हर बार की तरह इस बार भी संकट में घिरे राहुल गांधी को उबारने के लिए पेटीकोट पत्रकारों और बिकाऊ मीडिया हाउस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बेरोजगारी को लेकर फेक स्टोरी गढ़ी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बेरोजगारी पर जिस फेक स्टोरी के हवाले से मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं यह खेल कोई और नहीं बल्कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने किया है। हथियार में दलाली से लेकर कैंसर से जूझ रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर मामले में दिखाई असंवेदनशीलत की वजह से चारों ओर से घिरे राहुल गांधी को बचाने के लिए पेटीकोट पत्रकारों और बिकाऊ मीडिया हाउस ने बेरोजगारी को लेकर यह फेक स्टोरी गढ़ी है। इनके सारे आंकड़े फर्जी है। क्योंकिन नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि सरकार ने अभी तक जॉब्स पर को डेटा जारी ही नहीं किया है।
NoMo Jobs!
The Fuhrer promised us 2 Cr jobs a year. 5 years later, his leaked job creation report card reveals a National Disaster.
Unemployment is at its highest in 45 yrs.
6.5 Cr youth are jobless in 2017-18 alone.
Time for NoMo2Go. #HowsTheJobs pic.twitter.com/nbX4iYmsiZ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 31, 2019
जिस प्रकार मोदी सरकार राजीव सक्सेना से लेकर दीपक तलवार तक को दुबई से प्रत्यर्पित कर भारत लाने में सफल रही है, उसे देखकर कांग्रेस हड़बड़ाई हुई है। उधर कैंसर से लड़ रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने राहुल की असंवेनशीलता पर पत्र लिखकर जो प्रहार किया है उससे भी राहुल गांधी की हर तरफ थू-थू हो रही है। इसी सब संकट से उबारने और देश की जनता का ध्यान उधर से भटकाने के लिए इस प्रकार के जाली आकड़े के सहारे फेक न्यूज फैलाई जा रही है।
It's clear that he has inherited Mussolini's shortsightedness and has myopic understanding of issues.
EPFO's real data shows sharp increase in jobs, created in just the last 15 months.
Only a man who hasn't ever held a proper job & is totally jobless can peddle such #FakeNews! https://t.co/T0DHUs7IdZ
— BJP (@BJP4India) January 31, 2019
EPFO की रिपोर्ट पर विश्वास नहीं, NSSO ने आंकड़े जारी नहीं किए, फिर भी बेरोजगारी पर झूठ फैला रहे हैं ‘नासमझ’ राहूल गांधी। हाल ही में कुछ दिन पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) पिछले चार सालों में रोजगार सृजन तथा लोगों को मिलने वाली नौकरी के बारे में सर्वे का आंकड़ा जारी किया था। ईपीएफओ के सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 15 महीने में मिलने वाली नौकरियों में काफी इजाफा हुआ है।
राहुल गांधी एक और झूठ राष्ट्रीय सांख्यिकि आयोग के दो सदस्यों के इस्तीफे को लेकर फैला रहे हैं। उनका कहना है कि बेरोजगारी के आंकड़े जारी करने पर अड़े होने के कारण सरकार ने उन्हें निकाला है । जबकि सच्चाई यह है कि दोनों सदस्यों ने कांग्रेस के इशारे पर इस्तीफा दिया है ताकि मोदी सरकार की बदनाम हो सके। मालूम हो कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो स्वतंत्र सदस्यों पीसी मोहनन तथा जेवी मीनाक्षी ने 28 जनवरी को इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के जासूस कहें या मोल हर जगह बैठे हुए है जो कांग्रेस के इशारे पर हर समय सब कुछ करने को तैयार रहते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनकी आमदनी में कोई कमी नहीं आने वाली।
राहुल गांधी का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा तीन लाख से ज्यादा कंपनियों को बंद करने के कारण ही बेरोजगारी बढ़ी है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि इससे 25 लाख रोजगार खत्म होने के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। थोड़ा ध्यान दीजिए राहुल गांधी और कांग्रेस जिस तीन लाख कंपनियों के बंद होने पर आंसू बहा रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी उसे अपनी सरकार की सफलता बता रहे हैं। क्या ऐसे हो सकता है कि कोई प्रधानमंत्री सीना ठोक के कहा हो कि हां मैंने तीन लाख कंपनियों पर ताले लगाए हैं?
