
दिल्ली में बढ़्ते वायु प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर दी दिल्ली सरकार को चेतावनी
दिल्ली में बढ़्ते वायु प्रदूषण के मामले में देश के सर्वोच्च न्यायालय यानि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक बार फिर से खूब खरी खोटी सुनाई. प्रदूषण के मुद्दे पर आक्रामक र्रूख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से साफ साफ शब्दों में कह दिया कि इस प्रकार दमघोंटू गैस चेम्बर में लोगों को तिल तिल कर मारने से अच्छा है एक बार में ही लोगों को बम विस्फोट कर मार दो. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने 2 बार दिल्ली सरकार को प्रदूषण के मामले में चेतावनी दी है, उसकी कड़ी निंदा की है. और ये भी कहा है कि यदि आम आदमी पर्टी सरकार से प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित नहीं किया जा रहा है तो उन्हे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
दिल्ली का प्रदूषण एक आपतकालीन स्थिति लेकिन आम लोगों को इस बात का एहसास नहीं
हालांकि पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है लेकिन हवा का जो स्तर है, वो अभी भी सामान्य तक नहीं पहुंचा . यानि दिल्ली के लोग अभी भी बेहद प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. ये बात अलग है कि उन्हे इसका एहसास नहीं है क्योंकि उन्हे इससे भी कई ज़्यादा ज़हरीली हवा झेलने की आदत पड़ चुकी है. और लोगों को भले ही इस बात का एहसास न हो लेकिन इस बढ़्ते वायु प्रदूषण से न सिर्फ सांस की बीमारियां दिन ब दिन बढ़ रही हैं बल्कि नित नई बीमारियों का भी सृजन हो रहा है. विभिन्न वैज्ञानिक शोध पत्रों के अनुसार वायु प्रदूषण का असर इतना खतरनाक होता है कि इससे गर्भाशय में पल रहे बच्चे पर भी असर पड़ सकता है. और ऐसे प्रदूषित वातावरण में जो बच्चे जन्म ले रहे हैं, उनमें कई तरह की विकृतियां ला सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात पर चिंता जताई कि वायु प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर कितना बूरा असर पड़ रह अहै और लोग कैसे कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं. आप शायद यकीन न करें लेकिन दिल्ली की हवा मे इस समय इस कदर ज़हर भरा है कि दिन भर मे इंसान सांस लेते समय कमसकम 10 सिगरटों का धुआं अपने अंदर ले रहा है. अब आप खुद हे सोचिये इससे ज़्यादा भयावाह परिस्थिति और क्या हो सकाती है. एपोकओलप्से शायद इसे ही कहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने की असमर्थता के लिये लगाई विभिन्न राज्य सरकारों की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की घटनायें नहीं रोक पाने के मामले में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों की भी फटकार ल्लगाई. साथ ही कुछ कुछ किसानों को भी दोषी ठहराया. यही नही, कोर्ट ने सभी सरकारों से एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि वायु गुणवत्ता प्रभंधन की दिशा में उठाये गये कदमों का ब्यौरा मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम बात यह भी कही है कि लोगों को पूरा अधिकार है सरकार से मुआवज़ा मांगने का यदि सरकार प्रदूषण रोकने में असफल है. अगर वायु प्रदूशण से लोगों के स्वास्थ्य, उनके रोज़गार और पूरे जीवन को इतनी क्षति पहुंच रही है तो आखिर वो सरकार से मुआवज़ा क्यों नही मांग सकते ? सुप्रीम कोट का यह कहना एक बार फिर से भारत के प्रजातांत्रिक ढांचे की शक्ति को नियत्रित करता है जहां अम लोगों के पास अधिकार हैं, आम लोगों की सुनवाई होती है.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से एंटी स्मौग गन के प्रयोग की दिशा में उठाये गये कदमो की भी जानकारी मांगी. इसकी मदद से जल के कण 50 मीटर से ऊपर स्प्रे किये जाते हैं, जिससे प्रदूषण के कण छट जाते हैं.
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