आईएसडी नेटवर्क। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हड़काने के बाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया लाइन पर आता दिख रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद एसबीआई ने सक्रिय होते हुए चुनाव आयोग को चुनावी बांड्स की खरीदी-बिक्री से जुड़ी जानकारियां सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार डेटा सौंपे जाने की पुष्टि स्वयं चुनाव आयोग ने कर दी है। निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने मंगलवार की शाम चुनावी बांड्स से जुड़ी जानकारियां चुनाव आयोग को सौंप दी है।
सूत्र बता रहे हैं कि एसबीआई ने जो जानकारियां चुनाव आयोग को दी है, वे ‘रॉ इन्फर्मेशन’ है। ‘रॉ इन्फर्मेशन’ यानी कच्ची सूचनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग के विशषज्ञों के सामने जानकारियां निकालना बड़ी चुनौती है। किस व्यक्ति ने कितनी राशि के इलेक्टोरल बांड्स ख़रीदे और किस राजनीतिक दल को इसका भुगतान किया गया, ये मैच करने में विशेषज्ञों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जानकारी के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने डेटा सुव्यवस्थित करके नहीं दिया है।
आगामी 15 मार्च तक ये डेटा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग 15 मार्च की शाम तक ये डेटा सार्वजनिक कर देगा। मंगलवार को मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने एसबीआई के वकील से पूछा था कि पिछले 26 दिनों तक क्या करते रहे। चुनावी बांड का मामला सन 2017 में प्रकाश में आया था।
उस साल के वित्तीय बिल में चुनावी बांड को पेश किया गया था। इसके ठीक बाद एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने शीर्ष न्यायालय में चुनावी बांड के विरुद्ध याचिका दायर कर दी थी। याचिका पेश होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस भेजा लेकिन सन 2018 को केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉण्ड योजना को अधिसूचित कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय में याचिका पेश होने से केंद्र सरकार की योजना को कोई फर्क नहीं पड़ा।
अनजान धनिकों ने राजनीतिक दलों को इन बांड्स की सहायता से मोटा चुनावी चंदा दिया। सबसे अधिक चंदा सत्तारुढ़ दल भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त हुआ था। इसके बाद अधिक धन पाने वाली दूसरी पार्टी कांग्रेस थी। इसके बाद एक लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड की योजना को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड की योजना भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो एसबीआई को अदालत की अवमानना की कार्यवाही झेलनी पड़ेगी।