जिस NSSO के हवाले से मीडिया रिपोर्ट के आधार पर राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं, हालांकि एनएसएसओ ने जॉब्स डाटा लीक होने को गलत बताया है। लेकिन उसने आधिकारिक तौर पर जीडीपी का डाटा जारी किया है। इस डाटा में बताया गया है कि जो कांग्रेस मोदी सरकार की नोटबंदी को कोसते नहीं थकती उसी साल भारत का जीडीपी सबसे ज्यादा रही है। एनएसएसओ ने अपनी इस आधिकारिक रिपोर्ट में कहा है कि उस साल भारती की जीडीपी की वृद्धि दर 8.1 फीसद रही थी।
इस गणित को एक उदाहरण से समझिए। एक-आध साल पहले की बात है जब एनटीवी ने अपने यहां बड़े पैमाने पर छंटनी की थी। वहां के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एनडीटीवी ने जिन लोगों की छंटनी की उनमें सैंकड़ो लोगों को कभी काम करते ही नहीं देखा गया। खेल यही है। एनडीटीवी जैसी कंपनी सैकड़ों लोगों को महज कागजों पर भर्ती कर रखा है, जिसके सहारे वह परिस्थिति के मुताबिक लाभ-हानि, रोजगार बेरोजगार का खेल दिखा सके।
जिन बंद कंपनियों के लिए राहुल और कांग्रेस आंसू बहा रहे हैं, वे सारी कंपनिया भी वैसी ही थी। नहीं तो अंदाजा लगाया जिस एक कंपनी के बंद होने से पूरे देश में हाहाकार मच जाता है, वहां तीन लाख कंपनियां बंद कर दी गई लेकिन चूं तक आवाज नहीं निकली..ये कंपनियां फर्जी भर्ती दिखाकर सरकार को चूस रही थी। अब समझना आपको है कि कांग्रेस आज भी किसके साथ खड़ी है… जो कांग्रेस नोटबंदी के कारण कंपनियों के बंद होने का आरोप लगा रही थी आज उसकी पोल खुल गई है।
मोदी सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में 15 करोड़ लोगों को छोटे उद्योग से लेकर बड़े उद्योग लगाने तक के लिए 8 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया है। यह कोई छिपा आंकड़ा नहीं है बल्कि सर्वविदित आंकड़ा है। अगर सिर्फ इसी पर ध्यान दिया जाए और 15 करोड़ लोग सिर्फ और सिर्फ अपना ही रोजगार सुनिश्चित किया हो तो इसका सीधा मतलब है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान 15 करोड़ स्वरोजगार का सृजन किया है। अब राहुल गांधी को यह सीधा आंकड़ा समझ में नहीं आ रहा तो उसमें मोदी सरकार क्या कर लेगी?
https://twitter.com/spectatorindex/status/1088237749730127873?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1088237749730127873&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.indiaspeaksdaily.com%2Finternational-index-acknowledged-that-india-has-increased-employment%2F
देश के पेटीकोट पत्रकार अपने आका के इशारे पर देश को बदनाम करने में जुटे हैं जबकि दुनिया में रोजगारों की स्थित का डेटा रखने और उसका आकलन करने वाली इंटरनेशनल एजेंसियों ने भी माना है कि भारत में रोजगार बढ़े हैं। इन एजेंसियों का मानना है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण ही भारत में रोजगार बढ़े हैं। वहीं राहुल गांधी हैं कि ईपीएफओ के डेटा पर उन्हें विश्वास नहीं है, एनएसएसओ ने डेटा जारी नहीं किया है फिर राहूल गांधी है कि बेरोजगारी का झुनझुना बजा रहे हैं।
URL : To rescue Rahul from crisis fake story spread on Unemployment
Keywords : Rahul gandhi, fakenews maker, modi govt, employment