दिल्ली दंगे को लेकर आरोपी का बचाव करने के चक्कर में फर्जी हलफनामा देने वाले आरोपियों पर अदालत के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू किया है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि दिल्ली दंगे के मामले से जुड़े दो अधिवक्ताओं के दफ्तर पर हुई छापेमारी को लेकर एक अधिवक्ता जावेद अली ने जहां जांच में सहयोग किया, तो वहीं दूसरे अधिवक्ता महमूद प्राचा ने उनकी टीम का विरोध किया।
इसे लेकर शिकायत भी दर्ज कराई गई है। इस बारे में दिल्ली पुलिस अदालत को भी सूचित करेगी ताकि इस बाबत कार्रवाई की जा सके। इसी साल फरवरी माह में हुए उत्तर पूर्व दिल्ली दंगे के मामले से जुड़े अधिवक्ताओं के दफ्तर पर हुई छापेमारी को लेकर दिल्ली पुलिस की तरफ से बयान जारी किया गया।
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त मनीषी चंद्रा का कहना है कि स्पेशल सेल द्वारा 22 अगस्त 2020 को फर्जीवाड़े सहित विभिन्न धाराओं में एक मामला दर्ज किया गया था और यह मामला अदालत के उस आदेश पर दर्ज किया गया था, जिसमें फर्जी दस्तावेज अदालत के समक्ष जमा कराए गए थे।
संबंधित अदालत में जो दस्तावेज जमा कराए गए थे, उनमें एक नोटरी ऐसे अधिवक्ता की लगाई गई थी, जिसका देहांत करीब तीन साल पहले हो चुका है। जांच कार्रवाई में यह भी पता चला कि इसके अलावा एक फर्जी शिकायत भी अदालत के समक्ष जमा कराई गई और इस मामले की जांच कर रही स्पेशल सेल ने अदालत से दोनों अधिवक्ता के घर पर दफ्तर पर छापेमारी करने की अनुमति मांगी थी, ताकि वहां से दस्तावेज बरामद किए जा सके।
इसके बाद 24 दिसंबर को अदालत से अनुमति लेकर स्पेशल सेल की टीम ने अधिवक्ता जावेद अली और महमूद प्राचा के दफ्तरों पर छापा मारा और इस छापेमारी में गवाह के अलावा वर्दी में पुलिसकर्मी, महिला पुलिसकर्मी और वीडियोग्राफर भी रखे गए थे।
यमुना विहार में जावेद अली ने सर्च वारंट देखकर पुलिस टीम को पूरी तरीके से सहयोग किया और वहां से जब्त की गई हार्ड डिस्क की एक कॉपी भी अधिवक्ता को दी गई, ताकि उनका काम बाधित ना हो ।
बृहस्पतिवार रात लगभग एक बजे तक उनके यहां छापेमारी चली और वहां से स्पेशल सेल की टीम लौट आई जबकि दूसरी टीम महमूद प्राचा के निजामुद्दीन स्थित दफ्तर पर छापेमारी के लिए गई थी।
उन्हें अधिवक्ता एवं उनके सहयोगियों से खास विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने पुलिस टीम की जांच को बाधित करने की कोशिश की। आरोप है कि पुलिस टीम के साथ उन्होंने अभद्र व्यवहार किया जबकि कंप्यूटर की जांच करने में भी उन्होंने बाधा पहुंचाई।
इस पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग कर स्पेशल सेल ने लोकल पुलिस में भी इस बाबत शिकायत दी है।बताया जाता है कि महमूद प्राचा के दफ्तर पर हुई छापेमारी के विरोध में सामने आए दंगा पीड़ितों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पर झूठा बयान देने के लिए दबाव बनाया है और दिल्ली पुलिस उन्हें झूठे मामले में फंसाना चाहती है।
बाद में छापामारी का विरोध करने के लिए एक दर्जन से ज्यादा कथित तौर पर पीड़ित शुक्रवार को प्रेस क्लब में एकत्रित हुए और उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस झूठे मामले में महमूद प्राचा को फंसाना चाहती है।
उनका दावा है कि पुलिस उनसे कई बार प्राचा के खिलाफ झूठी शिकायत करने के लिए संपर्क कर चुकी है जबकि आरोप है कि स्पेशल सेल द्वारा महमूद प्राचा को प्रताड़ित किया जा रहा है, ताकि वह दंगा पीड़ितों का केस लड़ना छोड़ दें।
इस बीच वकील महमूद प्राचा ने पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपने दफ्तर में हुए छापे की वीडियो टेप सुरक्षित रखने और अपने खिलाफ दर्ज मामले की जांच अदालत की निगरानी में कराने का आग्रह किया है।
कोर्ट के ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अंशुल सिंघल ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और सुनवाई 27 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी है। साथ ही अगली सुनवाई के दिन जांच अधिकारी को पेश होने को कहा है।
वही इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में करने की मांग वाली अर्जी पर मजिस्ट्रेट ने सुनवाई 5 जनवरी के लिए स्थगित कर दी है।
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