अर्चना कुमारी। कानपुर में रमेश बाबू शुक्ला नामक एक शिक्षक के हाथ में कलावा और माथे पर तिलक देखकर उनकी हत्या की गई थी। हिंदुओं को उनके ही देश में काफिर बताने वाले दोनों आतंकवादियों को फांसी की अब सजा सुनाई गई है।इसके साथ ही पांच-पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।
कानपुर में सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड मामले में गुरुवार को इस्लामिक स्टेट के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को फांसी की सजा सुनाई गई। चार सितंबर को एनआईए और एटीएस के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्र ने दोनों आतंकियों को दोषी करार दिया था और अब सजा सुनाया गया।
ज्ञात हो दोनों आतंकियों के खिलाफ कानपुर जनपद के चकेरी के रहने वाले अक्षय शुक्ला ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट चकेरी थाने में दर्ज की गई थी। उनके मुताबिक दिनांक 24 अक्टूबर 2016 को उनके पिता रमेश बाबू शुक्ला स्कूल से पढ़ा के आ रहे थे, तो किसी उन्हें गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी।
मामले में आतंकियों की संलिप्ता को देखते हुए विवेचना एटीएस को स्थानांतरित हुई। एटीएस ने पुन: मुकदमा दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की थी। विवेचना के दौरान दो अभियुक्त भोपाल व कानपुर से गिरफ्तार किए गए थे।जांच में खुलासा हुआ आतिफ मुजफ्फर और मो फैसल प्रतिबंधित आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े है।
अभियुक्तों इस्लामिक स्टेट के खलीफा अबु बकर अल बगदादी के नाम की शपथ लेकर भारत के लोगों में दहशत व राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने एवं काफिरों को जान से मारने की नियत से सेवानिवृत्त शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला को उनके हाथ में बंधे लाल पीले धागे (कलावा) व माथे पर लगे तिलक से उनकी हिंदू पहचान सुनिश्चित करके उनकी हत्या कर दी थी।
परिवार के लोग हत्याकांड के 7 साल बाद भी सदमें से उबर नहीं पाए हैं। कानपुर के विष्णुपुरी स्थित लेबर कॉलोनी के एक सकरी सी गली में पहली मंजिल पर दो कमरों के घर में रहने वाले रिटायर प्रधानाचार्य स्व. रमेश बाबू शुक्ला की 24 अक्टूबर 2016 को आतंकी आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद फैसल और सैफुल्लाह ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।इनमे सैफुल्लाह लखनऊ में मुठभेड़ में मारा गया था, लेकिन जेल में बंद आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को एनआईए/एटीएस कोर्ट ने 4 सितंबर को हत्याकांड में दोषी करार दिया था। उनकी पत्नी मंजू देवी ने फैसला पर खुशी जाहिर की ।
रूंधे गले से उन्होंने कहा कि आतंकियों को फांसी की सजा होनी ही चाहिए। आतंकियों ने मेरा घर तो बर्बाद कर दिया। अब दूसरे का घर बर्बाद नहीं होना चाहिए। मंजू देवी के साथ में रहने रहने वाला बेटा और मुकदमे का वादी अक्षय शुक्ला है । जबकि दूसरा बेटा गुड़गांव में नौकरी करता है। बड़ी बेटी पूजा की शादी हो चुकी है।
छोटी बेटी आरती को डर की वजह से मंजू देवी ने अपनी बहन के घर शिफ्ट कर दिया है। रमेश बाबू शुक्ला जाजमऊ के प्योंदी गांव स्थित स्वामी आत्मप्रकाश ब्रह्मारी जूनियर हाई स्कूल में प्रिंसिपल थे। रिटायरमेंट के बाद भी वह स्कूल में पढ़ाते थे। 24 अक्तूबर 2016 की शाम जाजमऊ में उनके सीने में गोली मार दी गई थी, जब वह साइकिल से जा रहे थे। उनके छोटे बेटे अक्षय बताते हैं-घटना के वक्त मैं कॉलेज में था। खबर मिली कि पापा का एक्सीडेंट हो गया है।
मैं जाजमऊ चौकी गया, वहां से कांशीराम हॉस्पिटल जाने को कहा गया। जब मैं वहां पहुंचा, तब तक पापा की मृत्यु हो चुकी थी। उस वक्त पता चला किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी है। हमने चकेरी थाने में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। सात मार्च 2017 को लखनऊ में मुठभेड़ में आतंकी सैफुल्लाह के मारे जाने के बाद उसके साथियों से पूछताछ में हत्या का खुलासा हुआ था। रमेश शुक्ला की हत्या के बाद पुलिस ने हाथ-पांव मारे, लेकिन हत्याकांड का खुलासा नहीं कर सकी।
हत्याकांड के करीब आठ महीने बाद उज्जैन ट्रेन बम विस्फोट की जांच कर रही एनआईए का एनकाउंटर लखनऊ में सैफुल्ला से हुआ। उसके कुछ साथी मध्यप्रदेश और यहां-वहां से पकड़े गए। इनमें आतिफ मुजफ्फर और फैसल भी थे। एनआईए ने उनसे कई दिनों तक पूछताछ की। इसमें दोनों ने जाजमऊ में एक बुजुर्ग की हत्या का खुलासा किया।
एनआईए के सत्यापन में पता चला कि यह आतंकी वारदात थी। कत्ल के बाद उसका वीडियो सीरिया भेजा गया था। खुरासान मॉड्यूल के आतिफ, फैसल और सैफुल्लाह गिरोह ने केवल नई पिस्टल टेस्ट करने के लिए रमेश शुक्ला को मार डाला था। कत्ल का वीडियो सीरिया भेजने की बात भी सामने आई । इस मामले की जांच भी बाद में गृह मंत्रालय ने एनआईए को सौंप दी थी।