अर्चना कुमारी। भाजपा का मुस्लिम चेहरा और बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन पर दिल्ली पुलिस की चुप्पी कायम है । पुलिस कोर्ट का मामला बताकर अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है जबकि एक हिंदू महिला के साथ दुराचार के मामले में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए तत्काल सुनवाई अपील की, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।
वैसे सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और इस मामले को लेकर अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस बारे में कहा है कि वह दुराचार के इस मामले की जांच 3 महीने में पूरी करे और कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करे। ज्ञात हो कि दिल्ली की एक हिंदू महिला ने 2018 में निचली अदालत का रुख कर बलात्कार के अपने आरोप को लेकर शाहनवाज हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था।
मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा था कि महिला की शिकायत के आधार पर एक संज्ञेय अपराध का मामला बनता है। इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय मामला पहुंचा और हाई कोर्ट ने भी महिला की शिकायत पर हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि निचली अदालत के 2018 के उस आदेश में कोई त्रुटि नहीं है, जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही, उच्च न्यायालय ने इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने संबंधी अपने अंतरिम आदेशों को निष्प्रभावी कर दिया।
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें बलात्कार का आरोप लगाने वाली एक महिला की शिकायत पर शाहनवाज हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट फैसले के खिलाफ शाहनवाज हुसैन की अपील को अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया।
शाहनवाज हुसैन का वकील मोहित पॉल ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा,अब यदि प्राथमिकी दर्ज की जाती है तो मेरी विशेष अनुमति याचिका निष्फल हो जाएगी। उसका कहना था कि शाहनवाज हुसैन का बेदाग सार्वजनिक जीवन है और यह कलंकित हो जाएगा। उन्होंने सुनवाई के लिए याचिका को जल्दी सूचीबद्ध करने का और उच्च न्यायालय के फैसले के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया। फिर पीठ ने याचिका को अगले हफ्ते सूचीबद्ध करने को कहा। पीठ में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार भी शामिल थे। पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।