विक्रम वर्मा । 21 जून, जब साल का सबसे बड़ा दिन होता है, तो विष्णु_स्तंभ की छाया 12 बजकर 16 मिनट में धरती पर नजर नहींं आती। कारण ? दिल्ली 28.5 डिग्री अक्षांश पर स्थित है, और सूरज आज के दिन मध्याह्न के समय कर्क रेखा जो कि 23.5 डिग्री है, उसके ठीक ऊपर रहता है।
विष्णु स्तंभ 5 डिग्री कोण से दक्षिण की ओर झुका है, तो सूरज ठीक इसके ऊपर चमकता है, ठीक इसकी लाइन में, और छाया इसी कारण धरती पर नजर नहीं आती।विष्णु स्तंभ जैसा सब जानते हैं, चंद्रगुप्त_विक्रमादित्य के खगोलविज्ञ वराहमिहिर के समय उनके निर्देश के अनुसार बनाया गया था, खगोलीय गणना के लिए, और इसी कारण इसका झुकाव 5 डिग्री दक्षिण की ओर रखा गया।
इस मीनार के चारों ओर 27 मंदिर थे, नक्षत्र या तारामंडलों के लिए, जिसके ऊपर गोल गुंबद थे, और उनमें से 7-8 अभी भी बचे हैं। वराहमिहिर के नाम पर ही इस वेधशाला के इलाके का नाम मिहिरावली रखा गया, जो अब महरौली कहा जाता है।ये एक छोटे से पर्वत के शिखर पर बनाया गया था, जिसे विष्णु_गिरि कहा गया, और इस मीनार को विष्णु स्तंभ कहा जाता था।
भारतीय धातुकर्म जो उस समय अपने उत्कर्ष पर था, उसका इस्तेमाल करते हुए मंदिर के सामने धातु का जो स्तम्भ बना है, जो 1600 बरसों से बिना जंग लगे खड़ा होकर आज भी मेटलर्जी के आधुनिक वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य का विषय है, उसे गरुड़_स्तंभ कहा जाता था, जो विष्णु मंदिर का दीप स्तंभ भी था, उसपर ये जानकारियां ब्राह्मी लिपि में ढली है।जिसे इतिहास को मोड़ने के प्रेमी, मिटा नहीं पाए।