दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के दो सदस्यों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से सात आधुनिक पिस्टल, मोबाइल फोन और 45 कारतूस भी बरामद किए गए ।
डीसीपी संजीव यादव का कहना है कि दोनों आतंकवादियों की पहचान भूपिंदर सिंह उर्फ दिलावर सिंह और कुलवंत सिंह के तौर पर हुई है। दोनों आतंकियों ने पूछताछ में बताया है कि वह उत्तर भारत में प्रमुख लोगों की हत्याएं करने की तैयारी कर रहा था और इसके लिए दिल्ली हथियार लेने के लिए आए थे।
दिल्ली पुलिस का दावा है कि कुछ खालिस्तान आंदोलन के समर्थक इंग्लैंड और अमेरिका में छिपे हुए हैं और वह इस तरह के आतंकियों के लिए फंड मुहैया करा रहे हैं। इन देशों से आने वाली रकम पर खुफिया एजेंसियों की नजर आसानी से नहीं जाती है। बब्बर खालसा इंटरनेशनल के गिरफ्तार दोनों आतंकियों से पूछताछ में यह खुलासा किया है।
दोनों आतंकियों ने पूछताछ में बताया है कि वाट्सएप और फेसबुक के जरिये कॉल करके आतंकी संगठनों व खालिस्तान समर्थक आतंकियों के संपर्क में थे। इनका कहना है कि दुबई, अमेरिका और इंग्लैंड में खालिस्तान आंदोलन के समर्थक बड़ी संख्या में रहते हैं। यही से आतंकी गतिविधियों के लिए भारत में धन भेजा जाता है। उसने बताया कि हथियार व कारतूस खरीदने के लिए भी इंग्लैंड से ही धन मिला है।
यहां रहने वाले जगदीश भूरिया ने हथियारों का भुगतान किया था। इसके बाद उसे दिल्ली के एक व्यक्ति का मोबाइल नंबर देकर हथियार लाने के लिए कहा था। जिसके बाद दोनों दिल्ली में पकड़े गए । जांच एजेंसियों का कहना है कि इससे पहले पकड़े गए पंजाब के दोनों आतंकियों को भी अमेरिका में रहने वाले एक व्यक्ति ने धन मुहैया कराया था।यह भी पता चला है कि भूपिंदर सिंह और कुलवंत सिंह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के संपर्क में थे। ये लोग वाट्सएप व अन्य माध्यमों से इंटरनेट कॉलिंग करते थे। दोनों के मोबाइल फोन की जांच करने पर सेल को यह जानकारी मिली है।
दरअसल सर्विलांस के आधार पर बीते एक माह से भूपिंदर और कुलवंत की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। सूचना मिली कि दोनों पंजाब से दिल्ली शनिवार को हथियार लेने के लिए कार से निरंकारी सरोवर के पास आने वाले हैं। इस पर स्पेशल सेल की टीम निरंकारी पार्क से मजलिस पार्क के बीच में तैनात हो गई।
कार की पहचान होने पर पुलिस ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा लेकिन दोनों फायरिंग कर दी। इसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए स्पेशल सेल ने दोनों को धर दबोचा। दिल्ली पुलिस का कहना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई बब्बर खालसा इंटरनेशनल के साथ मिलकर उत्तर भारत के कई नेताओं को टारगेट कर रखा है। खासकर साल 1984 के सिख दंगों में शामिल रहे बड़े नेताओं की हत्या करना इनकी साजिश में शामिल था। इसके अलावा कुछ हिंदूवादी नेताओं खासकर भाजपा नेताओं को भी आतंकियों द्वारा टारगेट किए जाने का खुलासा किया गया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जिस बब्बर खालसा इंटरनेशनल माड्यूल के दो आंतकियों को रायकोट, लुधियाना पंजाब निवासी भूपेन्द्र सिंह उर्फ दिलावर सिंह(41) व कुलवंत सिंह (39) को धर दबोचा है उनके मंसूबे बेहद खतरनाक बताए जाते है।
पूछताछ में पता चला है कि दोनों खालिस्तान मूवमेंट के कट्टर समर्थंक हैं और उत्तर भारत के कई बड़े नेताओं की मारने की साजिश को अंजाम देने की तैयारी में थे। इसके लिए बस उन्हें खालिस्तानी आकाओं से निर्देश मिलने का इंतजार था।
