विपुल रेगे। नेटफ्लिक्स, आमिर खान, जुनैद खान और यश राज फिल्म्स का कॉम्बिनेशन एक ओटीटी फिल्म के रुप में सामने आने जा रहा है। आमिर खान अपने बेटे जुनैद को ‘महाराज’ से लॉन्च करने जा रहे हैं। विषय वैसा ही है, जैसा नेटफ्लिक्स पर पसंद किया जाता है। ब्रिटिश राज के भारत में एक धार्मिक नेता पर सेक्सुआलिटी को लेकर बेहद गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस केस को इतिहास में ‘महाराज लिबेल केस’ के नाम से जाना जाता है। इस कथानक पर फिल्म बनाने से दो उद्देश्य समझ आते हैं। एक तो इतिहास के कथित धार्मिक नेता के बारे में आज के दर्शकों को बताना और दूसरा इस कथानक में ‘सनातन’ पर आक्रमण करने का पूर्ण पोटेंशियल दिखाई दे रहा है।
नेटफ्लिक्स की एक विशेष विचारधारा के बारे में मैं आपको पिछले लेख में बता चुका हूँ। नेटफ्लिक्स ऐसी फिल्मों को पहले प्रमोट करता है, जिसमे भारत के सिस्टम और सनातन पर किसी तरह का आक्षेप हो। नेटफ्लिक्स पर ही विवादित फिल्म ‘अन्नपूर्णानी’ प्रदर्शित की गई थी, जिसे हटाने के लिए भारत सरकार को दखल देना पड़ा था। बहरहाल आज के विषय पर आते हैं। सबसे पहले ‘महाराज लिबेल केस’ के बारे में जानते हैं। सन 1861 में सुधारवादी गुजराती अखबार ‘सत्य प्रकाश’ में छपे लेखों के विरुद्ध बंबई उच्च न्यायालय में एक केस आया।
इस केस को ‘महाराज लिबेल केस’ के नाम से जाना गया। ‘सत्यप्रकाश’ को संस्थापक-संपादक, करसनदास मुलजी निकालते थे। जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज ने लेख लिखने के लिए पत्रकार करसनदास मुलजी के खिलाफ बॉम्बे सुप्रीम कोर्ट में मानहानि का मामला दायर किया था। मुलजी के लिखे लेख का शीर्षक ‘हिंदूओ नो असली धर्म अने अत्यार ना पखंडी माटो’ था। इसका अर्थ होता है ‘हिन्दुओं का सच्चा/मौलिक धर्म और वर्तमान पाखंडी/नकली मत’)। इस लेख में उन्होंने पुष्टिमार्ग या वल्लभाचार्य संप्रदाय नामक हिंदू संप्रदाय के मूल्यों पर सवाल उठाया। मुल जी अपने लेख में जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज को ‘अय्याश महाराज’ लिखते थे।
उन्होंने अपने लेख में लिखा कि महाराज न केवल अपनी महिला शिष्यों के साथ यौन संबंध रखते थे, बल्कि वह अपने पुरुष भक्तों से यह भी अपेक्षा करते थे कि वे उनकी यौन संतुष्टि के लिए अपनी पत्नियों की पेशकश करें। इस केस पर फिल्म बनाने वाली टीम के बारे में भी आपको जानना चाहिए। ‘महाराज’ की प्रोड्यूसर Sandi Castro Migliaccio हैं। ये अमेरिकन हैं। फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ मल्होत्रा हैं। आईएमडीबी के पेज पर जाकर देखें तो फिल्म की निर्माता अमेरिकन मैडम हैं। दूसरी तस्वीर बताती है कि इसे यश राज फिल्म्स प्रस्तुत कर रहा हैं।
इसका अर्थ है कि यशराज के सर्वेसर्वा आदित्य चोपड़ा ने इस फिल्म को खरीदा है या वे सह निर्माता की भूमिका में हैं। हालांकि आमिर खान के बेटे को लॉन्च करने का श्रेय यशराज फिल्म्स ही ले जा रही है। सनातन से बैर रखने वालों में आदित्य चोपड़ा की कथित भूमिका नकारी नहीं जा सकती। आमिर खान को भी लगता है, अपने बेटे के कॅरियर की चिंता नहीं है। बॉलीवुड में स्टार किड्स को बहुत शान से पेश किया जाता रहा है। स्टार किड्स को अधिकांश प्रेम कथाओं में इंट्रोड्यूज किया जाता है। माना जाता है कि प्रेम कहानियों से शुरुआत करने से सफलता का चांस अधिक होता है। और ये बात सिद्ध हो चुकी है। धर्मेंद्र ने तो अपने दोनों बेटों सनी और बॉबी का स्क्रीन पर पहला अवतरण शान से घोड़े पर बैठाकर कराया था। आप ‘बेताब’ और ‘बरसात’ में इसे देख सकते हैं।
अठारहवीं सदी के एक केस को खोदकर निकालने के उद्देश्य बड़े ही रहस्यमयी हैं। सुप्रीम कोर्ट में उस केस की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश मैथ्यू सॉस और जोसेफ अर्नोल्ड की पूर्ण अदालत के समक्ष हुई थी। मामले के दौरान, ‘जॉन विल्सन जैसे मिशनरी प्राच्यवादी विद्वानों द्वारा संप्रदाय के दर्शन की जांच की गई और अन्य हिंदू ग्रंथों के साथ तुलना की गई।’ इस मामले में करसनदास की जीत हुई और दूसरे पक्ष को भारी आर्थिक जुर्माना भरना पड़ा।
अब इस केस को आज दिखाने का भला क्या औचित्य हो सकता है। वे दिखाना चाहते हैं कि अठारहवीं सदी में सनातन से जुड़े कुछ लोग अनैतिक यौनाचार में लिप्त थे। हम आज नहीं जानते कि इसकी पटकथा के जरिये निर्माता-निर्देशक किस ढंग से सनातन पर निशाना साध सकते हैं। पश्चिम से हो रहे सांस्कृतिक आतकंवाद के हमलों की श्रेणी में ये ताज़ा आक्रमण कुछ बड़ा धमाका करेगा। तैयार रहिये।