन होना स्वाभाविक है!
मंदिरों व विग्रहों को तोड़ने, तीर्थ को पर्यटन बनाने, काशी के आध्यात्मिक और तांत्रिक ऊर्जा को नष्ट करने, हर मंदिर में शिवलिंग क्यों ढूंढना, 50 साल के लिए मंदिर-मूर्ति छोड़ दो, शास्त्रों को पुनः लिखना चाहिए, समाजिक सौहार्द्र के लिए गौ-मांस खाना चाहिए, बीफ खाने को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए, कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार नहीं, पलायन हुआ और इसे किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए आदि के जरिए उन्होंने अपना वैचारिक मत अपनी पूर्ण बहुमत की सत्ता मिलते ही धरातल पर भी स्पष्ट कर दिया है!
अतः हिंदू अपने परिवार के लिए स्वयं सोचे! शास्त्र से ही हमें पता चला कि राजा राम भगवान हैं, श्रीकृष्ण पूर्ण परमेश्वर हैं, शिव महाकाल हैं और देवी दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती परमशक्ति हैं। जब आप शास्त्रविहीन हिंदू होंगे तो यह सब आपको महापुरुष लगेंगे, संघ को भी श्रीराम महापुरुष और इमामे-हिंद ही लगते हैं!
सोचना हिंदू माताओं को है कि अपने बच्चों को वीर शिवाजी की तरह शास्त्रोंं का ज्ञान देना है या संघ परिवार से आने वाली रशिका की तरह ऐसा हिंदू बनाना है, जिसका विश्वास किसी भी दूसरे थॉट से कभी भी बदला जा सकता है! छत्रपति शिवाजी को सदियों बीतने के बाद भी लोग याद करते हैं, रशिकाओं को एक पीढ़ी बाद ही लोग भूल जाते हैं!
सनातन हिंदू धर्म यदि इतने आक्रमण के बाद भी सदियों से बचा हुआ है तो वीर शिवाजियों, पेशवाओं और राणा प्रतापों जैसे शास्त्रज्ञ हिंदुओं के कारण न कि संघी हिंदू रशिकाओं आदि के कारण। धन्यवाद। #sandeepdeo
रशिका के साक्षात्कार का Video link:-https://youtu.be/9VlkO7ZOwJs?si=xHgs36MHfAkkDYj_