संदीप देव। एकम सनातन भारत दल ने बिना नाम और चुनाव चिन्ह मिले इस चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दिया है। मप्र के बहोरीबंद विधानसभा से उम्मीदवार विजय हल्दर ने 1500 से अधिक मत प्राप्त किया। इसी तरह राजस्थान के बूंदी सीट से सोनल मोरालिया ने 1200 से अधिक वोट प्राप्त किया है।
जो लोग हमें कहते थे कि हम 1000 वोट भी नहीं ला सकते, उनको विनम्रता से यह हमारा जवाब है।
इसके बावजूद कि हमारी राह में चुनाव आरंभ होने के उपरांत स्वयं चुनाव आयोग ने अडंगा डाला और हमें नाम और एक समान चुनाव चिह्न भी नहीं दिए जबकि इसके लिए हमने छह माह पहले से आवेदन कर रखा था। यदि नाम और एक समान चिह्न होता तो नि: संदेह हमारा परफार्मेंस और भी अधिक अच्छा होता।
एकमसनातन भारत_दल समर्थित प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। सभी निर्दलीय लड़ रहे थे। हम अभी केवल छह महीने पुरानी पार्टी हैं और पांचों राज्यों के केवल छह सीटों पर चुनाव लड़े थे। हमारे पास संसाधन भी नहीं है न अभी पर्याप्त कार्यकर्ता ही बन पाए हैं इतने कम समय में।
चुनाव के आरंभ होने से पहले हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लेकर चुनाव आयोग ने हमारा नाम और कॉमन चुनाव चिह्न को भी रोका, मप्र में पार्टी को तोड़ कर एक धड़े को एक संगठन के सपोर्ट से खड़ा किया गया, राजस्थान में हमारे कई प्रत्याशियों के फार्म रिजेक्ट किए गये, चुनाव के बीच में धनानंद और पार्टी के पूर्व IT wing प्रमुख के द्वारा बाहर से और पार्टी के अंदर के कुछ पदाधिकारियों से अंदरूनी हमला करवाया गया ताकि हम एक भी सीट पर चुनाव न लड़ सकें, प्रचार न कर सकें। सभी हमलावर एक ही पार्टी, एक ही संगठन से जुड़े थे, जो पार्टी में घुसपैठ करने में सफल रहे थे।
फिर भी हम और हमारे प्रत्याशियों ने हिम्मत से लड़ाई लड़ी और चुनावी राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करने में सफल रहे।
सकारात्मक बात यह हुई कि प्रचार के कारण लोगों में पार्टी का नाम गया, कार्यकर्ताओं ने चुनाव लड़ना-लड़ाना सीखा। हम अभी नये हैं। अलग-अलग फील्ड से हैं। राजनीति का अनुभव इस पार्टी में बेहद कम लोगों को है। अभी हमें बहुत कुछ सीखना है। हम ऐसे ही लड़ते-भिड़ते, गिरते-पड़ते सीखेंगे।
2024 के लोकसभा चुनाव में हम एक भी सनातनी को जीताकर संसद में भेज सकें यही हमारा उद्देश्य है, ताकि वह पूरे सनातन समाज के मुद्दे संसद में उठा सकें! फिर वह होगी हम सब सनातनियों की वास्तविक जीत होगी।