अर्चना कुमारी । नूपुर शर्मा विवाद के बाद टेलर कन्हैयालाल का उदयपुर में इस्लामी आतंकवादियों ने गला रेत कर हत्या कर दी थी। बर्बर तरीके से तालिबानी हत्या के आरोपियों रियाज और गौस मोहम्मद को राजसमंद के भीम कस्बे से पकड़ा गया । दोनों आरोपियों को पकड़वाने वाले शक्ति सिंह और प्रहलाद अब सरकारी मदद के लिए घूम रहे है और उन्हें जान का खतरा बरकरार है।
उन्हें आज तक न लाइसेंसी बंदूक मिली। न कोई सुरक्षा दी गई है। बताया जाता है कि 28 जून को हुए हत्याकांड में आरोपियों को पकड़वाने के बाद शक्ति सिंह और प्रहलाद का चेहरा सबके सामने आ गया था। दोनों का कहना है कि जान का खतरा मंडरा रहा है। इतना ही नहीं हम दोनों को कहीं नौकरी भी नहीं कर पा रहे हैं। इस बीच दोनों उदयपुर पहुंचे। इस दौरान कन्हैयालाल के परिवार से भी मिले।
दरअसल, शक्ति सिंह और प्रहलाद को अपनी बहादुरी के लिए खूब वाहवाही मिली थी। हर कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया। सरकार ने भी दोनों को सुरक्षा के लिए गार्ड और लाइसेंसी बंदूक देने की बात कही थी। कन्हैया लाल हत्याकांड को 6 महीने से अधिक का समय गुजर गया है, लेकिन अब तक सरकार ने प्रह्लाद और शक्ति सिंह की कोई मदद नहीं किया ।
टेलर कन्हैया लाल की हत्या रोगियों को प्रक्रिया जाने को लेकर प्रहलाद और शक्ति सिंह ने बताया- जिस चौराहे पर दोनों बैठे थे। वहां और भी कई लोग थे, लेकिन कन्हैया के हत्यारों को पकड़ने के लिए हमने ही 25 किलोमीटर तक पीछा किया। आगे पुलिस ने घेरा डालकर उन्हें पकड़ा। आरोपियों को पकड़ने में मदद के बाद आज जो उनकी स्थिति है। उसे देखकर गांव वाले भी हंसते हैं। आने वाले समय में कोई भी किसी की मदद के लिए आगे नहीं आएगा।
शक्ति सिंह ने बताया- इससे पहले सूरत में एक किराना की शॉप पर काम करते थे। घटना के 5-7 दिन पहले ही अपने पैतृक गांव भीम माता-पिता से मिलने आए थे। घटना के बाद दुकान मालिक ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। अब कहीं नौकरी भी नहीं मिल रही। होटल में काम करने वाले प्रह्लाद ने बताया- घटना के बाद जब से उनके चेहरे सार्वजनिक हुए हैं। तब से उनकी जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। उन्हें डर है कि जिन आरोपियों को उन्होंने पकड़वाया।
उनके कोई लोग दोनों की रैकी न कर रहे हों। कहीं उन्हें मौत के घाट ना उतार दें। शक्ति सिंह और प्रह्लाद ने बताया कि रियाज और गौस मोहम्मद राजसमंद के रास्ते होकर अजमेर भाग रहे थे। इस दौरान उदयपुर पुलिस ने वायरलेस से सूचना देते हुए सभी तरफ नाकाबन्दी करा दी थी। भीम चौराहे पर भी नाकाबन्दी थी। तभी भीम थाने के एक परिचित पुलिसकर्मी ने उन्हें ध्यान रखने को कहा। प्रह्लाद और शक्ति सिंह चौराहे पर ही चाय पी रहे थे कि अचानक उनकी नजर रियाज और गौस पर पड़ी।
दोनों ने इसकी सूचना फिर से पुलिस को दी। पुलिस के कहे अनुसार ही आरोपियों का पीछा किया। उन्होंने कहा कि दोनों आरोपी नाकाबंदी से होकर ही गुजरे थे, लेकिन वहां खड़े पुलिस वालों का ध्यान उन पर नहीं गया। बाद में वे भीम के बाजार में चले गए। प्रह्लाद और शक्ति सिंह ने उनका पीछा करना नहीं छोड़ा।
लगातार पुलिस को लोकेशन अपडेट कराते रहे। बाद में पुलिस ने उन्हें घेर लिया और आज वे सलाखों के पीछे है। दोनों कहते हैं कि टेलर कन्हैयालाल के बेटे यश ने दोनों को 25-25 हजार की आर्थिक मदद की।यश ने बताया- प्रहलाद और शक्ति सिंह उनकी मदद नहीं करते तो आज हत्यारे पुलिस गिरफ्त में नहीं होते। यश ने भी सरकार से इन दोनों को सुरक्षा देने की मांग की है।