सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है. कोर्ट ने इस मामले में बुद्धवार को प्रशांत भूषण को नोटिस जारी कर दिया है. उनपर न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है.
मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होनी है.
बुद्धवार को ,मामले की सुनवाई के दौरान सबसे पहले ट्विटर की तरफ से वरिष्ठ वकील साजन पोवय्या ने दलील रखी कि उन्हे इस मामले को लेकर कोई विशेष टिप्पणी नही करनी और यदि कोर्ट उन्हे आदेश दे तो वे प्रशांत भूषण के विवादित ट्वीट को हटा देंगे.
प्रशांत भूषण द्वारा न्यायपालिका के खिलाफ किये गये कुछ ट्वीट्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उन के खिलाफ याचिका दायर की गयी थी. याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील मेहेक महेश्वरी के द्वारा दायर की गयी थी . मेहेक महेश्वरी के ट्वीट के अनुसार उन्होने यह याचिका इसीलिये दायर की क्योंकि प्रशांत भूषण ने भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस बोबड़े के खिलाफ कुछ बेहद अमानवीय टिप्पणियां की थीं.
हालांकि किन ट्वीट्स को लेकर यह याचिका दायर की गयी है, यह बात अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. लेकिन विभिन्न मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सारा विवाद प्रशांत भूषण द्वारा क्ये गये दो ट्वीट्स को लेकर है. पहले ट्वीट में यह दावा किया गया है कि जस्टिस बोबड़े से पहले जो चार मुख्य न्यायधीश रह चुके हैं, उन्होने पिछले 6 साल की अवधि में देश के प्रजातांत्रिक ढांचे को तहस नहस करने में खासा भूमिका निभाई.
दूसरा ट्वीट सीधा भारत के वर्तमान मुख्य न्यायधीश जस्टिस बोबड़े पर निशाना साधता है. ट्वीट में उनपर कोरोना वायरस के इस समय में बिना हेलमेट या फेस मास्क के मोटोरसाइकल चलाने का आरोप लगाया गया है. ट्वीट मे य्रशांत भूषण ने यह कहा है क देश का चीफ जस्टिस एक ऐसे समय में बिना हेलेट और मास्क के मोटोरसकल चला रहा ह जब पूरा देश लांकडाउन में है , न्यायालय भी बंद हईं ज्सकी वजह से नागरिकों से उनका न्याय मांगने का मौल्क अधिकार भी छिन गया है. पिछ्ले महीने सोशल मीडिया पर जस्टिस बोबड़े की एक फोटो वायरल हुई थी जिसमे वे हारले डेविडसन मोटोरसाइकल पर सवार दिखे थे.
प्रशांत भूषण के ट्वीट पूरी तरह से पूर्वाग्रह से ग्रस्त लगते हैं. इन्हे पढ्कर ऐसा प्रतीत होता है कि इनक उद्देश्य सिर्फ सरकार के विरुद्ध प्रोपोगैंडा फैलाना है, और कुछ नहींं.खासकर कि दूसरे ट्वीट में जब वे देश के चीफ जस्टिस पर इतना बड़ा आरोप लगाते हैं जबक फोटो में चीफ जस्टिस सिर्फ मोटर्साकल पर बैठे भर हैं, उसे चला नही रहे हैं. और एक फोटो भर से प्रशांत भूषण जी ने इतना बड़ा अफसाना बना दिया.
वैसे उनके ट्विट्रर हैंडल पर भी गौर करें तो उसमे चुन चुन कर विभिन्न मुद्दों पर सिर्फ सरकार की आलोचना से जुड़ी पोस्ट्स होती हैं, और कुछ नही. और कई ऐसी पोस्टस होती हैं जिनमे व्यंग्य की आड़ मे भाषा की गरिमा को बिल्कुल ताक पर रख दिया जाता है.
यह पहली बार नही है कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पर न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्प्णी करने के आरोप लगे हैं. 2009 में भी उनके खिलाफ इसी प्रकार का सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज हुआ थाथा जिसकी सुनवाई शुक्रवार को होगी.