ऐसे कई नेताओं को इन आतंकियों ने चिन्हित कर रखा था। दोनों से हुई पूछताछ में उनके ऐसे लिंक का पता चला। जिसमें विदेश में बैठकर खालिस्तान समर्थक बड़े नेता भारत में रहने वाले कई नेताओं तथा आम जनों की मारने की साजिश रच रहे हैं, इन खालिस्तानी उग्रवादियों को पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई का समर्थंन हासिल है।
दबोचे गए आतंकियों में भूपेन्द्र सिंह का जन्म पंजाब में हुआ और वह साल 2005 में काम के लिए दुबई गया, जहां से साल 2007 में भारत लौट आया। साल 2016 में वह दोबारा ट्रेवल एजेंसी के जरिए ड्राइवर की नौकरी के लिए सऊदी अरब गया। जहां आठ महीने तक उसे वहां कोई काम नहीं मिला और इस वजह से वह ज्यादातर समय फेसबुक पर देता था।
सोशल मीडिया के जरिए वह कई खालिस्तानी नेताओं के संपर्क में आया, जिसके बाद उसने खालिस्तान मूवमेंट ज्वाइन किया। फेसबुक पर वह हरबिंदर सिंह, अमृतपाल कौर, रणदीप सिंह जरनैल सिंह के संपर्क में आया था। इनमें कुछ आतंकियों को पंजाब पुलिस ने साल 2017 में गिरफ्तार किया था, जो प्रतिबंधित आंतकी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के सदस्य थे। जांच में पाया गया है कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल समूह को पाकिस्तान, सऊदी अरब और यूके से फंडिग होती थी। जबकि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से इस आतंकी संगठन को भरपूर मदद मिलती है।
दबोचे गए आतंकियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने खालिस्तान जिंदाबाद के भी सदस्य है और उनकी प्लानिंग ऑपरेशन ब्लू स्टार की वर्षगांठ पर जत्था वीर खालसा उत्सव मनाने की थी।
पूछताछ के दौरान भूपेंद्र सिंह ने बताया कि वह बब्बर खालसा के दिलावर सिंह से काफी प्रभावित था जिसने बेअंत सिंह की हत्या की थी इसलिए उसने अपना नाम दिलावर सिंह भी रख लिया था।
दूसरा आतंकी कुलवंत सिंह करीब पांच छह साल पहले रायकोट में भूपिन्द्र से मिला था, जिसके बाद दोनों दोस्त बन गए। भूपिन्द्र के सऊदी अरब जाने के बाद वे एक दूसरे से फोन और सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क में थे। उसने फेसबुक पर पाकिस्तान जिंदाबाद खालिस्तान जिंदाबाद नाम के ग्रुप को ज्वाइन किया था, जिसे पाकिस्तान से परवेज अख्तर नाम का शख्स आॅपरेट कर रहा था।दोनों ने खुलासा किया कि दोनों बब्बर खालसा आतंकी संगठन के सक्रिय सदस्य हैं।
साथ ही खालिस्तान कमांडो फोर्स संगठन से भी इनका संपर्क है, जो खालिस्तान बनाने के लिए आतंकियों की भर्ती करता है। इन आतंकियों को पाकिस्तान के आइएसआइ का समर्थन प्राप्त है।
इन आरोपियों ने कबूला है कि इन दोनों ने अभी हाल में ही रायकोर्ट तहसील में एक पानी के टंकी पर प्रतिबंधित झंडे को लगा दिया था। ज्ञात हो कि 1980 के दशक में बब्बर खालसा इंटरनेशनल की पहचान खालिस्तान की मांग करने से हुई थी। इस आतंकी संगठन की पहली यूनिट एक साल बाद कनाडा में स्थापित की गई। यह संगठन संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, नार्वे और पाकिस्तान में भी मौजूद है।
पाकिस्तान शाखा के बब्बर खालसा इंटरनेशनल के मुखिया वधवा सिंह समेत नौ लोगों को गृह मंत्रालय ने आतंकवादी घोषित कर रखा है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि राजधानी में 15 दिनों में तीन आतंकी पकड़े गए। इनमें 30 अगस्त को स्पेशल सेल ने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के दो संदिग्ध आतंकियों इंदरजीत सिंह गिल और जसपाल सिंह को गिरफ्तार किया था।
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने आइएसआइएस के एक संदिग्ध आतंकी मोहम्मद मुस्तकीम उर्फ अब्दूल यूसुफ को बड़ी मात्रा में विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किया था।