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India Speaks Daily > Blog > समाचार > संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही > Judge Loya Death Verdict: रवीश कुमार, The Wire, प्रशांत भूषण जैसे वामी-कांगी लॉबिस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मारा तमाचा! कहा, अपने राजनीतिक हित साधने के लिए न्यायपालिका को कुछ लोग बदनाम कर रहे हैं!
संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही

Judge Loya Death Verdict: रवीश कुमार, The Wire, प्रशांत भूषण जैसे वामी-कांगी लॉबिस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मारा तमाचा! कहा, अपने राजनीतिक हित साधने के लिए न्यायपालिका को कुछ लोग बदनाम कर रहे हैं!

ISD News Network
Last updated: 2021/04/09 at 12:43 PM
By ISD News Network 521 Views 7 Min Read
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7 Min Read
The Power of False Narratives- NDTV judge Ravish kumar
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जज लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले से NDTV व रवीश कुमार, The wair व सिद्धार्थ वरदराजन, The Caravan और भवतोश बल, एक्टिविस्ट वकील प्रशांत भूषण, दुष्यत दबे, इंदिरा जय सिंह जैसे वामी-कांगी व fake news maker को करारा तमाचा लगा है! सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इन लोगों की मनगढ़ंत हत्या की थ्योरी को ध्वस्त कर दिया है। कारवां जैसी एक अनाम पत्रिका की डोली उठाकर देश में न्यायपालिका को बदनाम करने की उनकी साजिश का भी पर्दाफाश हो गया है।

अपने फायदे के लिए न्याय व्यवस्था को बदनाम करने वाले वामपंथी

जज लोया की प्राकृतिक रूप से मृत्यु 2014 में हुई थी। लेकिन गुजरात चुनाव-2017 से पहले कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के उद्देश से वामपंथी पत्रिका कारवां ने एक फेक न्यूज चलाया कि जज लोया की हत्या की दी गई? और इसकी वजह यह थी कि वह सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में अमित शाह के खिलाफ सुनवाई कर रहे थे। कारवां का संपादक भवतोश बल हार्डकोर लेफ्टिस्ट है। पीएम मोदी व अमित शाह के खिलाफ 2014 में जासूसी मामले में भी फेक विमर्श खड़ा करने वालों में यह शामिल था।

कारवां की फेक कहानी को मोदी विरोधी सिद्धार्थ वरदराजन ने अपने ‘द वायर’ से खूब उछाला और उसे सबसे अधिक हवा एनडीटीवी पर बिना तथ्यों के बकैती करने वाले रवीश कुमार ने दी। रवीश ने तो जनता को डराना चाहा कि देश में आपातकाल है। जज लोया की मौत पर बात करने से हर किसी को डर लगता है! लेकिन ताज्जुब है ऐसे कथित डरे माहौल में भी वह खुल कर बकैती करता रहा और सुप्रीम कोर्ट में इस गिरोह ने याचिका भी दाखिल करवा दी!

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अदालत के अंदर प्रशांत भूषण, इंदिरा जय सिंह, दुष्यंत दवे ने मुख्य न्यायाधीश से लेकर पूरे सुप्रीम कोर्ट को दबाव में लाने का प्रयास किया। प्रशांत भूषण ने तो अदालत के अंदर चीफ जस्टिस से बत्तमीजी तक की। इसे लेकर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने प्रशांत भूषण को कोर्ट फिक्सर तक कह दिया। यानी प्रशांत भूषण इस मामले में कोर्ट का बेंच तय करना चाहते थे ताकि फैसला वामपंथी और कांग्रेसियों के अनुरूप दिलवाया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आफताब आलम की कोर्ट में वह और तीस्ता सीतलवाड़ कोर्ट फिक्सर के रूप में अदालत परिसर में काफी चर्चित रहे हैं। इसी तरह दुष्यंत दवे ने इस्तीफा देकर सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाना चाहा तो, इंदिरा जय सिंह सुप्रीम कोर्ट के चार जजों को सड़क पर उतार लायी! आज फिर से यह लोग इसे काला दिन बता रहे हैं, क्योंकि अभी इन्हें 2019 में कांग्रेस के लिए जिंदा जो रखना है?

