आईएसडी नेटवर्क। (पॉलिटिकल डेस्क) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलेक्टोरल बांड की जानकारी के लिए और समय मांगने पर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की जमकर लू उतार दी। शीर्ष अदालत ने एसबीआई को बुरी तरह फटकारते हुए पूछा कि पिछले 26 दिनों तक आप लोग क्या करते रहे। सोमवार की सुनवाई में एसबीआई की बतोलेबाज़ी जारी रही। इस बार भी सरकारी पक्ष के वकील ने डेटा को डिकोड करने के लिए और समय की मांग कर दी। उल्लेखनीय है कि चुनावी बांड के इस मामले पर समस्त राजनीतिक दलों के साथ देश के नागरिकों की निगाह भी लगी हुई है।
सोमवार को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में पुनः चुनावी बांड्स का डेटा सार्वजनिक करने में देरी का बहाना बनाया। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट बहुत सख्त दिखाई दिया। एसबीआई जिस ढंग से चुनावी बांड्स की जानकारी देने में क़ानूनी सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहा है, उससे लग रहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार की सुनवाई में सरकारी पक्ष के वकील से सवाल किया कि पिछले 26 दिनों के दौरान आपने क्या किया?
इस पर एसबीआई ने कहा कि हमें जानकारी देने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन थोड़ा समय दिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप खुद स्वीकार कर रहे हैं कि डिटेल देने में आपको कोई दिक्कत नहीं है। तो इन 26 दिनों में तो काफी काम हो सकता था। संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस खन्ना ने एसबीआई के वकील हरीश साल्वे से कहा कि आपने बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी एक सील कवर लिफाफे में रखी गई है तो ऐसे में आपको सिर्फ सील कवर खोलकर जानकारी देनी है।
सीजेआई ने कहा कि हमने 15 फरवरी को आदेश दिया था और आज 11 मार्च है। ऐसे में बीते 26 दिनों में आपने क्या किया? इस पर एसबीआई के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर आप मैचिंग नहीं चाहते हैं तो हम तीन हफ्ते में पूरी जानकारी दे सकते हैं। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की समय देने की दलील को खारिज करते हुए सख्ती से कहा कि 12 मार्च की शाम तक एसबीआई चुनाव आयोग को सारी जानकारी उपलब्ध कराए। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एसबीआई को डेटा उपलब्ध कराना ही होगा। देखा जाए तो इस मोर्चे पर न्यायालय से लड़ रही भारत सरकार को करारी हार मिली है।