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India Speak Daily > Blog > इतिहास > गुलाम भारत > जिनकी पूजा दरगाहों में होती है, उन्होंने कौन से महान काम किये थे ?
गुलाम भारत

जिनकी पूजा दरगाहों में होती है, उन्होंने कौन से महान काम किये थे ?

ISD News Network
Last updated: 2023/07/31 at 11:34 AM
By ISD News Network 203 Views 6 Min Read
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भारत में आपको जगह जगह सडको किनारे दरगाहें मिल जायेंगी। उन छोटी छोटी दरगाहों के अलावा देश में कुछ बहुत ही मशहूर दरगाहें भी मौजूद हैं, जिनमे लाखों की संख्या में लोग मन्नत मांगने जाते हैं। लेकिन अगर किसी से यह सवाल पूँछों कि यह किस महापुरुष की मजार है और इसने अपने जीवनकाल में कौन सा महान काम किया था?

तो वह यह बगलें झाँकने लगेगा। अब जिस व्यक्ति ने अपने जीवन भी कोई महत्त्वपूर्ण कार्य न किया हो उसकी लाश का अवशेष (अब तो वह भी नहीं बचा होगा) आपका क्या भला कर सकता है? दरगाह पूजा को लेकर और भी कई भ्रम हैं। हिन्दू समझते हैं कि यह मुसलमानो की पूजा पद्धति है और वे अपनी सद्भावना दिखाने के लिए ऐसा करते है।

लेकिन अगर इस्लाम के जानकार से पूछोगे तो वह भी यही बतायेगा कि दरगाह पूजा इस्लाम के खिलाफ है। तो फिर आखिर यह दरगाह पूजा किस धर्म का हिस्सा है और लोग क्यों पूजा करते हैं? मुसलमान जो करते हैं वो करते रहें लेकिन कम से कम हिन्दुओं को तो उस व्यक्ति के बारे में पता लगाना ही चाहिए, जिसकी कब्र की वो पूजा कर रहे हैं।

अगर बड़ी और मशहूर दरगाहों की बात करें तो उनमे अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, बहराइच में गाजी बाबा और मुंबई के पास हाजी अली की दरगाह प्रमुख है। जो हिन्दू इन दरगाहों पर माथा टेकने जाते हैं कम से कम उनको यह तो पता करना ही चाहिए कि उक्त पीर ने उनके पूर्वजों, देश और धर्म के साथ क्या क्या  किया है।

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सबसे पहले बात करते हैं बहराइच के गाजी बाबा की। गाजी बाबा का असली नाम सालार मसूद था। वह महमूद गजनवी का भतीजा था। जिस तरह से महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनाथ और मध्य प्रदेश की भोजशाला का विध्वंश कर, गाजी की उपाधि प्राप्त की थी वैसे ही वह अयोध्या का विध्वंश कर गाजी कहलाना चाहता था।

उसने दिल्ली, मेरठ, बदायूं, कनानौज, आदि को लीत लिया था और अयोध्या की तरफ बढ़ रहा था। तब बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने अपने आस पास के साथ अन्य राजों को साथ मिलाकर उसे कड़ी टक्कर दी और उसकी सेना का समूल नाश कर दिया। बाद में तुगलक ने सालार मसूद के नाम पर दरगाह बनाकर उसे गाजी बाबा बना दिया।

अगर अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की बात करें तो वह मोहम्मद गौरी का साथी था। मोहम्मद गौरी की प्रथ्वीराज चौहान के हाथों हुई हार के बाद, गौरी तो वापस चला गया परन्तु वह यही रह गया था। थोडा बहुत जादू मन्तर करके यहाँ के लोगों को फुसलाया और मोहम्मद गौरी के लिए जानकारियाँ जुटाने के लिए काम करता रहा।

जयचन्द और उसके मित्रों को प्रथ्वीराज चौहान के खिलाफ भड़काने का काम भी चिश्ती ने ही किया था। उसके बाद हुए मोहम्मद गौरी के हमले में भारत (प्रथ्वीराज) की हार की सबसे बड़ी बजह चिश्ती ही था। अजमेर में मंदिर को तुड़वाया (जिसे अढाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है) लोगों का धर्म परिवर्तन कराया महिलाओं पर अत्याचार किये।

इसी प्रकार तैमूर लंग ने जब भारत पर हमला किया तो दिल्ली में कत्लेआम करने के बाद हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ हरिद्वार का विध्वंश करने चल पड़ा। लेकिन ज्वालापुर की लड़ाई में महाबली जोगराज सिंह गुर्जर, हरवीर जाट, रामप्यारी, आदि ने अपनी पंचायिती सेना और नागा साधुओं के सहयोग से तैमूर को हरिद्वार से भागने पर मजबूर कर दिया।

1405 में तैमूर के मरने के बाद मचे, उत्तराधिकार के गदर में शाह अली नाम का मौलवी तैमूर के खजाने से पैसा चुरा भाग निकला और हिंदुस्तान के सिंध इलाके में आकर व्यापारी बन गया। उसने उस धन में से एक हिस्सा अरब के शाह को भी दिया। अपनी छवि एक नर्मदिल इंसान की बना ली। लोग उसे हाजी शाह अली बुखारी के नाम से जानने लगे।

उधर उत्तराधिकार की जंग फ़तेह करने के बाद, गद्दी पर बैठा शाहरुख मिर्ज़ा। सुलतान बनने के बाद उसने उस चोर और गद्दार साथी की तलाश का हुक्म दिया। शाह अली मदद के लिए फकीर का वेश बनाकर अरब के लिए भाग निकला। अरब का शाह नहीं चाहता था कि हाजी शाह अली बुखारी की मदद करके खूंखार उज्बेकों से दुश्मनी मोल ले।

तब उसने शाह अली से छुटकारा पाने के लिए, उसे जिन्दा ही एक संदूक में बंद करके समुद्र में फिकवा दिया। इत्तेफ़ाक़ से संदूक बहता हुआ  मुम्बई के पास के एक टापू पर आ लगा। मछुआरों ने संदूक खोला तो उसमें फकीर के लिबास में एक लाश थी। इस लाश को कुछ मछुआरों ने पहचान लिया और उसे उसी टापू पर दफ़न कर दिया गया।

संदूक में मिली फ़क़ीर की लाश की चर्चा फैलने लगी और तमाम कहानियां भी प्रचलित हो गयीं और शाह अली, पीर हाजी शाह अली बुखारी बन गया। उसके बाद हिन्दुओं ने वहां जाकर माथा टेकना शुरू कर दिया। ऐसे सूतियापे तो हिन्दुओं की पुरानी पहचान है। क्रूर हत्यारे तैमूर और शाहरुख मिर्ज़ा के साथी की कब्र को हाजी अली दरगाह कहने लगा।

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TAGGED: Ajmer Dargah, chisti dargah, hindu, hindu dharm, Hinduism, mumbai dargah
ISD News Network July 31, 2023
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