अर्चना कुमारी। मणिपुर के सर्वाधिक हिंसा प्रभावित क्षेत्र चुराचांदपुर की बेटी बेमत्रे का यह दिल दहला देने वाला बयान, जिसमें उसने कहा था कि उसके घर को जला दिया गया और उसके रिश्तेदार को गोली मार दी गई। उन पर और उनकी 2 साल की बेटी पर खून की प्यासी कुकी ईसाई भीड़ ने हमला किया था। इस तरह की घटना मेइती समुदाय के लिए रोज की बात है क्योंकि मणिपुर आज भी जल रहा है। जबसे मेइती समुदाय को अनुसूचित जाति जनजाति का दर्जा दिया गया है उस समय से कुकी उग्रवादी इनके पीछे पड़ गए हैं क्योंकि इस समुदाय का अधिकांश लोग हिंदू रीति-रिवाजों को मानते आए हैं। मेइती समुदाय के लोगों का कहना है कि उनके साथ बुरा बर्ताव शुरू से ही होता रहा है। भेदभाव उनके स्कूल के दिनों से ही शुरू हो गया था।
उनकी संस्कृति और रीति-रिवाजों का लगातार उपहास किया जाता था। बार-बार उनसे धर्म परिवर्तन के लिए आग्रह या दबाव बनाया जाता था। इस समुदाय के लोगों की पीड़ा है कि केंद्र सरकार भी उनकी बात को सुन नहीं रही है और वह लगातार पलायन को मजबूर हैं। हिंदू धर्म को मानने वाले इस समुदाय के लोगों का कहना है कि यहां रहने वाले कुकी लोग उन पर जुल्म शुरू से ही करते आए हैं और आरक्षण का लाभ मिलते ही उन लोगों ने यहां से हम लोगों को भगाना शुरू कर दिया है।
समुदाय के लोगों ने बताया कि उसने कुकी छात्रों को बंदूक की नोक पर अपने शिक्षकों को धमकाते हुए भी देखा और इसका विरोध किया तो उन लोगों को पीटा गया। मणिपुर में हुई हिंसा को लेकर मैतई समुदाय का कहना है कि कुकी समुदाय म्यांमार से आए हैं, इन बाहरी लोगों ने उन्हें निशाना बनाया है क्योंकि देश विरोधी ये लोग राज्य में ड्रग्स और हथियारों की तस्करी कर रहे हैं।
समुदाय के लोगों का कहना है भले ही वर्तमान में मणिपुर में मैतई और कुकी समुदाय के बीच हुई हिंसा के बाद से हालात अभी शांत नजर आ रहे हैं लेकिन हम लोग के साथ लगातार अत्याचार किया जा रहा है। यहां मौजूद सुरक्षाकर्मी भी उन लोगों की मदद नहीं करती है। उन लोगों का कहना है कि हम लोग इसी देश के रहने वाले हैं, लेकिन कुकी इस देश में शरणार्थी हैं।
यहां पर रहने वाले उग्रवादी कुकी हमारे घरों को जला दिया जबकि 1951 में ये लोग मणिपुर में घुस आए और तभी से हमारे देश में घुसकर रह रहे हैं। मैतई समुदाय के लोगों ने मांग की कि हमें सरकार की तरफ से जल्द से जल्द सुरक्षा दी जाए। इसक साथ मैतई को जनजातीय का दर्जा कायम रखा जाए। उन लोगों का कहना है कि कुकी बाहर से आए लोग हैं, जिन्होंने म्यांमार से भारत में घुसपैठ की सबसे पहले इन्होंने नागा समुदाय पर हमला बोला,उन्हें दबाया गया और अब मैतई समाज पर हमला किया जा रहा ।
समुदाय का कहना है कि अगर इसी तरह चलता रहा, तो वो दिन दूर नहीं, जब मणिपुर से असली हिंदू मैतई समाज खत्म हो जाएगा। गौरतलब है कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ, उससे पहले मैतेई को यहाँ जनजाति का दर्जा मिला हुआ था लेकिन कुकी इस बात को बर्दाश्त नहीं करते हुए लगातार हिंसा करने को उतारू है