संदीप देव। एकम् सनातन भारत दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अध्यक्ष अंकुर शर्मा जी की अध्यक्षता में बनी एकम् फ्लैग कमेटी द्वारा डिजायन झंडे को पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जारी किया गया और जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
एकम् का ध्वज तीन रंगों- नीला, लाल और पीले रंग से बना है। ध्वज में संकेत रूप में श्रीहरि के वाहन गरुड़ उपस्थित हैं। गरुड़ को पार्टी के संविधान में पार्टी के Emblem अर्थात प्रतीक चिह्न के रूप में सम्मिलित किया गया है। ध्वज पर स्थित गरुड़ ऊंचाई, वेग, लक्ष्य और आक्रामकता के प्रतीक हैं।
इस ध्वज में सनातन धर्म के शैव (नीला), वैष्णव (पीला), शाक्त व सौर्य (लाल) एवं गाणपत्य (‘ऐ’ में गणेश जी की आकृति) के रूप में पांचो बड़े संप्रदाय का मूल विचार छुपा हुआ है।
देवासुर संग्राम में भगवान विष्णु के नीले-लाल-पीले रंग के ध्वज पर गरुड़ जी विद्यमान थे। उस युद्ध में भगवान ने कालनेमि का वध किया था। इस ध्वज के रंगों का संयोजन और इसमें छुपे गरुड़ जी का मूल विचार उसी संग्राम से लिया गया है।
हमारा ऐसा मानना है कि आज भी सनातनी देवासुर संग्राम में खड़े हैं और कालनेमियों से घिरे हैं। यह धर्म ध्वज है, जिसे धारण कर हमें असुर और कालनेमियों पर विजयी प्राप्त करना है।
इसके साथ, ध्वज में लाल रंग के सप्त कोण में एकम के ‘सप्त संकल्प’ को भी दृढ़ता से प्रदर्शित किया गया है ताकि कोई भी सनातनी उन संकल्पों को मृत्यु के क्षण तक न भूल सके। और जब मृत्यु आए तो उस ध्वज के रुप में सप्त संकल्प को अगली पीढ़ी को सौंप सके कि अब सनातन समाज के लिए इसे पूरा करना तुम्हारा कर्तव्य है!
ज्ञात हो की सनातन धर्म में सात अंकों का बड़ा महत्व है, जैसे- सप्त ऋषि, सप्त द्वीप, सप्त-समुद्र, सप्त-पदी, इंद्रधनुष के सप्त-रंग, संगीत के सात सुर, शरीर के अंदर सप्त-चक्र आदि।
इस सप्तकोण में पार्टी का प्रथम अक्षर- ‘ए’ को रखा गया है। इसमें तंत्र का बीज मंत्र ‘ऐ’ भी छिपा है। यह मां के प्रकृति रूप को दर्शाता है। प्रकृति ही हमारा बीज, हमारा मूल है। इस ‘ऐ’ में विघ्नहर्ता गणेश छुपे हैं, जो सभी सनातनियों का विघ्न हर उन्हें जीत दिलाएं, ऐसी कामना की गई है।
कुछेक हिंदू कह रहे हैं कि ध्वज में भगवा रंग क्यों नहीं है? असल में सनातन धर्म के मूल संप्रदायों का प्रतिनिधित्व भगवा रंग नहीं करता है। भगवा मूल रंग भी नहीं है। यह लाल और पीला रंग को मिलाकर बनता है। भगवा का मूल रंग लाल एवं पीला एकम् के ध्वज में प्रमुखता से विद्यमान है।
असल में भगवा तप, त्याग और संन्यास का रंग है। सनातन समाज एक हजार साल से त्याग ही तो कर रहा है, जिसके कारण आज पूरी पृथ्वी पर उसका एक देश भी नहीं है! सनातनियों को त्याग नहीं, अब राज करना होगा तो ही भारत राष्ट्र सहित सम्पूर्ण विश्व बचेगा। एकम् का ध्वज सनातनियों की राजसत्ता को स्थापित करने का संकल्प दर्शाता है।
यह भी बता दूं कि कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन जब निवृत्ति मार्ग अर्थात् संन्यास की ओर जाना चाहते थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें प्रवृत्ति मार्ग अर्थात् कर्मयोग की शिक्षा दी थी। सनातनधर्मियों को भी अब त्याग और संन्यास की जगह धर्म रक्षार्थ कर्म करते हुए सत्ता प्राप्ति करनी होगी। अतः एकम् के ध्वज में संन्यास के रंग की जगह सनातन धर्म के सभी संप्रदायों, उनके संकल्पों और प्रवृत्ति मार्गी कर्मयोग का रंग भरा गया है।
एकम् सनातन भारत दल ध्वज समिति का धन्यवाद करता है कि उसने सनातन धर्म, सभ्यता और संस्कृति के मूल विचारों को अपने ध्वज में समाहित किया है। जय सनातन!