अर्चना कुमारी। दिल्ली की एक अदालत ने कथित आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े धनशोधन के मामले में आरोपी प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों को ‘अनिवार्य’ जमानत देने से इनकार कर दिया । विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में आरोपियों- मोहम्मद इलियास, मोहम्मद परवेज अहमद और अब्दुल मुकीत की ‘अनिवार्य जमानत’ याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्हें राहत देने का कोई आधार नहीं मिला।
आरोपियों को 22 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था और तभी से तीनों न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। ईडी ने उनके खिलाफ 19 नवंबर, 2022 को आरोप-पत्र दाखिल किया। आरोपियों ने अपनी अर्जी में कहा है कि ईडी ने अपनी जांच पूरी किए बगैर आरोप-पत्र दाखिल किया और इसलिए उन्हें ‘अनिवार्य जमानत’ मिलनी चाहिए।
ईडी की ओर अदालत में उपस्थित हुए विशेष लोक अभियोजक एन. के. माट्टा ने दलील दी कि सिर्फ इसलिए कि आगे की जांच की जा रही है, ऐसा नहीं माना जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एजेंसी की जांच अधूरी है।
अदालत ने 25 जुलाई को पारित एक आदेश में कहा, ‘‘तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर इस अदालत को आरोपियों/आवेदकों द्वारा दी गई दलील में कोई तर्क नजर नहीं आ रहा है.. पहला इसलिए, क्योंकि अर्जी वैधानिक समय सीमा में दाखिल की गई है।
शिकायत का विश्लेषण करने के बाद किसी भी रूप में यह साबित नहीं हो रहा है कि जांच अधूरी है।’’ न्यायाधीश ने कहा कि अगर ईडी आगे की कोई जांच कर भी रही है तो वह अतिरिक्त साक्ष्य जुटाने के लिए है।