विपुल रेगे। अक्षय कुमार की महादेव की भूमिका वाली फिल्म ‘ओह माय गॉड 2’ को सेंसर बोर्ड ने बीस बदलाव करने के निर्देश के साथ ही U/A-सर्टिफिकेट दे दिया है। ये ऐसे बदलाव हैं,जिनके लिए फिल्म के बहुत से हिस्से रीशूट करने पड़ सकते हैं और लागत भी बढ़ेगी। अब बात खुल चुकी है कि फिल्म सेक्स एजुकेशन पर आधारित है। यदि फिल्म निर्माता कोर्ट की शरण में चले जाए तो फिल्म इसी स्वरुप में प्रदर्शित की जा सकती है। पूरे मामले में सरकार की ओर से कुछ भी ‘आउट ऑफ़ बॉक्स’ होता दिखाई नहीं दे रहा है।
इंडिया स्पीक्स डेली के पिछले लेखों में इस बात का ज़िक्र किया गया था कि वर्तमान मोदी सरकार ने पिछले नौ वर्ष में ‘अठारह फिल्मों’ को रिलीज होने से रोका है। इसके लिए सरकार को न कोर्ट जाने की आवश्यकता पड़ी और न सेंसर बोर्ड की कमेटी बैठाने की ज़रुरत पड़ी थी। एक फिल्म तो गृह मंत्रालय के दखल से रिलीज होने से रोक दी गई थी। सरकार की ये ‘रहस्यमयी इच्छाशक्ति’ एक अत्यंत विवादित फिल्म ‘आदिपुरुष’ के समय गुम हो गई थी।
‘ओह माय गॉड 2’ को भी ये निर्लज्ज सेंसर बोर्ड बिना कट पास कर देता, यदि हम जैसे गिनेचुने लोग ये नहीं बताते कि ये फिल्म सेक्स एजुकेशन पर आधारित है। जब विरोध बढ़ा तो एयर इंडिया की सजधज में बिज़ी भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष की नींद थोड़ी सी खुली। ऐसा लगता है कि फिल्म निर्माताओं को लेकर सरकार का रवैया अब भी नरम है। बताया जा रहा है कि पिछले छह दिन से फिल्म निर्माताओं और सेंसर बोर्ड के बीच बैठकें चल रही है। अठारह फिल्मों को बिना बैठक बैन कर देने वाली मोदी सरकार इस एक फिल्म के लिए इतनी उतावली क्यों दिखाई देती है?
सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं को जो बदलाव करने के लिए कहे हैं, वे जल्दी कर देना संभव नहीं है। सबसे ज़रुरी बदलाव तो अक्षय कुमार का लुक बदलना है। सेंसर बोर्ड ने कहा है कि अक्षय कुमार महादेव के नहीं बल्कि उनके दूत के रुप में दिखाई दें। ऐसा करने के लिए निर्माता को अपनी फिल्म पुनः शूट के लिए ले जानी होगी। इसके अलावा कई दृश्य हटाने के लिए भी कहा गया है। ऐसे में फिल्म निर्माता अब न्यायालय की शरण में जा सकते हैं। ऐसा भारत में ही हो सकता है कि पहले तो फिल्म निर्माता अपनी सेक्स एजुकेशन वाली फिल्म में भगवान को शामिल कर दे और अब नाराज़गी जता रहे हैं कि सामाजिक मुद्दे पर बनी फिल्म को U/A-सर्टिफिकेट क्यों दिया गया।
सम्भव है फिल्म निर्माता कोर्ट चले जाए। फिल्म के निर्माताओं की बात करें तो इसके एक निर्माता विपुल शाह हैं, जिनकी सत्तारुढ़ दल से अच्छी बनती है। एक निर्माता अश्विन वर्दे हैं, जो अधिकांश अक्षय की फिल्मों पर ही पैसा लगाते हैं। इनमे एक निर्माता और हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इन निर्माता का नाम है अरुणा भाटिया। अरुणा जी का देहांत हो चुका है और वें अक्षय कुमार की माता जी थीं। तो इस हिसाब से इस फिल्म के एक निर्माता स्वयं अक्षय कुमार हैं। यदि फिल्म रोकी जाती है तो उनको आर्थिक नुकसान होगा।
जिस फिल्म को तुरंत प्रभाव से बैन कर स्क्रेप कर देना चाहिए था, उसे लेकर सेंसर बोर्ड छह दिन से निर्माताओं के साथ बैठक कर रहा है। मोदी सरकार का ये रहस्यमयी भेदभाव समझने की आवश्यकता है। ‘आदिपुरुष’ के गीत और संवाद सत्तारुढ़ दल के करीबी मनोज मुन्तशिर ने लिखे थे। भारत विरोध करता रह गया, ठगा सा देखता रह गया और फिल्म रिलीज कर दी गई। अब ‘ओह माय गॉड 2’ में विपुल शाह और अक्षय कुमार की ख़ातिर सरकार ने फिल्म को बैन नहीं किया है। यदि कल को फिल्म कोर्ट से क्लियर हो गई तो यही सरकार इसे कोर्ट का आदेश बताते हुए बीच में से हट जाएगी। जब तक फिल्म को सरकार बैन नहीं कर देती, इसके रिलीज होने की आशंका बनी रहेगी।