अर्चना कुमारी हल्द्वानी दंगे में बाल बाल बची रुचि दत्त जोशी ईश्वर को थैंक्स कहती हुई फूट-फूटकर पहले रोती है। फिर बताती है महिला कांस्टेबल हल्द्वानी हिंसा की आपबीती।
महिला कांस्टेबल रुचि दत्त जोशी का कहना है हिंसा के वक्त वह थाने में थीं। भीड़ में शामिल लोग बोल रहे थे कि मां का दूध पिया है तो बाहर आओ। यहां कोई जिंदा नहीं निकल पाएगा। सिर्फ 10 मिनट के अंदर हमें मदद नहीं मिलती है तो वह हमें जिंदा जला दिया जाता।
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने हल्द्वानी हिंसा में घायल हुईं महिला पुलिसकर्मियों से मुलाकात की थी और उनका हाल जाना था।
इस दौरान महिला पुलिसकर्मियों ने रो-रो कर महिला आयोग की अध्यक्ष को रुचि ने आपबीती सुनाई। महिला पुलिसकर्मियों की बात सुनकर एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा भी भावुक हो गए थे।
ज्ञात हो 8 फरवरी को हुई हिंसा में कई लोगों की जान गई थी और करीब 300 से ज्यादा पुलिस के जवान, नगर निगम और सरकारी कर्मचारी घायल हुए थे। महिला पुलिसकर्मियों के हाथ, पैर फ्रैक्चर हुए थे। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के सामने जख्मी महिला पुलिसकर्मियों ने रो-रोकर अपना दर्द बयां किया। इनमे रुचि दत्त भी शामिल थी।
महिला कांस्टेबल रुचि दत्त जोशी ने अध्यक्ष कुसुम कंडवाल को बताया कि हिंसा के वक्त वह थाने में थे। बच्चे भी आकर बोल रहे थे कि मां का दूध पिया है बाहर आओ और यहां कोई जिंदा नहीं निकल पाएगा। हमें मदद नहीं मिलती है तो वह हमें जिंदा जला दिया जाता।
मैंने तो अपने पति को भी बोल दिया था कि हम लोग यहां जिंदा जलने वाले हैं, घरों की छतों से हम पर फायरिंग हो रही थी। हर तरफ आग लगी हुई थी उस दिन हमने मौत को लाइव देखा। जिंदगी बच गई और अब जाकर हम सामान्य हुए हैं। इसके लिए भगवान के आभारी है।