मुख्य बिंदु

* सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत का एसआईटी से जांच कराने से किया इंकार
* देश की न्यायपालिका को दुनिया में बदनाम करने की साजिश का किया परदाफाश
* मृतक जज लोया के साथ सफर करने वाले जजों के बयान पर शक करने का आधार नहीं

SIT जांच की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जज बीएच लोया की हुई मौत की फिर से जांच कराने वाली याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा समेत तीन जजों वाली पीठ ने अपने फैसला में कहा है कि जज लोया की मौत का किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराने का कोई औचित्य नहीं बनता है। पीठ ने इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने अपने फैसले में साफ कहा है कि अपने राजनीतिक हित साधने के तहत ही न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए इस प्रकार की याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

कोर्ट ने कहा कि इसमें लेशमात्र संदेह नहीं की जज लोया की मौत प्राकृतिक थी। लेकिन याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रशांत भूषण, इंदिरा जय सिंह और दुष्यंत दवे ने नागपुर में जज लोया के साथ रहे जजों के बयान पर संदेह जता कर न्यायपालिका पर सवाल खड़ा कर दिया। पीठ ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा है कि आदर्श स्थिति तो यही कहती है कि इनके खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया शुरू हो। कोर्ट ने कहा कि इन लोगों ने अपनी राजनीतिक लड़ाई की वजह से न्यायपालिका को बदनाम करने का प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए अभियान चलाने वालों को करारा झटका लगा है।

जानिये सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

* सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में न तो तर्क है और न ही कोई दम।

* सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस लोया की मौत प्राकृतिक थी।

* यह याचिका आपराधिक अवमानना के समान है, मगर हम कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।

* सुप्रीम कोर्ट ने PIL के दुरुपयोग की आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, PIL का दुरुपयोग चिंता का विषय।

* याचिकाकर्ता का उद्देश्य जजों को बदनाम करना है।

* PIL शरारतपूर्ण उद्देश्य से दाखिल की गई, यह आपराधिक अवमानना है।

* यह न्यायपालिका पर सीधा हमला है।

* कोर्ट ने कहा कि राजनैतिक प्रतिद्वंद्विताओं को लोकतंत्र के सदन में ही सुलझाना होगा, कोर्ट में नहीं।

* सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम उन न्यायिक अधिकारियों के बयानों पर संदेह नहीं कर सकते, जो जज लोया के साथ थे।

* याचिकाकर्ताओं ने याचिका के जरिए जजों की छवि खराब करने का प्रयास किया। कोर्ट कानून के शासन के सरंक्षण के लिए है।

* जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल एजेंडा वाले लोग कर रहे हैं। याचिका के पीछे असली चेहरा कौन है पता नहीं चलता।

* तुच्छ और मोटिवेटिड जनहित याचिकाओं से कोर्ट का वक्त खराब होता है। हमारे पास लोगों की निजी स्वतंत्रता से जुड़े बहुत केस लंबित हैं।

* सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज लोया की मौत प्राकृतिक थी और इस पर कोर्ट को संदेह नहीं है।

URL: SC dismisses PIL seeking probe into judge Loya’s death.

Keywords: Judge Loya, Supreme Court, Sohrabuddin Sheikh fake encounter, Judge Loya Death Verdict, CBI, Loya Death Case, जज लोया, सुप्रीम कोर्ट रवीश कुमार, सिद्धार्थ वरदराजन, भवतोश बल

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TAGGED: CJI Dipak Misra, congress-left conspiracy, Countering the false narrative, Fake News Maker, judge loya news, ravish kumar fraud, supreme court judgement, The Wire
ISD News Network April 19, 2018
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